
नई दिल्ली: उत्तर भारत इन दिनों भारी बारिश की मार झेल रहा है। हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड और जम्मू-कश्मीर जैसे पहाड़ी राज्यों में बारिश आफत बनकर टूटी है, जिससे नदियों का जलस्तर बढ़ गया है और सामान्य जीवन अस्त-व्यस्त हो गया है। वहीं, राजधानी दिल्ली और एनसीआर में भी मानसून की रफ्तार कम नहीं हुई है। भारतीय मौसम विभाग (IMD) ने चेतावनी दी है कि यह दौर अभी कुछ दिनों तक जारी रह सकता है।
दिल्ली-एनसीआर: राहत के आसार नहीं
राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में बीते दिनों लगातार हुई बारिश ने लोगों की मुश्किलें बढ़ा दी हैं। मौसम विभाग का अनुमान है कि 6 और 7 सितंबर को गरज-चमक के साथ बारिश हो सकती है, जबकि 8 सितंबर को आसमान बादलों से ढका रहेगा। यानी दिल्लीवासियों को निकट भविष्य में बारिश से राहत नहीं मिलेगी।
बारिश के कारण कई जगहों पर जलभराव की स्थिति बनी हुई है, जिससे ट्रैफिक जाम और दिक्कतें बढ़ गई हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि इस बार मानसून के आखिरी चरण में भी बारिश का तीव्र दौर बना रहना दिल्ली की वायु गुणवत्ता और यातायात पर असर डाल सकता है।
हिमाचल प्रदेश: बाढ़, भूस्खलन और बंद सड़कें
हिमाचल प्रदेश सबसे ज्यादा प्रभावित राज्यों में से एक है। यहां कई इलाकों में भारी बारिश और भूस्खलन के बाद बाढ़ जैसी स्थिति बन गई है। स्थानीय मौसम केंद्र ने सोमवार और मंगलवार के लिए ‘येलो अलर्ट’ जारी किया है।
- मणिमहेश यात्रा में बाधा: भरमौर क्षेत्र में फंसे लगभग 350 श्रद्धालुओं को भारतीय वायुसेना के हेलीकॉप्टरों से सुरक्षित चंबा पहुंचाया गया।
- यात्रियों की मौत: मणिमहेश यात्रा 15 अगस्त से शुरू हुई थी और अब तक 17 श्रद्धालुओं की मौत हो चुकी है।
- सड़कें बंद: राज्य आपातकालीन परिचालन केंद्र (SEOC) के मुताबिक, हिमाचल में कुल 1217 सड़कें बंद हैं। इनमें से सबसे ज्यादा मंडी (281), शिमला (261), कुल्लू (231) और चंबा (187) जिले में हैं।
- रेल यातायात प्रभावित: शिमला-कालका रेल लाइन पर भूस्खलन के कारण शुक्रवार तक ट्रेन सेवाएं रद्द कर दी गई हैं।
इन परिस्थितियों ने स्थानीय लोगों और पर्यटकों दोनों की मुश्किलें बढ़ा दी हैं।
जम्मू-कश्मीर: चौथे दिन भी बंद रहा राष्ट्रीय राजमार्ग
बारिश और भूस्खलन से जम्मू-कश्मीर का हाल भी बेहाल है। जम्मू-श्रीनगर राष्ट्रीय राजमार्ग लगातार चौथे दिन बंद रहा, जिससे वाहनों की आवाजाही पूरी तरह से ठप हो गई। कई जगहों पर सड़कें बह गई हैं और भूस्खलन ने हालात और गंभीर बना दिए हैं।
हालांकि, पुंछ को शोपियां से जोड़ने वाला मुगल रोड तीन दिन बंद रहने के बाद दोबारा खोल दिया गया है। इसके बावजूद कठुआ से कश्मीर तक करीब 3,700 वाहन फंसे हुए हैं।
यह स्थिति न केवल आम यात्रियों के लिए परेशानी का सबब है बल्कि आवश्यक आपूर्ति श्रृंखला को भी प्रभावित कर रही है।
उत्तराखंड: भूस्खलन से सड़कें ठप और जनहानि
उत्तराखंड भी इस आपदा से अछूता नहीं है। पहाड़ी राज्य में कुल 54 सड़कें भूस्खलन के कारण अवरुद्ध हो गई हैं।
सबसे बड़ा हादसा नैनीताल जिले में हुआ, जहां एक वन अधिकारी देवेंद्र सिंह (35) की उफनते नाले में बह जाने से मौत हो गई।
- वे बेतालघाट वन रेंज में तैनात थे और कैंचीधाम क्षेत्र के निवासी थे।
- बुधवार शाम उन्हें नाले में बहते देखा गया।
- एसडीआरएफ, पुलिस और राजस्व विभाग की संयुक्त टीम ने खोजबीन शुरू की और गुरुवार तड़के करीब 3 बजे उनका शव बरामद किया।
यह घटना दिखाती है कि भूस्खलन और अचानक नदियों-नालों के उफान से पहाड़ी इलाकों में लोग किस तरह की चुनौती का सामना कर रहे हैं।
आपदा प्रबंधन की चुनौती
इन तीनों राज्यों में आपदा प्रबंधन एजेंसियां राहत और बचाव कार्यों में जुटी हुई हैं। भारतीय वायुसेना, एनडीआरएफ और एसडीआरएफ की टीमें लगातार प्रभावित क्षेत्रों में फंसे लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचा रही हैं।
हालांकि, विशेषज्ञ मानते हैं कि पर्वतीय राज्यों में बढ़ती अनियोजित निर्माण गतिविधियां, जंगलों की कटाई और जलवायु परिवर्तन इस तरह की आपदाओं को और भी खतरनाक बना रहे हैं।
बारिश और भूस्खलन से न सिर्फ़ जीवन प्रभावित होता है बल्कि सड़क, रेल और पुल जैसी मूलभूत संरचनाओं को भी भारी नुकसान पहुंचता है, जिसे दुरुस्त करने में महीनों का समय लग सकता है।
आगे का मौसम पूर्वानुमान
मौसम विभाग का अनुमान है कि आने वाले दिनों में भी उत्तर भारत के कई हिस्सों में बारिश का दौर जारी रहेगा।
- हिमाचल और उत्तराखंड में भारी बारिश की आशंका है।
- जम्मू-कश्मीर में भी अगले कुछ दिनों तक भूस्खलन का खतरा बना रहेगा।
- दिल्ली-एनसीआर में बादल छाए रहने और मध्यम बारिश की संभावना है।
इस बीच प्रशासन ने लोगों से अपील की है कि वे बिना जरूरत यात्रा से बचें और स्थानीय आपदा प्रबंधन एजेंसियों के निर्देशों का पालन करें।
उत्तर भारत इस समय भारी बारिश और प्राकृतिक आपदा के दोहरे संकट से जूझ रहा है। दिल्ली से लेकर कश्मीर तक जनजीवन अस्त-व्यस्त है। सड़कें बंद हैं, रेल सेवाएं बाधित हैं और हज़ारों लोग फंसे हुए हैं। हिमाचल, उत्तराखंड और जम्मू-कश्मीर की स्थिति बताती है कि प्रकृति के सामने इंसानी तैयारी अभी भी अधूरी है।
यह केवल मौसमी आपदा नहीं, बल्कि जलवायु परिवर्तन की गंभीर चेतावनी भी है। आने वाले समय में बेहतर शहरी योजना, आपदा प्रबंधन और पर्यावरण संरक्षण ही इस संकट से निपटने का स्थायी समाधान साबित होंगे।