
मंडी/शिमला। हिमाचल प्रदेश में इस बार का मानसून आफत बनकर टूटा है। राज्यभर में अब तक बारिश, भूस्खलन और बादल फटने जैसी घटनाओं में 105 लोगों की मौत, 35 लोग लापता और 184 लोग घायल हो चुके हैं। सरकारी आंकड़ों के मुताबिक, प्रदेश को अब तक 786 करोड़ रुपये से अधिक की संपत्ति का नुकसान हो चुका है।
मौसम विभाग ने हालात के और बिगड़ने की चेतावनी जारी की है। 20 जुलाई 2025 तक भारी बारिश की आशंका जताई गई है। इसके चलते 15 जुलाई को शिमला, सोलन और सिरमौर में ऑरेंज अलर्ट, जबकि बिलासपुर, कांगड़ा, कुल्लू और मंडी में येलो अलर्ट घोषित किया गया है। 16 से 18 जुलाई तक भी कई जिलों में भारी बारिश का खतरा बना रहेगा।
डैम का गेट खोलना पड़ा, गिरि-यमुना का जलस्तर बढ़ा
सोमवार को भी कई हिस्सों में तेज बारिश हुई। सिरमौर के राजगढ़ में 72 मिमी, खदराला में 42 मिमी, और मंडी में 26 मिमी बारिश दर्ज की गई। गिरि जटोंन डैम का जलस्तर खतरे के निशान से ऊपर पहुंचने पर गेट खोलना पड़ा, जिससे गिरि और यमुना नदियों का जलस्तर भी तेजी से बढ़ा है। सिरमौर प्रशासन ने मैदानी इलाकों के लिए अलर्ट जारी कर दिया है।
मंडी जिला सबसे ज्यादा प्रभावित
राज्य आपदा प्रबंधन केंद्र के अनुसार:
- 192 सड़कें बंद
- 65 ट्रांसफार्मर ठप
- 745 पेयजल योजनाएं प्रभावित
इनमें सबसे ज्यादा मंडी जिला प्रभावित हुआ है:
- 146 सड़कें बंद
- 59 ट्रांसफार्मर ठप
- 133 जल योजनाएं बाधित
कांगड़ा में 612 जल योजनाएं ठप पड़ी हैं। मौतों के आंकड़े इस प्रकार हैं:
- मंडी – 21
- कांगड़ा – 17
- कुल्लू – 11
- चंबा – 9
- हमीरपुर, बिलासपुर, ऊना – 8-8
राज्यभर में अब तक 1,046 मकान, 188 दुकानें और 798 गौशालाएं क्षतिग्रस्त हुई हैं। अकेले मंडी में 856 घर, 166 दुकानें और 644 गौशालाएं प्रभावित हुई हैं।
22 बादल फटे, कृषि और पशुपालन को भारी नुकसान
राज्य में अब तक:
- 22 बादल फटने की घटनाएं
- 31 फ्लैश फ्लड
- 18 बड़े भूस्खलन दर्ज हुए हैं।
30 जून की रात मंडी में एक ही रात 12 जगह बादल फटने की घटना ने हालात को और भयावह बना दिया।
21,500 पोल्ट्री पक्षी और 954 अन्य मवेशी मारे गए हैं। विभागीय स्तर पर सबसे ज्यादा नुकसान जल शक्ति विभाग (414 करोड़ रु) और लोक निर्माण विभाग (345 करोड़ रु) को हुआ है।