
नई दिल्ली: ‘विजय दिवस’ की पूर्व संध्या पर भारतीय सेना ने राजधानी दिल्ली स्थित आर्मी हाउस में स्वदेशी रक्षा प्रौद्योगिकियों की ताकत का प्रभावशाली प्रदर्शन किया। इस अवसर पर राष्ट्रपति ने आर्मी हाउस का दौरा किया और सेना द्वारा विकसित एवं अपनाई गई अत्याधुनिक तकनीकों को करीब से देखा। सेना ने इस दौरान आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) आधारित प्लेटफॉर्म, ड्रोन एनालिसिस सिस्टम, स्मार्ट सर्विलांस टेक्नोलॉजी और डिजिटल कमांड सॉल्यूशंस सहित कई स्वदेशी प्रणालियों का प्रदर्शन किया।
यह आयोजन न केवल विजय दिवस की गौरवशाली विरासत को सम्मान देने का प्रतीक था, बल्कि भारत की बढ़ती रक्षा आत्मनिर्भरता और तकनीकी क्षमता को भी रेखांकित करता है।
विजय दिवस: शौर्य, बलिदान और आत्मनिर्भरता का प्रतीक
विजय दिवस हर वर्ष 16 दिसंबर को मनाया जाता है, जो 1971 के भारत–पाक युद्ध में भारत की ऐतिहासिक जीत और बांग्लादेश के निर्माण की याद दिलाता है। इस अवसर पर सेना के शौर्य, रणनीतिक कौशल और सर्वोच्च बलिदान को नमन किया जाता है।
इस वर्ष विजय दिवस के आयोजन में आत्मनिर्भर भारत और मेक इन इंडिया की भावना को विशेष रूप से केंद्र में रखा गया। सेना द्वारा प्रदर्शित स्वदेशी तकनीकों ने यह स्पष्ट संदेश दिया कि भारत अब रक्षा क्षेत्र में केवल उपभोक्ता नहीं, बल्कि तकनीकी नवाचार का नेतृत्वकर्ता बनता जा रहा है।
राष्ट्रपति ने सराहा सेना का तकनीकी आत्मनिर्भरता की ओर कदम
राष्ट्रपति ने आर्मी हाउस में आयोजित इस विशेष प्रदर्शनी का अवलोकन करते हुए सेना के अधिकारियों और वैज्ञानिकों से बातचीत की। उन्होंने सेना द्वारा स्वदेशी तकनीकों के विकास और उनके सफल उपयोग की सराहना की।
राष्ट्रपति ने कहा कि आधुनिक युद्ध के बदलते स्वरूप में तकनीक निर्णायक भूमिका निभाती है और भारतीय सेना का स्वदेशी समाधानों पर जोर देश की सुरक्षा को और मजबूत करेगा। उन्होंने इसे राष्ट्रीय सुरक्षा के साथ-साथ युवाओं और वैज्ञानिक समुदाय के लिए प्रेरणास्रोत बताया।
AI आधारित प्लेटफॉर्म: भविष्य की युद्ध रणनीति
प्रदर्शनी में सेना ने कई AI आधारित प्लेटफॉर्म प्रस्तुत किए, जो—
- खुफिया जानकारी के विश्लेषण
- रियल-टाइम डेटा प्रोसेसिंग
- खतरे की पहचान और पूर्वानुमान
- निर्णय प्रक्रिया को तेज करने
में सक्षम हैं।
सेना अधिकारियों के अनुसार, इन प्रणालियों से कमांड और कंट्रोल सिस्टम अधिक सटीक और प्रभावी हो रहा है, जिससे सीमाओं पर त्वरित और सही निर्णय लिए जा सकते हैं।
ड्रोन और सर्विलांस सिस्टम का प्रदर्शन
भारतीय सेना ने इस अवसर पर स्वदेशी ड्रोन एनालिसिस सिस्टम और स्मार्ट सर्विलांस टेक्नोलॉजी का भी प्रदर्शन किया। ये ड्रोन—
