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देहरादून की सड़कों में दौड़ी में ‘‘सखी कैब’’: जिला प्रशासन की ऑटोमेटेड पार्किंग परियोजना बनी स्मार्ट शहर की नई पहचान

महिला सशक्तीकरण, यातायात सुधार और हरित परिवहन की दिशा में बड़ा कदम; मुख्यमंत्री के मार्गदर्शन में शहर को जाम से राहत देने का प्रयास

देहरादून, 30 अक्टूबर 2025। उत्तराखंड की राजधानी देहरादून अब स्मार्ट सिटी की दिशा में एक और कदम आगे बढ़ चुकी है। मुख्यमंत्री के मार्गदर्शन में जिला प्रशासन द्वारा शुरू की गई ऑटोमेटेड पार्किंग एवं ‘सखी कैब’ फ्री शटल सेवा अब शहर में गति पकड़ चुकी है। यह पहल न केवल यातायात जाम को कम करने की दिशा में एक अभिनव प्रयोग है, बल्कि महिला सशक्तीकरण और पर्यावरण संरक्षण का भी उदाहरण बन रही है।

जिलाधिकारी सविन बंसल के नेतृत्व में लागू की गई इस परियोजना के तहत फिलहाल दो इलेक्ट्रिक वाहन (टाटा पंच ईवी) ‘‘सखी कैब’’ सेवा में लगाए गए हैं, जो शहर के प्रमुख वाणिज्यिक और प्रशासनिक इलाकों में वाहन पार्क करने वाले नागरिकों को निःशुल्क पिक-एंड-ड्रॉप सुविधा प्रदान कर रहे हैं। जिला प्रशासन ने अब इस सेवा में छह अतिरिक्त ईवी वाहनों को शामिल करने की प्रक्रिया शुरू कर दी है। इसके लिए रिक्वेस्ट फॉर प्रपोजल (RFP) अपलोड कर दी गई है।


महिला सशक्तीकरण की नई राह

‘‘सखी कैब’’ का संचालन जिला ग्राम्य विकास अभिकरण (DRDA) के माध्यम से राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन (NRLM) की महिला स्वयं सहायता समूहों द्वारा किया जा रहा है। इन कैब्स की चालक महिलाएं हैं, जिन्हें न केवल रोजगार मिला है, बल्कि उन्हें शहर में आत्मनिर्भरता और सम्मानजनक पहचान भी प्राप्त हुई है।

जिलाधिकारी सविन बंसल के अनुसार,

“सखी कैब सेवा देहरादून में सुगम यातायात व्यवस्था और महिला सशक्तीकरण का बेहतरीन संगम है। शहर के भीड़भाड़ वाले इलाकों में यह फ्री शटल सेवा नागरिकों को राहत प्रदान करेगी और साथ ही पर्यावरण के अनुकूल परिवहन को भी बढ़ावा देगी।”


तीन स्थानों पर अत्याधुनिक ऑटोमेटेड पार्किंग

शहर में पार्किंग की समस्या लंबे समय से एक बड़ी चुनौती रही है। इसको देखते हुए जिला प्रशासन ने देहरादून में तीन आधुनिक ऑटोमेटेड पार्किंग सुविधाओं का निर्माण कराया है —

  • परेड ग्राउंड (111 वाहन क्षमता)
  • तिब्बती मार्केट (132 वाहन क्षमता)
  • कोरोनेशन हॉस्पिटल (18 वाहन क्षमता)

कुल मिलाकर 261 वाहनों की क्षमता वाली ये पार्किंग सुविधाएं अत्याधुनिक सेंसर और डिजिटल नियंत्रण प्रणाली से लैस हैं। प्रशासन का दावा है कि इससे सड़कों पर अवैध पार्किंग में कमी आएगी और शहर की मुख्य सड़कों पर यातायात सुगम होगा।

इन पार्किंगों में से परेड ग्राउंड स्थित सुविधा का संचालन फिलहाल कृष्णा स्वयं सहायता समूह, विकासनगर के माध्यम से किया जा रहा है। यह व्यवस्था पब्लिक-प्राइवेट पार्टनरशिप (PPP) मॉडल पर आधारित है, जिससे स्थानीय महिला समूहों को रोजगार और शहर को बेहतर प्रबंधन दोनों का लाभ मिलेगा।


सखी कैब: एक सेवा, कई लाभ

देहरादून प्रशासन की ‘‘सखी कैब’’ फिलहाल घंटाघर, सुभाष रोड, गांधी पार्क और परेड ग्राउंड जैसे व्यस्त क्षेत्रों में लगभग पाँच किलोमीटर के दायरे में निःशुल्क शटल सेवा दे रही है। इन वाहनों का उपयोग वे नागरिक कर सकते हैं जो ऑटोमेटेड पार्किंग में अपने वाहन पार्क करने के बाद शहर के व्यावसायिक इलाकों में जाना चाहते हैं।

