
देहरादून। उत्तरकाशी जिले के धराली और हर्षिल में आई विनाशकारी आपदा ने एक बार फिर राज्य के आपदा प्रबंधन तंत्र पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं।
सूत्रों के अनुसार, इसरो के प्रतिष्ठित संस्थान भारतीय भू-स्थानिक संस्थान (IIRS) ने एक वर्ष पूर्व ही उत्तराखंड राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (USDMA) को एक विस्तृत रिपोर्ट भेजकर चेताया था कि धराली और हर्षिल के ऊपरी क्षेत्रों में कृत्रिम झीलों का निर्माण हो चुका है, जो कभी भी भयानक आपदा का रूप ले सकती हैं।
आपदा प्रबंधन विभाग ने रिपोर्ट से जताई अनभिज्ञता
आश्चर्य की बात है कि आपदा प्रबंधन विभाग ने हाल ही में एक आधिकारिक बयान जारी कर ऐसी किसी भी चेतावनी रिपोर्ट से अनभिज्ञता जताई और IIRS के दावे का खंडन कर दिया।
विशेषज्ञ मानते हैं कि IIRS जैसी प्रतिष्ठित संस्था की रिपोर्ट को नजरअंदाज करना न केवल गैरजिम्मेदाराना है, बल्कि यह गंभीर प्रशासनिक लापरवाही का भी मामला है।
भूगर्भीय सर्वेक्षण क्यों नहीं हुआ?
वरिष्ठ भाजपा नेता रविन्द्र जुगरान ने कहा कि यदि IIRS की चेतावनी पर समय रहते कार्रवाई की जाती, तो इस आपदा से होने वाले बड़े पैमाने के नुकसान को काफी हद तक रोका जा सकता था।
उन्होंने सवाल उठाया कि रिपोर्ट मिलने के बाद भूगर्भीय सर्वेक्षण, जीआईएस मैपिंग और सैटेलाइट इमेज का तुलनात्मक अध्ययन क्यों नहीं कराया गया।
हाईकोर्ट के आदेश की अवमानना का आरोप
जुगरान ने याद दिलाया कि वर्ष 2019 में सामाजिक कार्यकर्ता अजय गौतम ने गंगोत्री ग्लेशियर और उसके आसपास कृत्रिम झीलों के निर्माण को लेकर उच्च न्यायालय में याचिका दायर की थी।
अदालत ने स्पष्ट निर्देश दिया था कि आपदा प्रबंधन विभाग समय-समय पर क्षेत्र का सर्वेक्षण करे और रिपोर्ट तैयार करे। जुगरान का आरोप है कि विभाग ने न केवल इन आदेशों का पालन नहीं किया, बल्कि IIRS की चेतावनी को भी पूरी तरह नजरअंदाज कर दिया।
“आपदा प्रबंधन अब घोटाला प्रबंधन”
जुगरान ने विभाग पर भ्रष्टाचार और फंड की हेराफेरी के गंभीर आरोप लगाए।
उन्होंने कहा, “पिछले कुछ वर्षों से विभाग आपदा प्रबंधन के बजाय घोटाला प्रबंधन में पूरी तरह संलिप्त है। करोड़ों रुपये खर्च होने के बावजूद जीआईएस लैब में पांच वर्षों से अनुभवी कार्मिक नहीं हैं, जिसके कारण राज्य का अद्यतन डेटा उपलब्ध नहीं है।”
दोषी अधिकारियों पर मुकदमे की मांग
जुगरान ने मुख्यमंत्री से मांग की है कि चेतावनी को अनदेखा करने वाले सभी दोषी अधिकारियों को तत्काल चिन्हित कर दंडित किया जाए और उनके खिलाफ मुकदमे दर्ज हों।
उन्होंने चेतावनी दी कि यदि विभाग में भ्रष्टाचार के मामलों पर कार्रवाई नहीं हुई, तो वह बहुत जल्द अपनी सभी शिकायतों की विस्तृत रिपोर्ट मुख्यमंत्री को सौंपेंगे।
पिछली आपदाओं से नहीं सीखा सबक
विशेषज्ञों का मानना है कि उत्तरकाशी और केदारनाथ जैसी पूर्व की भयावह आपदाओं के बावजूद राज्य के आपदा प्रबंधन तंत्र ने कोई ठोस सबक नहीं सीखा है।
लैंडस्लाइड मिटिगेशन एंड मैनेजमेंट सेंटर जैसे संस्थान महज दिखावे के लिए बने हुए हैं, जिनका जमीनी असर नगण्य है।
धराली-हर्षिल की इस त्रासदी ने यह साफ कर दिया है कि समय रहते चेतावनी पर कार्रवाई न करना, लापरवाही और भ्रष्टाचार, दोनों ही पहाड़ की आपदाओं को और विकराल बना रहे हैं। अगर अब भी प्रशासन ने सबक नहीं सीखा, तो आने वाले वर्षों में ऐसी घटनाएं और भी भयावह रूप ले सकती हैं।