श्रीनगर: जम्मू और कश्मीर ने केंद्रीय शासन के तहत पांच साल पूरे कर लिए है जो कि आजादी के बाद से देश में राष्ट्रपति शासन की दूसरी सबसे लंबी अवधि है. पूरे भारत में 125 बार राज्यों पर केंद्रीय शासन लगाया गया है. जम्मू और कश्मीर 1977 के बाद से आठ बार प्रत्यक्ष केंद्रीय शासन के अधीन रहा है, यह वह स्थान भी है जहां केंद्रीय शासन का सबसे लंबा कार्यकाल छह साल से अधिक समय तक रहा. घाटी में पिछला विधानसभा चुनाव 2014 में हुआ था, जिसमें खंडित जनादेश मिला था. तब महबूबा मुफ्ती की पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी और बीजेपी ने साझा न्यूनतम एजेंडे पर सहमति के बाद गठबंधन किया. हालांकि, 19 जून, 2018 को भाजपा द्वारा पीडीपी के नेतृत्व वाले गठबंधन से अपना समर्थन वापस लेने के बाद गठबंधन टूट गया.
भारत सरकार ने अगस्त 2019 में जम्मू -कश्मीर से अनुछेद 370 हटाकर राज्य का विशेष दर्जा ख़त्म कर दिया था. तब से, नए केंद्र शासित प्रदेश में कोई विधानसभा चुनाव नहीं हुआ है. एक केंद्र शासित प्रदेश में एक निर्वाचित सरकार के पास सीमित शक्तियां होती हैं और वास्तविक अधिकार केंद्र सरकार के पास होता है. फिर भी, जम्मू-कश्मीर में बहुत से लोग वोट देने के लिए बेसब्री से इंतजार कर रहे हैं, क्योंकि वोट के अधिकार के लिए कश्मीर जितना नुकसान किसी जगह को नहीं हुआ. हजारों लोग आतंकवादियों द्वारा सिर्फ इसलिए मारे गए हैं क्योंकि वे 1990 से लोकतंत्र और अपने वोट के अधिकार के लिए लड़े रहे हैं.