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ऑपरेशन सिंदूर: परमाणु युग में भारत का संयमित लेकिन निर्णायक सैन्य संदेश – ब्रिटिश विश्लेषक की टिप्पणी

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नई दिल्ली : भारत द्वारा हाल ही में चलाए गए ऑपरेशन सिंदूर को अंतरराष्ट्रीय सुरक्षा विशेषज्ञों ने एक “संयमित लेकिन निर्णायक सैन्य कार्रवाई” बताया है, जो परमाणु हथियार संपन्न दो देशों – भारत और पाकिस्तान – के बीच तनाव के बीच किया गया। किंग्स कॉलेज लंदन के अंतरराष्ट्रीय मामलों के विशेषज्ञ डॉ. वाल्टर लाडविग ने इसे भारत की ‘नए युग की प्रतिरोधक रणनीति’ का अहम उदाहरण कहा है।

डॉ. लाडविग ने रॉयल यूनाइटेड सर्विसेज इंस्टीट्यूट (RUSI) के लिए अपने विश्लेषण “Calibrated Force: Operation Sindoor and the Future of Indian Deterrence” में लिखा कि यह पहला मौका था जब परमाणु हथियार संपन्न दो देशों के बीच प्रत्यक्ष हवाई हमले और जवाबी हमले की श्रृंखला देखने को मिली। उन्होंने कहा कि भारत ने यह कदम व्यापक युद्ध छेड़ने के लिए नहीं, बल्कि पहलगाम आतंकी हमले के जिम्मेदार आतंकियों को दंडित करने के लिए उठाया।

IAF की क्षमताओं का प्रदर्शन

विश्लेषक ने कहा कि ऑपरेशन सिंदूर में भारतीय वायुसेना की विकसित क्षमताओं का पूरा परिचय मिला। यह अभियान न केवल आतंकियों के बुनियादी ढांचे पर हमला था, बल्कि भारत की प्रतिक्रिया क्षमता और तकनीकी दक्षता का भी प्रदर्शन था।

बालाकोट से आगे बढ़ता भारत

2016 की सर्जिकल स्ट्राइक और 2019 के बालाकोट एयरस्ट्राइक का उल्लेख करते हुए उन्होंने कहा कि भारत अब जवाबी कार्रवाई को न सिर्फ रणनीतिक रूप से, बल्कि सार्वजनिक रूप से भी सामने ला रहा है। “पहले इस तरह के अभियानों को छिपाकर रखा जाता था, लेकिन अब भारत इन्हें रणनीतिक संदेश के तौर पर इस्तेमाल कर रहा है,” उन्होंने कहा।

जवाबी कार्रवाई का उद्देश्य और सीमा

लाडविग के अनुसार, ऑपरेशन सिंदूर का उद्देश्य “जवाबी हमले की क्षमता दिखाना” था, न कि पूर्ण युद्ध भड़काना। उन्होंने चेताया कि लगातार इस तरह की कार्रवाई “बिल्ली और चूहे का खेल” बना सकती है क्योंकि आतंकी समूह भविष्य में जवाबी हमले की आशंका में भूमिगत हो सकते हैं।

“यह केवल प्रतिरोध नहीं, बल्कि एक दृश्य रणनीतिक संकेत था कि भारत अब पहले जैसा नहीं है,” उन्होंने जोड़ा।

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