
देहरादून : “वो चोटियाँ जहाँ आज तिरंगा लहराता है, वहाँ कभी गोलियों की बौछार हुआ करती थी। लेकिन हमारे वीरों ने हार नहीं मानी, बल्कि दुश्मन को मुँहतोड़ जवाब देकर भारत माता की शान को अमर कर दिया।”
इन्हीं वीरों को समर्पित रहा कारगिल विजय दिवस से पहले का यह विशेष आयोजन।
आगामी 26वें कारगिल विजय दिवस (26 जुलाई 2025) के उपलक्ष्य में उत्तराखंड के सभी जिलों में एक विशेष कार्यक्रम श्रृंखला का आयोजन किया गया, जिसमें भारतीय सेना के जवानों ने 1999 के कारगिल युद्ध में सर्वोच्च बलिदान देने वाले शहीद सैनिकों के घर-घर जाकर परिजनों को सम्मान चिन्ह भेंट किए।
इस गरिमामयी आयोजन में सेना के वरिष्ठ अधिकारियों के साथ-साथ पूर्व सैनिक, प्रशासनिक अधिकारी और स्थानीय नागरिकों की बड़ी भागीदारी देखी गई। कार्यक्रमों की शृंखला का उद्देश्य था — शहीदों के बलिदान को याद करना, उनके परिवारों को सम्मानित करना, और युवा पीढ़ी में देशभक्ति की भावना को जाग्रत करना।
कार्यक्रम की अगुवाई कर रहे नायब सूबेदार सुधीर चंद्र और उनके साथियों ने कारगिल युद्ध की वीरगाथाओं को साझा किया। उन्होंने कहा,
“हम अपने वीर साथियों को भूले नहीं हैं, और न ही कभी भूलेंगे। यह हमारा कर्तव्य नहीं, हमारी भावना है कि हम उनके परिजनों को बताएं — उनका बलिदान व्यर्थ नहीं गया है।”
सम्मान प्राप्त करते हुए कई शहीद परिजनों की आँखें नम थीं। एक शहीद की पत्नी ने कहा:
“पति को खोया है, पर आज महसूस हुआ कि वह अकेले नहीं थे — पूरी भारतीय सेना उनके पीछे खड़ी है।”
किसी ने बेटे को, किसी ने भाई को खोया, पर सबने यह अनुभव किया कि राष्ट्र उनका कर्जदार है, और हमेशा रहेगा।
इस आयोजन ने यह सिद्ध किया कि शहीदों को याद करना कोई औपचारिकता नहीं, बल्कि यह भारत की आत्मा से जुड़ा संकल्प है।
यह कार्यक्रम सिर्फ अतीत की स्मृति नहीं था, बल्कि वर्तमान की प्रेरणा और भविष्य के लिए शपथ था।
और अंततः जब वातावरण गूंजा:
“वीर जवान अमर रहें! भारत माता की जय! जय उत्तराखंड!”
तो हर दिल में देश के लिए गर्व, श्रद्धा और संकल्प की भावना और गहराई से बस गई।