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विकसित भारत के लिए राष्ट्रीय सुरक्षा और समुद्री शक्ति अनिवार्य”: उपराष्ट्रपति धनखड़

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गोवा : उपराष्ट्रपति श्री जगदीप धनखड़ ने आज एक महत्वपूर्ण संबोधन में भारत के भविष्य को लेकर स्पष्ट और दूरदर्शी दृष्टिकोण प्रस्तुत किया। उन्होंने कहा कि भारत को 2047 तक विकसित राष्ट्र बनाने के लिए प्रति व्यक्ति आय में आठ गुना वृद्धि जरूरी है, और यह लक्ष्य सिर्फ़ स्थायी शांति और मज़बूत राष्ट्रीय सुरक्षा के बल पर ही प्राप्त किया जा सकता है।

“शांति, शक्ति से आती है”

उपराष्ट्रपति ने कहा, “आर्थिक विकास युद्ध जैसे हालातों में नहीं हो सकता। विकास के लिए शांति अनिवार्य है — और शांति आती है शक्ति से: सुरक्षा की शक्ति, आर्थिक शक्ति, विकास की शक्ति और राष्ट्रवाद के प्रति निस्वार्थ प्रतिबद्धता से।” उन्होंने राष्ट्रीय सुरक्षा को लेकर राष्ट्रवाद और सतत तैयारी को अत्यंत आवश्यक बताया।

‘ऑपरेशन सिंदूर’ पर साहसिक बयान

उपराष्ट्रपति ने 22 अप्रैल को पहलगाम में हुए आतंकी हमले के जवाब में भारत द्वारा चलाए गए ‘ऑपरेशन सिंदूर’ की सराहना करते हुए कहा कि भारत ने जैश-ए-मोहम्मद और लश्कर-ए-तैयबा के बहावलपुर और मुरीदके स्थित ठिकानों पर सटीक हमले कर एक स्पष्ट संदेश दिया है।

उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के कथन को दोहराते हुए कहा, “अब आतंकवाद बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। सजा दी जाएगी — और वह सजा उदाहरण बनेगी।”

उपराष्ट्रपति ने यह भी कहा कि इस बार किसी को “सबूत” नहीं मांगने पड़े, क्योंकि आतंकियों के शव और उनका अंतिम संस्कार ही अपने आप सबूत बनकर सामने आए।

समुद्री शक्ति और वैश्विक व्यापार में भारत की भूमिका

श्री धनखड़ ने बदलते भू-राजनीतिक हालातों के मद्देनज़र समुद्री सुरक्षा की भूमिका को रेखांकित करते हुए कहा कि भारत को नियम-आधारित समुद्री व्यवस्था के संरक्षण में अग्रणी भूमिका निभानी होगी। उन्होंने बताया कि भारत की लगभग 70% व्यापारिक मूल्य वाली वस्तुएं समुद्र के रास्ते आती-जाती हैं, और यह आंकड़ा तेजी से बढ़ने वाला है।

“हमारी अर्थव्यवस्था अब छलांग नहीं, बल्कि क्वांटम जंप कर रही है,” उन्होंने कहा। इसके लिए शिपबिल्डिंग में भारत को नेतृत्वकारी भूमिका निभाने की ज़रूरत है।

गोवा में 300 करोड़ की परियोजनाएं राष्ट्र को समर्पित

मोरमुगाओ बंदरगाह पर आयोजित कार्यक्रम में 3 मेगावाट सौर ऊर्जा संयंत्र, दो हार्बर मोबाइल क्रेन, और कोयला ढुलाई हेतु कवर डोम का उद्घाटन करते हुए उपराष्ट्रपति ने कहा, “आज जिन परियोजनाओं को राष्ट्र को समर्पित किया गया है, वे भारत की बदलती छवि की प्रतीक हैं।”

उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की कार्यशैली की सराहना करते हुए कहा कि “वह केवल शिलान्यास नहीं करते, समर्पण करते हैं — यानी प्रोजेक्ट को समय पर पूरा करवाते हैं। उनके लिए विकास मिशन है, जुनून है।”

विझिंजम पोर्ट और सहकारी संघवाद

उपराष्ट्रपति ने विझिंजम पोर्ट का उदाहरण देते हुए उसे “सहकारी संघवाद” का उत्कृष्ट उदाहरण बताया, जहां प्रधानमंत्री, विभिन्न राज्यों के मुख्यमंत्री और निजी क्षेत्र की भागीदारी ने मिलकर एक महत्त्वपूर्ण परियोजना को साकार किया।

भारतीय तटरक्षक बल को ‘समुद्री प्रहरी’ की संज्ञा

अपने वक्तव्य में श्री धनखड़ ने भारतीय तटरक्षक बल की भी विशेष सराहना की। उन्होंने कहा कि जब वे पश्चिम बंगाल के राज्यपाल थे, तब उन्होंने तटरक्षक बल की “निष्ठा, सेवा और समर्पण” को करीब से देखा। “चक्रवातों के समय समुद्र में मृत्यु दर शून्य रही — यह आपकी सतर्कता और समर्पण का प्रमाण है,” उन्होंने कहा।

उन्होंने तटरक्षक बल को “केवल सुरक्षा नहीं, बल्कि हमारी समुद्री अंतरात्मा” बताया। साथ ही यह भी कहा कि हमारे समुद्र पृथ्वी के फेफड़ों की तरह हैं, और इनकी रक्षा करने वालों की भूमिका देश के लिए अत्यंत महत्त्वपूर्ण है।

इस अवसर पर गोवा के राज्यपाल पी. एस. श्रीधरन पिल्लई, मुख्यमंत्री डॉ. प्रमोद सावंत, केंद्रीय मंत्री श्री शांतनु ठाकुर, पोर्ट्स और शिपिंग सचिव टी. के. रामचंद्रन, भारतीय तटरक्षक बल और पोर्ट अथॉरिटी के अधिकारीगण उपस्थित रहे।

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