
देहरादून में राजस्व वसूली को तेज करने के लिए जिला प्रशासन ने बड़े बकायेदारों के खिलाफ कड़ा रुख अपनाते हुए सुभारती समूह पर अब तक की सबसे बड़ी कार्रवाई शुरू कर दी है। जिलाधिकारी के निर्देश पर लंबित बकाया वसूली के तहत लगभग ₹87.50 करोड़ की कुर्की प्रक्रिया आरंभ की गई है। प्रशासन ने साफ किया है कि बकाया राशि जमा न करने वालों के साथ—चाहे वे छोटे हों या बड़े—कानून के मुताबिक सख्ती बरती जाएगी।
प्रशासन के अनुसार, राजस्व सुरक्षा और सरकारी धन की हिफाजत के उद्देश्य से यह कदम उठाया गया है। बार-बार नोटिस जारी होने के बावजूद भुगतान न होने पर कुर्की वारंट जारी किए गए हैं। आने वाले दिनों में संस्थान के बैंक खातों को सीज करने और संपत्तियों की कुर्की जैसी कार्रवाई भी अमल में लाई जा सकती है।
मामला शैक्षणिक सत्र 2017–18 में प्रवेश लेने वाले द्वितीय बैच के 74 छात्रों से जुड़ा है, जिन्होंने उच्चतम न्यायालय में रिट याचिका दायर की थी। याचिका में आरोप था कि संस्थान में आवश्यक ढांचा उपलब्ध नहीं होने के कारण उनकी पढ़ाई बाधित हो रही है। इस पर एमसीआई ने भी अपने तथ्य प्रस्तुत किए थे और छात्रों को अन्य संस्थानों में स्थानांतरित करने की मांग उठी थी।
साल 2019 में उच्चतम न्यायालय ने निर्देश दिए कि कुल 300 छात्रों को राज्य के तीन राजकीय मेडिकल कॉलेजों में समायोजित किया जाए और उनसे केवल वही फीस ली जाए जो सरकारी कॉलेजों में लागू है। 12 अप्रैल 2019 के आदेश में कोर्ट ने इन निर्देशों की पुनः पुष्टि की थी। इन छात्रों के समायोजन के लिए आवश्यक ढांचा विकसित करने से राज्य सरकार पर अतिरिक्त वित्तीय बोझ पड़ा, जबकि संस्था ने छात्रों से शुल्क वसूल रखा था।
करीब छह वर्षों तक शुल्क लेने के बावजूद ढांचा उपलब्ध न कराना अब संस्थान पर भारी पड़ता दिख रहा है। चिकित्सा शिक्षा निदेशक की सिफारिश पर जिलाधिकारी ने वसूली वारंट जारी किए हैं और संपूर्ण बकाया वसूलने के निर्देश दिए गए हैं।
जिलाधिकारी सविन बंसल ने स्पष्ट किया कि राजस्व हानि किसी भी सूरत में स्वीकार्य नहीं है। उन्होंने सभी राजस्व अधिकारियों को बड़े बकायेदारों की सूची तैयार कर प्राथमिकता के आधार पर कार्रवाई करने, दैनिक प्रगति रिपोर्ट देने और जरूरत पड़ने पर बैंक खाता सीज, कुर्की व अन्य कानूनी कदम उठाने के निर्देश दिए हैं। डीएम ने दो टूक कहा कि जनता के धन का दुरुपयोग करने वालों को किसी भी हाल में बख्शा नहीं जाएगा।



