
चेन्नई। तमिलनाडु की राजधानी चेन्नई में मंगलवार को एक भीषण औद्योगिक हादसा हुआ। उत्तर चेन्नई के एन्नोर इलाके में स्थित थर्मल पावर प्लांट के निर्माणाधीन हिस्से में काम कर रहे मजदूरों पर 30 फीट ऊंचाई से विशाल स्टील आर्च गिर पड़ा। इस दर्दनाक हादसे में नौ मजदूरों की मौके पर ही मौत हो गई, जबकि कई अन्य घायल हो गए। मरने वाले सभी मजदूर उत्तर भारत से आए प्रवासी बताए जा रहे हैं। घायलों को तत्काल उत्तर चेन्नई के स्टेनली मेडिकल कॉलेज और अस्पताल में भर्ती कराया गया, जहां एक मजदूर की हालत गंभीर बनी हुई है।
हादसा कैसे हुआ
प्रत्यक्षदर्शियों और प्रारंभिक रिपोर्टों के मुताबिक, मंगलवार सुबह मजदूर थर्मल पावर प्लांट के निर्माण कार्य में जुटे हुए थे। इसी दौरान अचानक ऊंचाई से भारी स्टील आर्च का ढांचा भरभराकर गिर गया। हादसा इतना अचानक हुआ कि मजदूरों को संभलने का मौका तक नहीं मिला और वे मलबे में दब गए।
स्थानीय पुलिस और दमकल विभाग की टीमों ने तत्काल मौके पर पहुंचकर राहत और बचाव अभियान शुरू किया। मलबे में फंसे मजदूरों को निकालने में घंटों का समय लगा। अफरा-तफरी के बीच मजदूरों को स्ट्रेचर और एंबुलेंस की मदद से अस्पताल ले जाया गया।
अधिकारियों का बयान
तमिलनाडु विद्युत बोर्ड (TNEB) और तमिलनाडु उत्पादन एवं वितरण निगम (TANGEDCO) के चेयरमैन और सचिव डॉ. जे. राधाकृष्णन ने हादसे की पुष्टि करते हुए कहा –
“एन्नोर थर्मल पावर निर्माण स्थल पर एक दुर्भाग्यपूर्ण घटना हुई है। एक स्टील आर्च गिरने से नौ मजदूरों की मौत हो गई, जबकि एक मजदूर घायल है। मृतक मजदूर असम और आसपास के इलाकों से थे। भेल (भारत हेवी इलेक्ट्रिकल्स लिमिटेड) के अधिकारी भी घटनास्थल पर मौजूद हैं और जांच में सहयोग कर रहे हैं।”
अवादी पुलिस आयुक्तालय ने बताया कि दुर्घटना के सही कारणों का अभी पता नहीं चला है। फॉरेंसिक टीम और इंजीनियरिंग विशेषज्ञों को भी जांच में लगाया गया है ताकि यह स्पष्ट हो सके कि हादसा डिजाइन की खामी, मानवीय गलती या लापरवाही के चलते हुआ।
अस्पताल में अफरा-तफरी
घटना में घायल मजदूरों को नॉर्थ चेन्नई के स्टेनली मेडिकल कॉलेज ले जाया गया। डॉक्टरों के मुताबिक, घायलों में कई की हालत गंभीर है और उनमें से एक मजदूर को गहन चिकित्सा इकाई (ICU) में रखा गया है। अस्पताल प्रशासन ने मृतकों के शवों को पोस्टमार्टम के लिए सुरक्षित रख दिया है और मृतक मजदूरों के परिजनों को सूचना देने की प्रक्रिया शुरू कर दी है।
प्रवासी मजदूरों का दर्द
इस हादसे में जान गंवाने वाले सभी मजदूर उत्तर भारत से थे। शुरुआती जानकारी के अनुसार, इनमें से ज्यादातर असम और बिहार से आए थे और रोज़गार के लिए चेन्नई में काम कर रहे थे। स्थानीय मजदूर संगठनों का कहना है कि प्रवासी मजदूर अक्सर निर्माण और औद्योगिक स्थलों पर काम करते हैं, लेकिन सुरक्षा मानकों का पालन न होने से वे सबसे अधिक जोखिम झेलते हैं।
मौके पर शोक और गुस्सा
हादसे की खबर मिलते ही स्थानीय लोग और मजदूरों के साथी घटनास्थल पर जमा हो गए। कई लोगों ने सुरक्षा इंतज़ामों पर सवाल उठाए। मजदूर यूनियनों ने आरोप लगाया कि कंपनियां अक्सर काम में तेजी लाने के लिए सुरक्षा नियमों की अनदेखी करती हैं, और इसका खामियाजा मजदूरों को जान गंवाकर चुकाना पड़ता है।
बचाव और जांच जारी
दमकल विभाग ने घटनास्थल को चारों ओर से घेर लिया है। भारी क्रेन और उपकरणों की मदद से मलबा हटाया जा रहा है ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि कोई और मजदूर मलबे में दबा न रह गया हो। पुलिस ने सीआरपीसी की धारा 174 (आकस्मिक मृत्यु की जांच) के तहत मामला दर्ज कर लिया है।
औद्योगिक हादसों का पैटर्न
यह पहली बार नहीं है जब चेन्नई या तमिलनाडु के औद्योगिक क्षेत्रों में ऐसी बड़ी दुर्घटना हुई हो। बीते कुछ वर्षों में निर्माण स्थलों पर सुरक्षा नियमों के उल्लंघन के कारण कई हादसे सामने आए हैं। मजदूर संगठनों और मानवाधिकार कार्यकर्ताओं का कहना है कि सेफ्टी ऑडिट और नियमित निगरानी के अभाव में ऐसी घटनाएं लगातार हो रही हैं।
सरकार और कंपनियों पर दबाव
हादसे के बाद राज्य सरकार और TANGEDCO पर दबाव बढ़ गया है। विपक्षी दलों ने मांग की है कि मृतकों के परिजनों को उचित मुआवजा दिया जाए और दोषी अधिकारियों व ठेकेदारों पर कड़ी कार्रवाई की जाए। वहीं, सामाजिक संगठनों ने भी प्रवासी मजदूरों की सुरक्षा को लेकर गंभीर चिंता जताई है।
माहौल में मातम
एन्नोर इलाके में इस हादसे के बाद मातम पसर गया है। मृतकों के परिवारों को सूचना भेज दी गई है और जल्द ही उनके शव उत्तर भारत भेजने की तैयारी की जा रही है। मजदूरों के साथ काम करने वाले साथी बेहद दुखी हैं और कई ने मीडिया से बातचीत में कहा कि “हम रोज़गार के लिए दूर-दराज़ राज्यों से यहां आते हैं, लेकिन हमारी सुरक्षा भगवान भरोसे छोड़ दी जाती है।”
चेन्नई का यह हादसा एक बार फिर प्रवासी मजदूरों की कार्य परिस्थितियों और औद्योगिक स्थलों पर सुरक्षा मानकों पर सवाल खड़ा करता है। नौ परिवारों ने अपने जवान बेटे, पिता और भाइयों को खो दिया, जबकि कई मजदूर अब अस्पताल में जिंदगी और मौत के बीच संघर्ष कर रहे हैं। जांच रिपोर्ट आने तक हादसे के कारणों पर सटीक निष्कर्ष नहीं निकाला जा सकता, लेकिन इतना तय है कि इस त्रासदी ने देशभर का ध्यान निर्माण स्थलों की सुरक्षा व्यवस्थाओं की ओर खींचा है।