
श्रीनगर (उत्तराखंड): एलयूसीसी (LUCC) मल्टी-स्टेट कोऑपरेटिव सोसाइटी द्वारा किए गए बहुचर्चित चिट फंड घोटाले में पुलिस ने अब तक 8 आरोपियों को गिरफ्तार किया है, जबकि 4 फरार आरोपियों के खिलाफ लुकआउट सर्कुलर (LOC) जारी किए गए हैं। मामले में कुल 13 एफआईआर दर्ज हो चुकी हैं और आरोपियों की संपत्ति जब्त करने की प्रक्रिया भी तेज़ी से जारी है।
यह घोटाला पहली बार 1 जून 2024 को तब सामने आया, जब कोटद्वार निवासी तृप्ति नेगी ने एलयूसीसी की दुगड्डा शाखा में कार्यरत मैनेजर विनीत सिंह और कैशियर प्रज्ञा रावत पर आरडी खाता खोलने के नाम पर धन ठगने का आरोप लगाया। इस मामले में कोटद्वार थाने में एफआईआर संख्या 142/24 दर्ज की गई थी। पुलिस ने तत्परता दिखाते हुए दोनों को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया।
LUCC धोखाधड़ी का दायरा उत्तराखंड के कई जिलों तक फैला हुआ है। अब तक देहरादून, पौड़ी, टिहरी, उत्तरकाशी और रुद्रप्रयाग जिलों में कुल 13 मुकदमे दर्ज किए जा चुके हैं। इनमें सबसे अधिक 4-4 मुकदमे पौड़ी और टिहरी में हैं, जबकि देहरादून और रुद्रप्रयाग में 2-2 और उत्तरकाशी में 1 मामला दर्ज किया गया है।
इस बहुस्तरीय जांच की निगरानी के लिए वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक लोकेश्वर सिंह को पर्यवेक्षण अधिकारी नियुक्त किया गया है। वे गढ़वाल क्षेत्र के सभी मामलों की समीक्षा कर रहे हैं।
अब तक पुलिस ने LUCC के स्टेट हेड समेत 8 आरोपियों को गिरफ्तार किया है। वहीं, गिरीश चंद्र बिष्ट, उत्तम सिंह, समीर अग्रवाल और सबाब हुसैन के खिलाफ लुकआउट सर्कुलर जारी किए गए हैं। इसके अलावा, धोखाधड़ी से जुड़े तीन बैंक खातों को भी सीज किया जा चुका है।
पुलिस अधीक्षक लोकेश्वर सिंह ने सभी जिलों के विवेचकों के साथ एक ऑनलाइन बैठक कर मामले की गंभीरता को देखते हुए त्वरित और ठोस कार्रवाई के निर्देश दिए हैं। उन्होंने सभी अधिकारियों से साक्ष्य मजबूत करने, आरोपियों की संपत्ति जब्त करने और विदेश भागने की आशंका के मद्देनज़र रेड कॉर्नर नोटिस जारी करने की प्रक्रिया तेज़ करने को कहा है।
LUCC (Loni Urban Multi-State Credit & Thrift Co-operative Society) ने 2014 से उत्तराखंड सहित कई राज्यों में लोगों से पैसा दोगुना करने और अधिक ब्याज देने का झांसा देकर निवेश करवाया। स्थानीय युवाओं को कंपनी में नौकरी भी दी गई, ताकि ग्रामीण इलाकों में आसानी से निवेशक जोड़े जा सकें। लेकिन 2023 में कंपनी के शीर्ष अधिकारी निवेशकों का पैसा लेकर फरार हो गए।
पीड़ित निवेशकों ने मामले की शिकायत नैनीताल हाईकोर्ट तक की है। प्रारंभिक जांच में यह अनुमान लगाया गया है कि यह घोटाला 189 करोड़ रुपये से अधिक का हो सकता है।