यह सुविधा न केवल नागरिकों को सुविधा देती है, बल्कि शहर की सड़कों पर वाहनों के बोझ को भी कम करती है। सेवा पूरी तरह ईवी (इलेक्ट्रिक वाहन) आधारित है, जिससे पेट्रोल-डीजल पर निर्भरता घटेगी और कार्बन उत्सर्जन में कमी आएगी।

एक महिला चालक ने बताया,

“पहले हमें शहर में सुरक्षित रोजगार के अवसर बहुत कम मिलते थे। अब ‘सखी कैब’ ने हमें न केवल काम दिया, बल्कि आत्मविश्वास भी बढ़ाया है। लोग जब मुस्कराते हुए धन्यवाद देते हैं तो लगता है कि हमारा शहर सच में बदल रहा है।”


अनुशासन और व्यवस्था: प्रशासन सख्त हुआ

ऑटोमेटेड पार्किंग और ‘‘सखी कैब’’ सेवा की सफलता सुनिश्चित करने के लिए जिला प्रशासन और पुलिस ने अनधिकृत पार्किंग पर कड़ी कार्रवाई शुरू कर दी है। पिछले एक माह से शहर में एक डेडिकेटेड क्रेन तैनात की गई है जो सड़कों पर गलत तरीके से खड़े वाहनों को उठाने का काम कर रही है।

जिलाधिकारी का कहना है कि अब शहर में पार्किंग व्यवस्था के लिए कोई बहाना नहीं चलेगा। उन्होंने बताया,

“जब आधुनिक पार्किंग और फ्री शटल सेवा जैसी सुविधाएं उपलब्ध हैं, तो अवैध पार्किंग करने वालों पर कार्रवाई स्वाभाविक है। हमारा उद्देश्य शहर को ट्रैफिक जाम से मुक्त और व्यवस्थित बनाना है।”


हरित भविष्य की दिशा में कदम

देहरादून की यह परियोजना केवल यातायात प्रबंधन तक सीमित नहीं है। इसका उद्देश्य पर्यावरण संरक्षण और सस्टेनेबल अर्बन मोबिलिटी को बढ़ावा देना भी है। सभी ‘‘सखी कैब’’ इलेक्ट्रिक वाहनों पर आधारित हैं, जिनसे प्रदूषण का स्तर घटेगा। प्रशासन का अनुमान है कि 6 अतिरिक्त वाहनों के शामिल होने से प्रतिदिन लगभग 60 लीटर ईंधन की बचत और 120 किलोग्राम कार्बन उत्सर्जन में कमी होगी।

साथ ही, पार्किंग क्षेत्र में सौर ऊर्जा आधारित लाइटिंग और डिजिटल भुगतान प्रणाली जैसी सुविधाएँ भी जोड़ी जा रही हैं, जिससे यह पूरी परियोजना ग्रीन और डिजिटल दोनों रूपों में आधुनिक शहरी प्रबंधन का प्रतीक बनेगी।


नागरिकों से अपील

जिला प्रशासन ने शहरवासियों से अपील की है कि वे सड़क पर अवैध पार्किंग करने की बजाय ऑटोमेटेड पार्किंग का उपयोग करें और ‘‘सखी कैब’’ जैसी फ्री सेवाओं का लाभ उठाएं। इससे न केवल शहर की सुंदरता बढ़ेगी, बल्कि हर नागरिक देहरादून को स्मार्ट और अनुशासित सिटी बनाने में भागीदार बन सकेगा।


देहरादून की ‘‘सखी कैब’’ और ऑटोमेटेड पार्किंग परियोजना उत्तराखंड ही नहीं, बल्कि पूरे देश के लिए एक मॉडल इनिशिएटिव साबित हो सकती है। यह योजना प्रशासनिक नवाचार, महिला नेतृत्व और पर्यावरणीय जिम्मेदारी का ऐसा उदाहरण है, जिसे अन्य शहर भी अपना सकते हैं।

यह पहल साबित करती है कि जब प्रशासनिक इच्छाशक्ति, तकनीक और सामाजिक भागीदारी साथ आएं — तो किसी भी शहर की दिशा और दशा बदल सकती है। देहरादून की सड़कों पर दौड़ती ये ‘‘सखी कैब’’ अब केवल वाहनों की सेवा नहीं, बल्कि नए भारत की गति और सोच की प्रतीक बन चुकी हैं।

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