
देहरादून, 06 दिसंबर। गंगा नदी की स्वच्छता और पर्यावरण संरक्षण को सर्वोच्च प्राथमिकता देते हुए जिला प्रशासन देहरादून ने गुरुवार को चंद्रभागा क्षेत्र में बड़े पैमाने पर अवैध अतिक्रमण हटाने की कार्रवाई की। जिलाधिकारी सविन बंसल के निर्देश पर एसडीएम ऋषिकेश एवं नगर आयुक्त ऋषिकेश के नेतृत्व में चलाए गए इस संयुक्त अभियान में गंगा किनारे बने 20 से अधिक अवैध अध्यासन और झोपड़ियों को ध्वस्त कर दिया गया।
प्रशासन को लगातार शिकायतें मिल रही थीं कि इन अवैध बस्तियों से निकलने वाला कच्चा सीवर सीधे गंगा नदी में छोड़ा जा रहा है, जिससे प्रदूषण बढ़ रहा था और स्थानीय लोगों में आक्रोश भी पनप रहा था।
शिकायतों के बाद डीएम के निर्देश पर कार्रवाई तेज
पिछले कई दिनों से जिलाधिकारी सविन बंसल को स्थानीय निवासियों और श्रद्धालुओं की तरफ से शिकायतें मिल रही थीं कि चंद्रभागा क्षेत्र में तेजी से अवैध झोपड़ियां बढ़ रही हैं और इनसे निकलने वाला प्रदूषित जल बिना किसी उपचार के सीधे गंगा में मिल रहा है।
गंगा की धारा में सीवर के प्रवाह की पुष्टि के बाद डीएम ने इसे बेहद गंभीर मानते हुए संबंधित अधिकारियों को तत्काल और सख्त कार्रवाई के निर्देश दिए।
इन निर्देशों के बाद राजस्व विभाग और नगर निगम ऋषिकेश की टीमें गुरुवार सुबह संयुक्त रूप से मौके पर पहुँचीं और पूरे क्षेत्र का विस्तृत निरीक्षण किया। निरीक्षण में पाया गया कि कई अवैध झोपड़ियां नदी की तलहटी तक बनाई गई थीं, जहाँ से मल-जल सीधे गंगा में गिर रहा था।
विस्तृत योजना के साथ उतरा प्रशासन, पर्याप्त पुलिस बल तैनात
एसडीएम ऋषिकेश योगेश कुमार तथा नगर आयुक्त गोपालराम बिनवाल के नेतृत्व में संयुक्त टीम ने कार्रवाई की तैयारियां पूरी कीं।
किसी भी तरह की अप्रिय स्थिति या विरोध से निपटने के लिए क्षेत्र में पर्याप्त पुलिस बल की तैनाती की गई। राजस्व कर्मचारियों और नगर निगम कर्मियों ने कानून-व्यवस्था बनाए रखते हुए अतिक्रमण को चिन्हित किया और मशीनों की मदद से उन्हें ध्वस्त कर दिया।
अभियान के दौरान अधिकारियों को यह भी जानकारी मिली कि कुछ अस्थायी ढांचों में अवैध जलनिकासी पाइप लगाए गए थे, जिनसे मल-जल प्रत्यक्ष रूप से नदी में छोड़ा जा रहा था। प्रशासन ने इसे “गंगा के सम्मान और पर्यावरण के लिए गंभीर खतरा” बताया।
गंगा संरक्षण सर्वोच्च प्राथमिकता — डीएम
अभियान की निगरानी कर रहे जिलाधिकारी सविन बंसल ने स्पष्ट किया कि गंगा की स्वच्छता और जल संरक्षण जिला प्रशासन की सर्वोच्च प्राथमिकताओं में शामिल है।
उन्होंने कहा:
“किसी भी प्रकार का अवैध अतिक्रमण, अवैध निर्माण, कचरा या सीवर निस्तारण की अनियमितता बर्दाश्त नहीं की जाएगी। गंगा नदी हमारी सांस्कृतिक आस्था की धुरी है और इसके संरक्षण पर किसी भी तरह का समझौता नहीं किया जा सकता।”
डीएम ने अधिकारियों को निर्देशित किया कि इस प्रकार के अतिक्रमण पर निरंतर निगरानी रखी जाए तथा भविष्य में कोई भी अवैध निर्माण दोबारा खड़ा न होने पाए, इसके लिए सख्त चौकन्नापन जरूरी है।
अभियान के बाद क्षेत्र की सफाई शुरू, आगे के लिए निगरानी बढ़ाई
नगर निगम ऋषिकेश और राजस्व विभाग ने बताया कि कार्रवाई के बाद प्रभावित क्षेत्र की नियमित सफाई कराई जा रही है, ताकि गंगा किनारे किसी भी प्रकार की गंदगी, मलबा या अवशेष न रह जाए।
इसके अलावा, भविष्य में दोबारा अतिक्रमण न हो, इसलिए क्षेत्र का चिन्हांकन कर निगरानी बढ़ाई जा रही है। निगम अधिकारियों का कहना है कि यदि दोबारा किसी भी व्यक्ति ने अतिक्रमण की कोशिश की तो उसके विरुद्ध कठोर कानूनी कार्रवाई सुनिश्चित की जाएगी।
स्थानीय लोगों ने जताया स्वागत
चंद्रभागा क्षेत्र के कई स्थानीय निवासियों ने प्रशासनिक कार्रवाई का स्वागत करते हुए कहा कि अवैध झोपड़ियों के कारण क्षेत्र में गंदगी, दुर्गंध और असुरक्षा की स्थिति बन रही थी। कई बार शिकायतें करने के बावजूद स्थिति जस की तस बनी हुई थी।
स्थानीय निवासियों का कहना है कि प्रशासन द्वारा उठाया गया यह कदम न केवल गंगा की पवित्रता को बचाने में सहायक होगा, बल्कि पूरे क्षेत्र को सुरक्षित और स्वच्छ बनाने की दिशा में भी महत्वपूर्ण है।
गंगा संरक्षण को लेकर प्रशासन का सख्त रुख
यह कार्रवाई जिला प्रशासन द्वारा चलाए जा रहे व्यापक स्वच्छता और अतिक्रमण-विरोधी अभियान का हिस्सा है।
गौरतलब है कि सरकार और स्थानीय निकाय गंगा स्वच्छता मिशन के तहत निरंतर विभिन्न कदम उठा रहे हैं, जिसमें अवैध जलनिकासी रोकना, कचरा प्रबंधन सुधारना, नदी तटों की सफाई और अवैध निर्माणों की पहचान कर उन्हें हटाना शामिल है।
डीएम ने यह भी चेतावनी दी कि गंगा तट पर किसी प्रकार का अतिक्रमण — चाहे वह निवास, व्यापार, झोपड़ी या संरचना के रूप में हो — कठोरता से हटाया जाएगा।
निष्कर्ष
चंद्रभागा क्षेत्र में 20 से अधिक अवैध अतिक्रमणों का ध्वस्तीकरण न केवल गंगा नदी में जा रहे सीवर को रोकने के लिए अहम कदम है, बल्कि प्रशासन के सख्त और प्रतिबद्ध रुख का भी उदाहरण है। प्रशासन का यह अभियान गंगा की पवित्र धारा को प्रदूषण-मुक्त करने, पर्यावरण सुरक्षा और शहर की स्वच्छता को नई दिशा देने की दिशा में महत्वपूर्ण और प्रभावी पहल माना जा रहा है।



