
काठमांडू/नई दिल्ली: नेपाल इस समय अपने आधुनिक इतिहास के सबसे बड़े राजनीतिक संकट से गुजर रहा है। देशभर में Gen Z युवाओं के नेतृत्व में छेड़े गए आंदोलन ने हिंसक रूप ले लिया है और अब तक 51 लोगों की मौत हो चुकी है। नेपाल पुलिस के केंद्रीय प्रवक्ता और डीआईजी बिनोद घिमिरे ने गुरुवार देर रात इसकी पुष्टि की।
इस बीच, बढ़ते जन आक्रोश और सियासी उथल-पुथल के बीच पूर्व चीफ जस्टिस सुशीला कार्की को अंतरिम प्रधानमंत्री नियुक्त करने की तैयारी चल रही है। उम्मीद है कि शुक्रवार दोपहर तक राष्ट्रपति द्वारा उन्हें शपथ दिलाई जाएगी।
कैसे भड़का Gen Z आंदोलन?
नेपाल के युवाओं, खासकर Gen Z पीढ़ी ने बीते सप्ताह भ्रष्टाचार और कुशासन के खिलाफ देशव्यापी प्रदर्शन शुरू किए थे।
- आंदोलन की शुरुआत राजधानी काठमांडू में हुई और देखते ही देखते यह देश के सभी जिलों तक फैल गया।
- युवाओं का आरोप है कि सरकार ने शिक्षा, रोजगार और पारदर्शिता के मोर्चे पर उन्हें पूरी तरह निराश किया।
- इसके बाद से प्रधानमंत्री KP शर्मा ओली और कई मंत्रियों को इस्तीफा देना पड़ा।
हिंसा और जानमाल का नुकसान
नेपाल पुलिस के अनुसार,
- अब तक 51 लोगों की मौत हो चुकी है।
- हजारों लोग घायल हैं और अस्पतालों में भीड़ लगी हुई है।
- प्रदर्शनकारियों और सुरक्षा बलों के बीच कई जगहों पर सीधी झड़प हुई।
सिविल सोसाइटी और मानवाधिकार संगठनों ने सरकार की बल प्रयोग की नीति की कड़ी आलोचना की है और पीड़ित परिवारों को न्याय की मांग की है।
सुशीला कार्की पर क्यों बनी सहमति?
नेपाल की पहली महिला चीफ जस्टिस रह चुकीं सुशीला कार्की को निष्पक्ष छवि वाली नेता माना जाता है।
- कार्की को अंतरिम प्रधानमंत्री बनाने पर राजनीतिक दलों और राष्ट्रपति के बीच सहमति बनी है।
- राष्ट्रपति कार्यालय ‘शीतल निवास’ और गृह मंत्रालय ने औपचारिक तैयारियां शुरू कर दी हैं।
- शुक्रवार दोपहर तक उनकी शपथ ग्रहण की संभावना जताई जा रही है।
कुलमन घीसिंग भी थे संभावित उम्मीदवार
इससे पहले, नेपाल विद्युत प्राधिकरण (NEA) के पूर्व प्रमुख कुलमन घीसिंग का नाम भी अंतरिम पीएम पद के लिए चर्चा में था।
- घीसिंग को नेपाल में बिजली संकट खत्म करने के लिए व्यापक रूप से सराहा जाता है।
- हालांकि, राजनीतिक दलों के बीच अंततः सुशीला कार्की पर सहमति बनी।
नेपाल के राजनीतिक इतिहास में नया मोड़
नेपाल में यह संकट उस समय आया है जब देश अभी भी संविधान के कार्यान्वयन और लोकतांत्रिक संस्थाओं की मजबूती की चुनौतियों से जूझ रहा है।
- विशेषज्ञों का मानना है कि यह आंदोलन युवाओं की नई सोच और बदलाव की मांग का प्रतीक है।
- यह पहला मौका है जब Gen Z ने संगठित होकर सत्ता परिवर्तन की मांग को सफलतापूर्वक आगे बढ़ाया।
भारत और अंतरराष्ट्रीय समुदाय की नजर
भारत और चीन जैसे पड़ोसी देश नेपाल के घटनाक्रम पर पैनी नजर बनाए हुए हैं।
- नेपाल की राजनीतिक अस्थिरता का सीधा असर दक्षिण एशिया की सुरक्षा और अर्थव्यवस्था पर पड़ सकता है।
- अमेरिका और यूरोपीय संघ ने भी नेपाल सरकार से संवाद और लोकतांत्रिक समाधान की अपील की है।
भविष्य की राह कठिन
विश्लेषकों का कहना है कि सुशीला कार्की की अंतरिम सरकार को
- शांति और स्थिरता बहाल करने,
- युवाओं का विश्वास जीतने,
- और भ्रष्टाचार पर सख्त कार्रवाई करने जैसी चुनौतियों का सामना करना होगा।
अगर यह सरकार युवाओं की अपेक्षाओं पर खरी नहीं उतरी, तो नेपाल एक और राजनीतिक संकट में फंस सकता है।