
नई दिल्ली, 19 अगस्त 2025 (नेशनल डेस्क): उपराष्ट्रपति चुनाव को लेकर देश की राजनीति में हलचल तेज हो गई है। एनडीए ने अपने उम्मीदवार के तौर पर तमिलनाडु के वरिष्ठ नेता और पूर्व सांसद सी.पी. राधाकृष्णन के नाम का ऐलान कर दिया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मंगलवार को संसदीय दल की बैठक में राधाकृष्णन का औपचारिक परिचय सांसदों से कराया। चूंकि एनडीए के पास निर्वाचक मंडल—यानी लोकसभा और राज्यसभा के सांसदों—में स्पष्ट बहुमत है, लिहाज़ा उनकी जीत लगभग तय मानी जा रही है।
लेकिन असली सियासी सरगर्मी विपक्षी गठबंधन ‘इंडिया’ (इंडियन नेशनल डेवलपमेंटल इंक्लूसिव अलायंस) की तरफ से संभावित प्रत्याशियों को लेकर है। विपक्ष ने अब तक आधिकारिक नाम की घोषणा नहीं की है, परंतु तीन बड़े नामों पर गहन चर्चा चल रही है।
तिरुचि शिवा – विपक्ष का सबसे मजबूत दावेदार
सबसे आगे चल रहे नाम की बात करें तो डीएमके के वरिष्ठ नेता और राज्यसभा सांसद तिरुचि शिवा की दावेदारी प्रमुख मानी जा रही है। शिवा संसद में लंबे समय से सक्रिय हैं और उनकी छवि एक रणनीतिक, अनुभवी और साफ-सुथरे नेता की रही है।
उनके खाते में कई महत्वपूर्ण विधायी उपलब्धियाँ दर्ज हैं। विशेष रूप से ट्रांसजेंडर अधिकार विधेयक को पारित कराने में उनकी भूमिका ऐतिहासिक रही है। विपक्ष मानता है कि शिवा की उम्मीदवारी सामाजिक न्याय, संघीय ढांचे और राज्यों के अधिकारों की लड़ाई को मजबूत संदेश दे सकती है।
‘मून मैन ऑफ इंडिया’ – एम. अन्नादुरई का नाम
विपक्ष के पाले में दूसरा नाम है पूर्व इसरो वैज्ञानिक डॉ. एम. अन्नादुरई का, जिन्हें लोकप्रिय तौर पर ‘मून मैन ऑफ इंडिया’ कहा जाता है। अन्नादुरई चंद्रयान मिशनों से जुड़े रहे हैं और भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) में उनकी भूमिका अत्यंत महत्वपूर्ण रही है।
यदि विपक्ष उन्हें उम्मीदवार बनाता है तो यह चुनाव केवल राजनीतिक नहीं, बल्कि विज्ञान, शोध और नवाचार की आवाज़ को प्रतिनिधित्व देने का प्रतीक होगा। उनकी उम्मीदवारी से विपक्ष युवाओं और वैज्ञानिक तबके तक भी संदेश देने की कोशिश कर सकता है।
तुषार गांधी – महात्मा गांधी की विरासत का चेहरा
तीसरा नाम है तुषार गांधी का, जो राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के परपोते हैं। तुषार गांधी सामाजिक और सांस्कृतिक मुद्दों पर सक्रिय रहे हैं। उनकी उम्मीदवारी विपक्ष के लिए प्रतीकात्मक तौर पर बेहद मजबूत संदेश बन सकती है, क्योंकि गांधी परिवार का नाम आज भी देश की राजनीति में नैतिकता और सिद्धांतों के प्रतीक के तौर पर देखा जाता है।
हालांकि राजनीतिक दृष्टि से तुषार गांधी की सक्रियता सीमित रही है, लेकिन उनकी विरासत विपक्ष के लिए नैरेटिव बनाने में मददगार हो सकती है।
विपक्ष की दुविधा
इन तीन नामों पर गहन चर्चा जारी है, लेकिन अभी तक विपक्ष किसी एक नाम पर सहमत नहीं हो पाया है। डीएमके और कांग्रेस गठबंधन में अहम भूमिका निभा रहे हैं, लिहाज़ा अंतिम निर्णय उन्हीं के बीच तालमेल से होगा। सूत्रों का कहना है कि खड़गे के घर हुई बैठक में भी कोई ठोस निष्कर्ष नहीं निकला।
एनडीए बनाम इंडिया: मुकाबला रोचक, परिणाम तय?
सांसदों की संख्या को देखें तो एनडीए के पास निर्वाचक मंडल में पर्याप्त बहुमत है। ऐसे में राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि राधाकृष्णन की जीत लगभग तय है। लेकिन विपक्षी खेमे के लिए यह चुनाव सियासी एकजुटता और विपक्षी एकता दिखाने का मंच है।
यानी परिणाम चाहे जो हो, विपक्ष इस लड़ाई को प्रतीकात्मक मुकाबले में बदलना चाहता है, जबकि एनडीए दक्षिण भारत और ओबीसी समाज को संदेश देने की दिशा में आगे बढ़ रहा है।
20 अगस्त को नामांकन प्रक्रिया पूरी होने के साथ उपराष्ट्रपति चुनाव की तस्वीर और साफ हो जाएगी। राधाकृष्णन की उम्मीदवारी जहां एनडीए के आत्मविश्वास को दर्शाती है, वहीं विपक्ष का उम्मीदवार कौन होगा, यह सवाल अब भी हवा में लटका हुआ है। तिरुचि शिवा, अन्नादुरई और तुषार गांधी में से किस पर विपक्ष की मुहर लगती है, यह आने वाले दिनों में तय होगा।