
चमोली : उत्तराखंड के प्रसिद्ध बदरीनाथ धाम के कपाट आज प्रातः 6 बजे विधिपूर्वक आम श्रद्धालुओं के लिए खोल दिए गए। इसके साथ ही इस वर्ष की चारधाम यात्रा का एक महत्वपूर्ण अध्याय प्रारंभ हो गया। भगवान बदरी-विशाल के दर्शन के लिए धाम में श्रद्धालुओं की भारी भीड़ उमड़ पड़ी और पूरा परिसर ‘जय बदरी विशाल’ के नारों से गूंज उठा।
मंदिर को 15 क्विंटल रंग-बिरंगे फूलों से भव्य रूप से सजाया गया, जिसने इसकी दिव्यता और भव्यता को और भी निखार दिया। मंदिर का सिंहद्वार और मुख्य गर्भगृह का सौंदर्य श्रद्धालुओं को मंत्रमुग्ध कर रहा है।
कपाटोद्घाटन के शुभ मुहूर्त में तीर्थ पुरोहितों, रावल जी, धर्माधिकारी और वेदपाठियों ने वैदिक विधियों से पूजा-अर्चना की। माता लक्ष्मी की मूर्ति को गर्भगृह से निकालकर विधिपूर्वक परिक्रमा कराकर लक्ष्मी मंदिर में विराजमान किया गया। इसके बाद भगवान कुबेर और उद्धव जी को बदरी विशाल मंदिर के गर्भगृह में स्थापित किया गया।
भगवान विष्णु की चतुर्भुज मूर्ति को पारंपरिक रूप से घृत कंबल से अलग कर उनका विशेष अभिषेक (स्नान) किया गया और फिर भव्य श्रृंगार के साथ भक्तों के दर्शन हेतु प्रस्तुत किया गया। अब अगले छह महीनों तक श्रद्धालु यहां उद्धव, कुबेर, नारद और नर-नारायण के साथ भगवान विष्णु के दर्शन कर सकेंगे।
देश के कोने-कोने से हजारों श्रद्धालु इस पावन अवसर पर बदरीनाथ पहुंचे। मुख्य मंदिर के साथ-साथ मंदिर परिक्रमा क्षेत्र स्थित गणेश, घटाकर्ण, आदि केदारेश्वर और आदि गुरु शंकराचार्य मंदिरों के कपाट भी खोल दिए गए हैं।
मान्यता है कि बदरीनाथ धाम में ग्रीष्मकालीन छह महीनों में मनुष्य भगवान विष्णु की आराधना करते हैं, जबकि शीतकालीन छह महीनों में स्वयं देवता उनकी उपासना करते हैं। इन महीनों में देवर्षि नारद मुख्य पुजारी माने जाते हैं।
बदरीनाथ धाम के कपाट खुलने के साथ ही उत्तराखंड में धार्मिक और पर्यटन गतिविधियों का केंद्र फिर एक बार सजीव हो गया है, जो आने वाले महीनों में लाखों श्रद्धालुओं की आस्था और यात्रा का गवाह बनेगा।