
नई दिल्ली, 11 अगस्त 2025: भारतीय संसद के मानसून सत्र के दौरान सोमवार को लोकसभा ने आयकर संबंधी एक ऐतिहासिक विधेयक को मंजूरी दे दी, जो देश में कराधान व्यवस्था में बड़ा बदलाव लाने वाला है। यह आयकर (संख्यांक 2) विधेयक, 2025 पुराने आयकर अधिनियम, 1961 की जगह लेगा। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने इस विधेयक को सदन में पारित कराने के लिए पेश किया, जिसे विपक्ष के विरोध और नारेबाजी के बीच ध्वनिमत से स्वीकृति मिल गई।
विपक्ष का हंगामा, सरकार का ‘बड़े सुधार’ का दावा
विधेयक पेश किए जाने के दौरान सदन में बिहार में चल रहे मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) और कथित ‘वोट चोरी’ के मुद्दे पर विपक्षी दलों के सांसदों ने जमकर नारेबाजी की। हालांकि, वित्त मंत्री ने विपक्ष के शोर-शराबे के बीच अपनी बात रखते हुए कहा कि यह नया कानून देश की कर प्रणाली को अधिक पारदर्शी, सरल और समयानुकूल बनाने की दिशा में एक बड़ा कदम है।
सरकार का दावा है कि इस विधेयक में प्रवर समिति की लगभग सभी सिफारिशें शामिल की गई हैं, ताकि करदाताओं को अनावश्यक कानूनी पेचीदगियों से राहत मिल सके और टैक्स संग्रहण प्रक्रिया अधिक प्रभावी हो।
कराधान कानून में भी संशोधन
साथ ही, लोकसभा ने कराधान कानून (संशोधन) विधेयक, 2025 को भी मंजूरी दे दी है। वित्त मंत्री के अनुसार, दोनों विधेयकों का उद्देश्य कर प्रणाली में सुधार, कर चोरी पर अंकुश, और डिजिटल युग की आवश्यकताओं के अनुरूप कानूनी ढांचा तैयार करना है।
1961 का कानून अब इतिहास
भारत का आयकर अधिनियम, 1961 पिछले छह दशकों से लागू था। इस दौरान देश की आर्थिक संरचना, व्यापार के स्वरूप, और डिजिटल वित्तीय लेन-देन में भारी बदलाव आया है। विशेषज्ञों का मानना है कि पुराने कानून में कई प्रावधान ऐसे थे, जो आज की परिस्थितियों में प्रासंगिक नहीं रह गए थे। नया विधेयक इन्हीं चुनौतियों को ध्यान में रखते हुए तैयार किया गया है।
चार प्रमुख बदलाव जिन पर नज़र रखना ज़रूरी होगा –
- डिजिटल फाइलिंग में सुधार: टैक्स रिटर्न भरने की प्रक्रिया को पूरी तरह डिजिटल और तेज़ बनाया जाएगा।
- छोटे करदाताओं को राहत: छोटे और मध्यम करदाताओं के लिए छूट सीमा और सरलीकरण के प्रावधान।
- सख्त कार्रवाई का प्रावधान: कर चोरी और गलत जानकारी देने वालों के लिए कठोर दंड।
- कर दरों की पुनर्संरचना: आय वर्ग के अनुसार कर दरों को अधिक न्यायसंगत बनाने के उपाय।
विपक्ष की प्रतिक्रिया
विपक्ष ने विधेयक पारित करने की प्रक्रिया पर सवाल उठाते हुए आरोप लगाया कि सरकार ने बिना पर्याप्त चर्चा और बहस के इसे पारित कर जल्दबाजी दिखाई है। विपक्षी दलों का कहना है कि इतने बड़े बदलाव से पहले व्यापक जन परामर्श होना चाहिए था।
आगे की राह
लोकसभा से पारित होने के बाद यह विधेयक अब राज्यसभा में पेश किया जाएगा। राज्यसभा से मंजूरी और राष्ट्रपति की स्वीकृति मिलने के बाद यह आधिकारिक रूप से लागू हो जाएगा।
आज की कार्यवाही के बाद लोकसभा को कल तक के लिए स्थगित कर दिया गया।