
उत्तराखंड हाईकोर्ट में ऋषिकेश क्षेत्र में हो रहे अनाधिकृत निर्माण को लेकर दायर एक याचिका पर सुनवाई हुई। मुख्य न्यायाधीश जी.एस. नरेंद्र और न्यायमूर्ति आलोक कुमार मेहरा की खंडपीठ ने इस मामले की सुनवाई की। कोर्ट के निर्देश पर गढ़वाल मंडलायुक्त वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के ज़रिए अदालत में उपस्थित हुए और उन्होंने यह स्वीकार किया कि कुछ मामलों में कंपाउंडिंग की प्रक्रिया में त्रुटियां हुई हैं। उन्होंने इस गलती को सुधारने के लिए कोर्ट से 30 दिनों का समय मांगा।
कोर्ट ने इस पर संतोष व्यक्त करते हुए मसूरी-देहरादून विकास प्राधिकरण (MDDA) को निर्देश दिया कि बिना स्वीकृत नक्शे के किसी भी निर्माण की कंपाउंडिंग नहीं की जा सकती। इसके लिए पहले स्थल का निरीक्षण और अनुमोदन आवश्यक है। अदालत ने स्पष्ट किया कि केवल कार्यालय में बैठकर की गई कंपाउंडिंग नियमों के विपरीत है। इसी तरह के मामलों को सुधारने के लिए अधिकारियों को एक महीने का समय दिया गया है।
यह मामला ऋषिकेश निवासी पंकज अग्रवाल और अन्य द्वारा दायर याचिका से जुड़ा है, जिसमें यह आरोप लगाया गया है कि कई लोग स्वीकृत नक्शे के विरुद्ध जाकर निर्माण कर रहे हैं। याचिका में कहा गया कि एमडीडीए ने शुरुआत में इन निर्माणों पर कार्रवाई करते हुए उन्हें सील किया था, लेकिन बाद में प्राधिकरण के एक अवर अभियंता द्वारा सील हटाकर उन निर्माणों को कंपाउंड कर नक्शा स्वीकृत कर दिया गया।
याचिकाकर्ताओं ने मांग की है कि अवैध निर्माणों पर कठोर कार्रवाई हो और पर्यावरण को बचाने के लिए आवश्यक कदम उठाए जाएं। याचिका में यह भी उल्लेख किया गया है कि इस तरह के अनियमित निर्माण न केवल ऋषिकेश में बल्कि देहरादून और मसूरी जैसे क्षेत्रों में भी जारी हैं।