
कराची/इस्लामाबाद – जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद भारत की सख्त प्रतिक्रिया की आशंका के चलते पाक अधिकृत कश्मीर (PoK) में राजनीतिक और प्रशासनिक हलचल तेज़ हो गई है। पाकिस्तान सरकार और PoK प्रशासन ने नियंत्रण रेखा (LoC) से सटे 13 संवेदनशील निर्वाचन क्षेत्रों में आपात तैयारियाँ शुरू कर दी हैं।
आक्रमण का डर, भारत पर लगाए गंभीर आरोप
पाकिस्तान के उप प्रधानमंत्री इशाक डार ने हालिया प्रेस कॉन्फ्रेंस में दावा किया कि भारत ‘निकट भविष्य में हमला कर सकता है’ और इसके ‘विश्वसनीय इनपुट’ पाकिस्तान सरकार के पास हैं। उन्होंने अंतरराष्ट्रीय समुदाय से भी हस्तक्षेप की अपील की है। डार के बयान के बाद प्रधानमंत्री चौधरी अनवर उल हक ने PoK विधानसभा में कहा कि LoC से सटे क्षेत्रों में दो महीनों का खाद्य भंडारण सुनिश्चित किया जा रहा है।
1 अरब रुपए का आपात कोष, मदरसे बंद
PoK प्रशासन ने आपात स्थिति के लिए 1 अरब पाकिस्तानी रुपए का विशेष कोष बनाया है, जिससे दवाइयाँ, खाद्यान्न और आवश्यक वस्तुएँ जुटाई जा रही हैं। सड़कों के रखरखाव हेतु सरकारी और निजी मशीनरी की तैनाती भी की गई है। सैन्य तनाव की आशंका के चलते 10 दिनों के लिए 1,000 से अधिक मदरसों को बंद कर दिया गया है।
भारत की प्रतिक्रिया: सैन्य छूट और कठोर नीति
भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हाल ही में उच्च स्तरीय सुरक्षा बैठक में आतंकवाद के खिलाफ सेना को ‘खुली छूट’ देने की घोषणा की थी। रक्षा विशेषज्ञों का मानना है कि भारत अब सीमा पार से होने वाली आतंकी गतिविधियों के विरुद्ध ‘रूढ़ नीतियों से अलग’, निर्णायक कार्रवाई कर सकता है।
राजनीतिक विश्लेषण: क्या PoK पर भारत की नीति बदल रही है?
पिछले कुछ वर्षों में भारत सरकार की बयानबाज़ी में PoK को लेकर बदलाव स्पष्ट दिखता है। रक्षा मंत्री और गृहमंत्री दोनों यह संकेत दे चुके हैं कि पीओके भारत का अभिन्न अंग है और एक दिन इसे भारत में सम्मिलित किया जाएगा। यदि सैन्य कार्रवाई होती है, तो यह पहली बार नहीं होगा जब भारत ने आतंकवाद के जवाब में सीमापार जाकर कार्रवाई की हो — सर्जिकल स्ट्राइक (2016) और बालाकोट एयर स्ट्राइक (2019) इसके उदाहरण हैं।
निष्कर्ष: हालात गंभीर लेकिन संवाद का रास्ता अब भी खुला
स्थिति बेहद संवेदनशील है और दोनों देशों के लिए संयम और कूटनीतिक विवेक ही समाधान का मार्ग प्रशस्त कर सकते हैं। हालाँकि, भारत की नीति स्पष्ट है — आतंकवाद के खिलाफ ‘ज़ीरो टॉलरेंस’। यदि पाकिस्तान स्थित आतंकी ढाँचे भारत पर हमले जारी रखते हैं, तो जवाबी कार्रवाई की आशंका से इनकार नहीं किया जा सकता।