- सीमावर्ती क्षेत्रों की निगरानी
- दुर्गम इलाकों में खुफिया जानकारी जुटाने
- आपदा राहत और खोज अभियान
में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं।
सेना के अनुसार, स्वदेशी ड्रोन तकनीक से न केवल आयात पर निर्भरता घटी है, बल्कि संचालन लागत भी कम हुई है।
डिजिटल कमांड और स्मार्ट सॉल्यूशंस
प्रदर्शनी में डिजिटल कमांड सिस्टम, सुरक्षित संचार नेटवर्क और डेटा इंटीग्रेशन प्लेटफॉर्म भी दिखाए गए। ये प्रणालियां सेना की विभिन्न इकाइयों को एक साझा डिजिटल प्लेटफॉर्म पर जोड़ने में मदद करती हैं।
इससे—
- सूचना साझा करने में तेजी
- मिशन की सटीक योजना
- फील्ड यूनिट्स के साथ बेहतर तालमेल
संभव हो पा रहा है।
स्वदेशी तकनीक और ‘मेक इन इंडिया’ की मजबूती
भारतीय सेना का यह प्रदर्शन ‘मेक इन इंडिया’ और ‘आत्मनिर्भर भारत’ अभियान की सफलता का प्रत्यक्ष उदाहरण है। रक्षा क्षेत्र में स्वदेशी अनुसंधान और विकास से—
- विदेशी निर्भरता कम हो रही है
- घरेलू उद्योगों को बढ़ावा मिल रहा है
- युवाओं के लिए तकनीकी रोजगार के अवसर बढ़ रहे हैं
सेना के वरिष्ठ अधिकारियों ने बताया कि आने वाले वर्षों में और अधिक स्वदेशी प्रणालियों को सेना में शामिल किया जाएगा।
युवाओं और रक्षा उद्योग के लिए संदेश
विजय दिवस की पूर्व संध्या पर आयोजित यह कार्यक्रम युवाओं और रक्षा उद्योग के लिए एक मजबूत संदेश लेकर आया। सेना ने यह स्पष्ट किया कि आधुनिक भारत की सुरक्षा केवल हथियारों से नहीं, बल्कि तकनीक, नवाचार और आत्मनिर्भरता से सुनिश्चित होगी।
विशेषज्ञों का मानना है कि इस तरह के आयोजन—
- रक्षा स्टार्टअप्स को प्रोत्साहन
- अनुसंधान संस्थानों के साथ सहयोग
- तकनीकी प्रतिभाओं को प्रेरणा
देते हैं।
विजय दिवस पर देशभर में कार्यक्रम
विजय दिवस के अवसर पर देशभर में सेना, पूर्व सैनिक संगठनों और प्रशासन द्वारा विभिन्न कार्यक्रम आयोजित किए जा रहे हैं। शहीद स्मारकों पर श्रद्धांजलि, सैन्य प्रदर्शनी और देशभक्ति कार्यक्रमों के जरिए वीर सैनिकों को नमन किया जा रहा है।
निष्कर्ष
विजय दिवस की पूर्व संध्या पर आर्मी हाउस में भारतीय सेना द्वारा किया गया स्वदेशी तकनीकों का प्रदर्शन न केवल अतीत की वीरता को सम्मान देने का अवसर था, बल्कि भविष्य की सुरक्षा रणनीति की झलक भी थी। राष्ट्रपति की मौजूदगी ने इस आयोजन को और अधिक गरिमामय बना दिया।
भारतीय सेना का यह कदम स्पष्ट करता है कि देश अब रक्षा के क्षेत्र में आत्मनिर्भरता की राह पर मजबूती से आगे बढ़ रहा है। विजय दिवस केवल जीत का उत्सव नहीं, बल्कि शौर्य, नवाचार और आत्मनिर्भर भारत का प्रतीक बनता जा रहा है।



