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“मेरा ज़मीर गवारा नहीं करता कि भारत-पाक मैच देखूं”: संसद में ओवैसी का तीखा बाउंसर, पहलगाम हमले पर सरकार से जवाबदेही की मांग

नई दिल्ली | संवाददाता रिपोर्ट: संसद के मॉनसून सत्र में सोमवार को ‘ऑपरेशन सिंदूर’ को लेकर 16 घंटे लंबी चर्चा के दौरान एआईएमआईएम सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने सरकार पर तीखा हमला बोला। उन्होंने पाकिस्तान के साथ खेले जाने वाले क्रिकेट मैच से लेकर जम्मू-कश्मीर में सुरक्षा चूक तक कई गंभीर सवाल उठाए। ओवैसी ने कहा कि “मेरा जमीर गवारा नहीं करता कि भारत-पाक क्रिकेट मैच देखूं, जब हमारे जवान और नागरिक आतंकवाद का शिकार हो रहे हैं।”


🇮🇳 भारत-पाक क्रिकेट पर उठाया सवाल

ओवैसी ने लोकसभा में कहा—

“जब प्रधानमंत्री कहते हैं कि खून और पानी एक साथ नहीं बह सकते, जब व्यापार ठप है और बातचीत बंद है, तो फिर क्रिकेट मैच की अनुमति क्यों दी जा रही है? ये दोहरा मापदंड नहीं तो और क्या है?”

उन्होंने यह भी जोड़ा कि ऐसे हालात में क्रिकेट महज़ एक खेल नहीं, बल्कि संवेदनशीलता का मुद्दा बन जाता है। ओवैसी ने यह बयान भारत-पाकिस्तान क्रिकेट मैच को लेकर सरकार की नीति पर सवाल उठाते हुए दिया।


💥 “चार आतंकी कैसे घुसे? जवाब दो” – ऑपरेशन सिंदूर पर सवाल

जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हाल ही में हुए आतंकी हमले पर ओवैसी ने पूछा —

“जब राज्य में 7.5 लाख सुरक्षाबल तैनात हैं, तो चार आतंकवादी कैसे घुस आए? अगर यह सुरक्षा में चूक है, तो इसकी जिम्मेदारी तय होनी चाहिए।”
“अगर खुफिया तंत्र विफल रहा है, तो IB और पुलिस पर कार्रवाई होनी चाहिए। अगर उपराज्यपाल दोषी हैं, तो उन्हें हटाया जाए।”

उन्होंने साफ कहा कि केवल एक सफल ऑपरेशन के जरिए लोगों की नाराज़गी को नहीं दबाया जा सकता।


🧭 “370 हटा दिया, लेकिन नीतियां नाकाम” – कश्मीर नीति पर हमला

ओवैसी ने केंद्र की कश्मीर नीति पर भी सवाल उठाए:

“अनुच्छेद 370 हटाने के बाद भी आतंकवाद क्यों जारी है? अगर ये प्रयोग सफल होता, तो घटनाएं बंद हो जातीं।”
“पाकिस्तान एक नाकाम देश है, लेकिन उससे भी बड़ी विफलता हमारी नीतियों की है, जो जवाबदेही से बचती हैं।”


🌍 “सीज़फायर का ऐलान ट्रंप ने क्यों किया?”

ओवैसी ने अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप का हवाला देते हुए कहा—

“जब भारत एक संप्रभु राष्ट्र है, तो संघर्ष विराम की घोषणा ट्रंप कैसे कर सकते हैं? और भारत सरकार ने इसका खंडन क्यों नहीं किया?”

उन्होंने पूछा कि क्या यह भारत की विदेश नीति की कमजोरी को नहीं दर्शाता?


उपराज्यपाल के इस्तीफे की भी मांग

भाकपा-माले (लिबरेशन) के सांसद राजाराम सिंह ने भी इस विषय पर हस्तक्षेप करते हुए कहा:

“हमले के समय 2000 पर्यटक आतंकियों के निशाने पर थे और सुरक्षाबलों की प्रतिक्रिया में देरी हुई। जम्मू-कश्मीर में इतनी भारी तैनाती के बावजूद यह लापरवाही कैसे?”

उन्होंने गृह मंत्री अमित शाह और उपराज्यपाल मनोज सिन्हा के इस्तीफे की मांग की और कहा कि “यह गृह मंत्रालय की सीधी विफलता है और इसकी नैतिक जिम्मेदारी तय होनी चाहिए।”


⚖️ सवाल यह है:

  • क्या ऑपरेशन सिंदूर की आड़ में आतंकी हमले की जवाबदेही टाली जा सकती है?
  • क्या भारत-पाक क्रिकेट खेलते रहना सही है, जब बातचीत और व्यापार बंद हैं?
  • और क्या सरकार आतंकवाद के मुद्दे पर विपक्ष की आशंकाओं का गंभीरता से जवाब देगी?

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