
सहारनपुर के “गुप्ता बंधु” साउथ अफ्रीका से लेकर अमेरिका और इंग्लैंड तक में कुख्यात हैं. गरीबी से निकलकर बेशुमार संपत्ति कमाने वाले इन भाइयों में से एक को कल देहरादून पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया. राशन की दुकान चलाने वाले के बेटों की ताकत का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि इनके ही कारण साउथ अफ्रीका के एक राष्ट्रपति को अपना पद गंवाना पड़ा. इनके पीछे इंटरपोल की पुलिस को लगना पड़ा. यहां तक की अमेरिका और इंग्लैंड की सरकारों ने तीनों भाइयों को काली सूची में डाल रखा है. इन भाइयों की कहानी सुनकर हर कोई एक बार असमंजस में पड़ जाता है कि ये बिजनेसमैन हैं या अपराधी?
उत्तर प्रदेश के सहारनपुर में रहने वाले शिवकुमार गुप्ता के तीन बेटे हैं. अजय, अतुल और राजेश गुप्ता. गुप्ता परिवार 1990 के दशक की शुरुआत में दक्षिण अफ्रीका गया था. यहां उन्होंने जूते की दुकान खोली थी. जल्द ही उन्होंने आईटी, मीडिया और खनन कंपनियों को शामिल करने के लिए विस्तार किया, जिनमें से अधिकांश अब बिक चुकी हैं या बंद हो गईं हैं. फिर भी इनके पास बेशुमार दौलत है. गुप्ता ब्रदर्स पर दक्षिण अफ्रीका में पूर्व राष्ट्रपति जैकब जुमा के साथ अपने संबंधों का इस्तेमाल आर्थिक लाभ के लिए करने और वरिष्ठ नियुक्तियों को प्रभावित करने का आरोप है. हालांकि इन आरोपों का उन्होंने खंडन किया है.
अधिकारियों ने कहा कि 2018 में, दक्षिण अफ्रीका में पैरास्टेटल संस्थानों से अरबों रैंड लूटने के बाद, गुप्ता परिवार दुबई चले गया था. वैश्विक स्तर पर कानूनी एजेंसियों को सतर्क करने के लिए भगोड़ों के लिए रेड नोटिस जारी किया जाता है. गुप्ता परिवार 2018 में दक्षिण अफ्रीका से भाग गया था. जिसके बाद उनके खिलाफ रेड नोटिस जारी किया गया था. इससे पहले, दक्षिण अफ्रीका ने संयुक्त राष्ट्र से गुप्ता ब्रदर्स को दक्षिण अफ्रीका वापस लाने की अपील की थी. लेकिन संयुक्त अरब अमीरात और दक्षिण अफ्रीका के बीच कोई प्रत्यर्पण संधि नहीं थी. वहीं जून 2021 में संधि की पुष्टि की गई, जिसके बाद दक्षिण अफ्रीका ने इनके प्रत्यर्पण का अनुरोध किया.