
देहरादून, 21 अक्टूबर 2025 | उत्तराखंड ने इस वर्ष दिवाली के अवसर पर वायु गुणवत्ता (Air Quality) में उल्लेखनीय सुधार दर्ज किया है। जहां देश के अधिकांश राज्यों में दीपावली की रात वायु प्रदूषण के स्तर में वृद्धि हुई, वहीं उत्तराखंड के प्रमुख शहरों की हवा पहले से कहीं अधिक स्वच्छ रही।
तकनीकी नवाचारों, प्रशासनिक सतर्कता और नागरिकों के सहयोग ने इस बार “ग्रीन दिवाली” को साकार रूप दिया।
राज्यभर में AQI स्तर ‘मध्यम से संतोषजनक’ श्रेणी में
उत्तराखंड प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (UKPCB) के अनुसार, दिवाली (20 अक्टूबर 2025) की रात राज्य के अधिकांश शहरों में एयर क्वालिटी इंडेक्स (AQI) मध्यम या संतोषजनक श्रेणी में रहा।
| शहर | 2025 AQI | श्रेणी | 
|---|---|---|
| देहरादून | 128 | मध्यम | 
| ऋषिकेश | 54 | संतोषजनक | 
| टिहरी | 66 | संतोषजनक | 
| काशीपुर | 168 | मध्यम | 
| रुड़की | 190 | मध्यम | 
| हल्द्वानी | 198 | मध्यम | 
| नैनीताल | 111 | मध्यम | 
जबकि पिछले वर्ष (2024) दिवाली पर कई शहरों में हवा “खराब” श्रेणी में थी — देहरादून 269, काशीपुर 269 और ऋषिकेश 175 तक पहुंच गए थे।
मुख्यमंत्री धामी बोले — “तकनीक और जनभागीदारी से संभव हुआ सुधार”
मुख्यमंत्री श्री पुष्कर सिंह धामी ने राज्य के इस प्रदर्शन को “सामूहिक जिम्मेदारी और जनसहयोग की मिसाल” बताया।
“हमारा लक्ष्य केवल त्योहारों में नहीं, बल्कि पूरे वर्ष स्वच्छ वायु सुनिश्चित करना है। इस वर्ष के परिणाम यह साबित करते हैं कि नवाचार, जागरूकता और सामूहिक भागीदारी से वास्तविक परिवर्तन संभव है,”
— मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी
ड्रोन और आधुनिक मशीनों ने किया वायु शुद्धिकरण में सहयोग
उत्तराखंड प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (UKPCB) के अध्यक्ष श्री आर.के. सुधांशु ने बताया कि इस सफलता में तकनीकी हस्तक्षेपों ने निर्णायक भूमिका निभाई।
“ड्रोन आधारित वॉटर स्प्रिंकलिंग, यांत्रिक स्वीपिंग मशीनें और विद्यालयों-कॉलेजों में चलाए गए जन-जागरूकता अभियानों ने ठोस असर दिखाया है,”
— आर.के. सुधांशु, अध्यक्ष, UKPCB
देहरादून में ड्रोन से जल छिड़काव के माध्यम से PM₁₀ स्तर को प्रभावी रूप से नियंत्रित किया गया। वहीं देहरादून और ऋषिकेश में CPCB और भारत सरकार के सहयोग से क्रय की गई आधुनिक स्वीपिंग मशीनों ने सड़कों की धूल में उल्लेखनीय कमी की।
‘ग्रीन दिवाली-क्लीन दिवाली’ अभियान से बदली जनता की सोच
विद्यालयों और महाविद्यालयों में चलाए गए ‘ग्रीन दिवाली-क्लीन दिवाली’ अभियानों ने इस बदलाव में अहम भूमिका निभाई।
नागरिकों को पर्यावरण अनुकूल दीपावली मनाने, पटाखों के सीमित उपयोग और मिट्टी के दीयों को अपनाने के लिए प्रेरित किया गया।
जन-जागरूकता अभियानों का सीधा असर यह रहा कि इस बार राज्य में आतिशबाजी का स्तर पिछले वर्षों की तुलना में काफी कम रहा।
अन्य राज्यों से बेहतर प्रदर्शन
जहां राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में AQI 351 (अत्यंत खराब), लखनऊ में 250, पटना में 226 और भोपाल में 235 दर्ज किया गया, वहीं उत्तराखंड के शहर “मध्यम” श्रेणी में रहे।
यह न केवल राज्य की पर्यावरणीय प्रतिबद्धता, बल्कि प्रशासनिक दक्षता और नागरिक जिम्मेदारी का उदाहरण भी है।
स्वच्छ सर्वेक्षण 2025 में भी उत्तराखंड का प्रदर्शन बेहतर
उत्तराखंड के देहरादून और ऋषिकेश शहरों ने हाल ही में आयोजित स्वच्छ सर्वेक्षण 2025 में अपने प्रदर्शन में उल्लेखनीय सुधार किया है। यह उपलब्धि राज्य की “स्वच्छ, हरित और सतत विकासशील” दृष्टि को मजबूत करती है।
‘क्लीन हिल्स, ग्रीन फ्यूचर’ की दिशा में उत्तराखंड अग्रसर
इस वर्ष की दिवाली ने यह साबित किया कि तकनीक, नीति और नागरिक भागीदारी का संगम किसी भी राज्य को स्वच्छ पर्यावरण की दिशा में अग्रसर कर सकता है।
उत्तराखंड की यह सफलता न केवल दूसरे राज्यों के लिए एक आदर्श मॉडल है, बल्कि आने वाले वर्षों में राष्ट्रीय स्वच्छ वायु अभियान (NCAP) के लक्ष्यों को प्राप्त करने की दिशा में एक सकारात्मक संकेत भी है.
 
				


