
देहरादून, 4 अगस्त 2025। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने सोमवार को सचिवालय परिसर में ‘मुख्यमंत्री सशक्त बहना उत्सव योजना’ के तहत राज्य स्तरीय कार्यक्रम का शुभारंभ किया। यह योजना राज्य के सभी 95 विकासखंडों में एक साथ प्रारंभ की गई है। इस अवसर पर महिला स्वयं सहायता समूहों (SHGs) द्वारा रक्षाबंधन पर्व के मद्देनज़र लगाए गए स्थानीय उत्पादों के स्टॉलों का भी मुख्यमंत्री ने निरीक्षण किया।
कार्यक्रम के दौरान महिला समूहों से जुड़ी बहनों ने मुख्यमंत्री को राखी बांधकर रक्षाबंधन की परंपरा निभाई, जिस पर मुख्यमंत्री ने उन्हें अग्रिम शुभकामनाएं और बधाई दी। उन्होंने महिला समूहों के कार्यों की खुले मंच से सराहना करते हुए कहा कि उत्तराखंड की महिलाएं स्वरोजगार और स्वालंबन का प्रतीक बन चुकी हैं।
मातृशक्ति को अवसर मिले तो बदल सकती है प्रदेश की तस्वीर: सीएम धामी
मुख्यमंत्री धामी ने अपने संबोधन में कहा कि,
“उत्तराखंड की महिलाओं ने यह प्रमाणित कर दिया है कि यदि उन्हें अवसर, संसाधन और सहयोग मिल जाए, तो वे न केवल खुद को सशक्त बना सकती हैं, बल्कि परिवार, समाज और प्रदेश के विकास में भी निर्णायक भूमिका निभा सकती हैं।”
उन्होंने बताया कि राज्य में अब तक 1 लाख 63 हजार से अधिक महिलाएं ‘लखपति दीदी’ के रूप में सामने आई हैं, जो महिला सशक्तिकरण की जीवंत मिसाल हैं।
स्थानीय उत्पादों की मार्केटिंग के लिए मजबूत ढांचा तैयार
मुख्यमंत्री ने बताया कि राज्य सरकार ने महिला समूहों द्वारा उत्पादित वस्तुओं की प्रोसेसिंग, पैकेजिंग और मार्केटिंग के लिए एक मजबूत इकोसिस्टम विकसित किया है। इसके तहत 49 ग्रोथ सेंटर्स स्थापित किए गए हैं, जो स्थानीय उत्पादों को बाजार से जोड़ने का मजबूत माध्यम बन रहे हैं।
उन्होंने यह भी कहा कि रक्षाबंधन जैसे पर्वों पर इन समूहों द्वारा बनाए गए उत्पादों की स्थानीय और डिजिटल प्लेटफॉर्म पर बिक्री से महिलाओं की आर्थिक आत्मनिर्भरता को और बल मिलेगा।
अतिथि और अधिकारी भी रहे उपस्थित
इस राज्य स्तरीय कार्यक्रम में विधायक मुन्ना सिंह चौहान, ग्राम्य विकास विभाग के वरिष्ठ अधिकारी, और राज्य के विभिन्न स्वयं सहायता समूहों से जुड़ी महिला उद्यमी बड़ी संख्या में उपस्थित रहीं।
इस आयोजन के माध्यम से उत्तराखंड सरकार ने यह स्पष्ट संदेश दिया है कि महिला सशक्तिकरण केवल एक नारा नहीं, बल्कि ठोस कार्रवाई है। ‘सशक्त बहना उत्सव योजना’ न सिर्फ़ एक कार्यक्रम है, बल्कि एक व्यापक सामाजिक-आर्थिक आंदोलन है, जो राज्य की मातृशक्ति को आत्मनिर्भरता की ओर ले जा रहा है।