
नई दिल्ली: कांग्रेस अध्यक्ष और राज्यसभा सांसद मल्लिकार्जुन खरगे को केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (CRPF) ने एक गंभीर पत्र लिखा है। इसमें लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष और कांग्रेस सांसद राहुल गांधी पर सुरक्षा प्रोटोकॉल का पालन न करने और बार-बार उसका उल्लंघन करने का आरोप लगाया गया है।
सीआरपीएफ के वीवीआईपी सुरक्षा प्रमुख सुनील जून ने यह पत्र 10 सितंबर को जारी किया। इसमें साफ कहा गया है कि राहुल गांधी, जो रायबरेली से सांसद हैं और जिन्हें Z+ श्रेणी की सुरक्षा प्राप्त है, अपनी सुरक्षा को गंभीरता से नहीं ले रहे।
रायबरेली दौरे के दौरान सुरक्षा उल्लंघन
यह घटनाक्रम राहुल गांधी के हालिया रायबरेली दौरे के बाद सामने आया है। रिपोर्ट्स के मुताबिक, दौरे के दौरान उनके सुरक्षा घेरे में कई खामियां पाई गईं। सुरक्षा एजेंसियों का कहना है कि राहुल गांधी ने कई मौकों पर सीआरपीएफ की टीम के निर्देशों को नज़रअंदाज़ किया, जिससे न केवल उनकी सुरक्षा बल्कि पूरे काफिले की सुरक्षा खतरे में पड़ी।
विदेश दौरों की पहले जानकारी नहीं दी जाती
पत्र में राहुल गांधी के विदेश दौरों का भी ज़िक्र है। सुनील जून ने लिखा है कि पिछले 9 महीनों में राहुल गांधी 6 विदेशी दौरों पर गए, लेकिन इनमें से किसी भी दौरे की जानकारी सीआरपीएफ को पहले से नहीं दी गई।
सुरक्षा प्रोटोकॉल के मुताबिक, किसी भी वीवीआईपी को विदेश यात्रा पर जाने से कम से कम 15 दिन पहले सुरक्षा एजेंसी को सूचित करना होता है। यह इसलिए ज़रूरी है ताकि एजेंसी गंतव्य देश की सुरक्षा व्यवस्था और स्थानीय एजेंसियों के साथ समन्वय कर सके। लेकिन कांग्रेस सांसद के विदेश दौरों के दौरान यह नियम तोड़ा गया, जिससे सुरक्षा टीम को भारी दिक्कतों का सामना करना पड़ा।
Z+ सुरक्षा प्रोटोकॉल क्या है?
राहुल गांधी देश के चुनिंदा नेताओं में शामिल हैं जिन्हें Z+ श्रेणी की सुरक्षा प्रदान की गई है। इस श्रेणी के तहत:
- लगभग 10-12 सशस्त्र कमांडो हर समय सुरक्षा में तैनात रहते हैं।
- एजेंसी अग्रिम रूप से (ASL) उस स्थान का निरीक्षण करती है जहां नेता का दौरा होना है।
- सुरक्षा एजेंसी स्थानीय पुलिस और प्रशासन के साथ समन्वय बनाती है।
ऐसे में अगर सुरक्षा टीम को जानकारी समय पर न दी जाए तो सुरक्षा जोखिम कई गुना बढ़ जाता है।
मलेशिया दौरे पर उठा विवाद
हाल ही में राहुल गांधी की मलेशिया यात्रा पर भी विवाद हुआ था। भाजपा ने इस दौरे को “उपराष्ट्रपति चुनाव के बीच छुट्टी मनाना” करार देते हुए उन पर निशाना साधा था। सोशल मीडिया पर उनकी कुछ तस्वीरें भी वायरल हुईं, जिनमें वे बिना किसी सुरक्षा कवच के विदेशी धरती पर घूमते दिखाई दे रहे थे।
यह मामला अब विपक्ष और सत्ता पक्ष के बीच राजनीतिक बहस का नया मुद्दा बन गया है।
राहुल गांधी के खिलाफ भाजपा कार्यकर्ताओं का विरोध
राहुल गांधी को हाल ही में रायबरेली दौरे के दौरान भाजपा कार्यकर्ताओं के विरोध का भी सामना करना पड़ा।
- प्रदर्शनकारियों ने ‘राहुल गांधी वापस जाओ’ के नारे लगाए।
- उन्होंने राजमार्ग को अवरुद्ध कर दिया।
- पुलिस ने प्रदर्शनकारियों को तितर-बितर करने की कोशिश की, लेकिन राहुल गांधी का काफिला करीब 15 मिनट तक फंसा रहा।
आखिरकार पुलिस ने कड़ी मशक्कत के बाद प्रदर्शनकारियों को हटाया, जिसके बाद काफिला आगे बढ़ सका।
कांग्रेस की प्रतिक्रिया?
हालांकि अब तक कांग्रेस पार्टी की ओर से सीआरपीएफ के इस पत्र पर कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है। लेकिन पार्टी सूत्रों का कहना है कि यह मामला राजनीतिक दबाव का हिस्सा है। उनका तर्क है कि राहुल गांधी विपक्ष के सबसे बड़े चेहरे के तौर पर लगातार भाजपा पर हमला बोलते हैं, ऐसे में उनके खिलाफ सुरक्षा उल्लंघन का मुद्दा उठाना केवल ध्यान भटकाने की रणनीति है।
विशेषज्ञों की राय
सुरक्षा मामलों के जानकार मानते हैं कि चाहे कोई भी नेता हो, वीवीआईपी सुरक्षा प्रोटोकॉल का पालन करना बेहद ज़रूरी है। अगर इसमें बार-बार ढिलाई बरती जाए तो न केवल उस नेता की जान खतरे में पड़ सकती है, बल्कि पूरी सुरक्षा व्यवस्था पर सवाल उठ सकते हैं।
सीआरपीएफ का यह पत्र राहुल गांधी की सुरक्षा को लेकर गंभीर सवाल खड़े करता है। बार-बार विदेश यात्राओं की जानकारी न देना, सुरक्षा घेरे में ढिलाई बरतना और प्रोटोकॉल का उल्लंघन करना एक बड़े खतरे का संकेत है।
जहां भाजपा इस मुद्दे पर कांग्रेस नेता पर निशाना साध रही है, वहीं कांग्रेस इसे राजनीति से प्रेरित बताकर बचाव की कोशिश कर रही है। आने वाले दिनों में यह देखना अहम होगा कि राहुल गांधी और कांग्रेस पार्टी इस पत्र पर क्या रुख अपनाती है और क्या सुरक्षा एजेंसियां उनके लिए और सख्त कदम उठाती हैं।