Ponzi Scam: पोंजी स्कीम मामले में ईडी ने तमिलनाडु की तिरुचिरापल्ली स्थित प्रणव ज्वेलर्स के ठिकानों पर छापेमारी की. इस कार्रवाई के बाद ED अब दक्षिण के अभिनेता प्रकाश राज से पूछताछ करेगी. जानिए क्या है पोंजी स्कीम, कहां से आया यह नाम, प्रणव ज्वैलर्स ने ऐसा क्या किया कि ईडी ने शिकंजा कसा और प्रकाश राज क्यों फंसे? पोंजी स्कीम फिर चर्चा में है. पोंजी स्कीम मामले में ईडी ने तमिलनाडु की तिरुचिरापल्ली स्थित प्रणव ज्वैलर्स के ठिकानों पर छापेमारी की. इस कार्रवाई के बाद ED अब दक्षिण के अभिनेता प्रकाश राज से पूछताछ करेगी. ज्वैलर्स पर कार्रवाई के बाद अब ईडी ने प्रकाश राज को समन भेजकर तलब किया है. अब जांच एजेंसी उनसे पूछताछ करेगी.
ED ने प्रकाश राज को समन क्यों भेजा?
देश के जाने माने एक्टर प्रकाश राज को प्रवर्तन निदेशालय ने पूछताछ के लिए समन जारी कर दिया है. उन्हें चेन्नई में अगले 10 दिनों के भीतर ED के समक्ष पेश होने को कहा है. यह मामला प्रणव ज्वैलर्स मनी लॉन्ड्रिंग केस से जुड़ा हुआ है. इस पोंजी स्कीम घोटाले मामले में ईडी ने तमिलनाडु के त्रिची के मशहूर प्रणव ज्वेलर्स के यहां छापा मारा था. यहां छापेमारी के बाद जांच एजेंसी ने उन्हें नोटिस जारी किया है. क्योकि प्रणव ज्वेलर्स का एंड्रोसेमेंट प्रकाश राज करते हैं. पता चला है कि संघीय एजेंसी ने यह जानकारी हासिल करने के लिए प्रकाश राज को समन जारी किया है कि क्या उन्हें प्रणव ज्वैलर्स से भुगतान प्राप्त हुआ.
प्रणव ज्वैलर्स का क्या मामला है?
तमिलनाडु के प्रणव ज्वैलर्स पर आरोप लगा है कि उन्होंने ग्राहकों को सोने में निवेश के जरिए अच्छा रिटर्न देने की बात कही थी. इस तरह ज्यादा फायदा देने के नाम पर प्रणव ज्वैलर्स ने ग्राहकों से 100 करोड़ रुपए इकट्ठा कर लिए. इसके बाद में न तो लोगों को रिटर्न मिला और न ही लोगों के पैसे वापस किए गए. शुरुआती जांच रिपोर्ट में पता चला कि यह कंपनी लोगों से पैसे इकट्ठे करके शैल कंपनियों को डायवर्ट कर देती थी. शैल कंपनियां ऐसी कंपनी होती है जो संदिग्ध होती है. आमतौर पर ये मनी लॉन्डिंग के लिए अवैध फंड का इस्तेमाल करती हैं. देश में कई शैल कंपनियों से जुड़े मामले पहले भी सामने आ चुके हैं.
पोंजी स्कीम (Ponzi Scam) क्या है?
यह एक ऐसी स्कीम होती हैं जिसमें निवेशकों को बिना किसी जोखिम के बड़ा मुनाफा देने का लालच दिया जाता है. जोखिम न होने के कारण लोग आसानी से ऐसी योजनाओं से जुड़ते हैं. कई मामलों में शुरुआती निवेशकों को कुछ रिटर्न देकर योजना को प्रचारित कराया जाता है ताकि ज्यादा से ज्यादा लोग इससे जुड़ें. इनके रिटर्न को देखकर नए निवेशक इससे जुड़ते जाते हैं. लेकिन जब निवेशकों की संख्या घटने लगती हैं और पैसे निवेश होना बंद हो जाता है तो योजना पर सवाल उठते हैं तो स्कीम का पर्दाफाश होता है.
इसका नाम पोंजी (Ponzi) कैसे पड़ा?
पोंजी स्कीम का यह नाम इटली के बिजनेसमैन चार्ल्स पोंजी के नाम पर पड़ा. ऐसी योजना जिसमें निवेशकों से झूठे वादे बोलकर उन्हें निवेश करने के लिए आकर्षित किया जाता है. इस स्कीम के जरिए कई कंपनियां अपना बिजनेस चलाती है. या बुरे दौर में सर्वाइव करने का रास्ता ढूंढती हैं. 1920 में चार्ल्स पोंजी ने अमेरिका में इस स्कीम की शुरुआत की. जिसमें निवेशकों के बड़े पैमाने पर पैसा लिया गया. इनकी योजना डाक टिकट से जुड़ी थी. लेकिन उन्होंने जल्द ही नए निवेशकों का पैसा पुराने निवेशकों और खुद को भुगतान करने के लिए लगाना शुरू कर दिया. अमेरिका में इसकी काफी चर्चा हुई. अखबारों की सुर्खियां बनी. अंत में इस योजना का भी हाल बुरा हुआ. बाद में इस तरह से निवेश की योजनाओं का नामकरण पोंजी स्कीम के तौर पर किया जाने लगा.