
पहलगाम आतंकी हमले के बाद भारत ने पाकिस्तान के साथ सिंधु जल समझौते पर पुनर्विचार शुरू कर दिया है, जिससे यह सवाल उठ रहा है कि क्या पानी को हथियार बनाकर पाकिस्तान पर निर्णायक दबाव बनाया जा सकता है।
सिंधु जल समझौता: पाकिस्तान को मिला असीमित अधिकार
भारत और पाकिस्तान के बीच छह प्रमुख नदियां बहती हैं – सिंधु, झेलम, चिनाब (पश्चिमी नदियां) और रावी, ब्यास, सतलुज (पूर्वी नदियां)। सिंधु जल समझौते के तहत, पश्चिमी नदियों के पानी पर पाकिस्तान का लगभग असीमित अधिकार है, जबकि भारत को सीमित उपयोग की अनुमति है, जैसे कि पीने, सिंचाई और रन-ऑफ-द-रिवर जलविद्युत परियोजनाएं। पूर्वी नदियों के पानी पर भारत का पूर्ण अधिकार है, लेकिन वास्तविकता यह है कि इन सभी नदियों का 80% पानी पाकिस्तान चला जाता है।
चिनाब: दबाव बनाने का तात्कालिक विकल्प
समझौते के बावजूद, भारत के पास पश्चिमी नदियों के पानी का उपयोग बढ़ाने की गुंजाइश है, खासकर जम्मू-कश्मीर और लद्दाख के लोगों के लिए। समझौता स्थगित होने के बाद, भारत इन नदियों पर नए बांधों के निर्माण में तेजी ला सकता है, लेकिन यह एक दीर्घकालिक रणनीति है। तत्काल रणनीति के तौर पर, चिनाब नदी पाकिस्तान को सबसे ज्यादा नुकसान पहुंचा सकती है।
चिनाब पर भारत ने कई रन-ऑफ-द-रिवर परियोजनाएं बनाई हैं, जिनमें बड़े पैमाने पर जल भंडारण नहीं होता। हालांकि, कुछ भंडारण क्षमता मौजूद है जिसका उपयोग पाकिस्तान पर दबाव बनाने के लिए किया जा सकता है। महत्वपूर्ण बांधों में सलाल (690 MW, 1987 में पूरा) और बगलिहार (1000 MW, 2009 में पूरा) शामिल हैं।
सलाल बांध: सिल्ट का हथियार?
सलाल बांध, जिसे पाकिस्तान की आपत्तियों के बावजूद सिंधु जल समझौते के तहत रन-ऑफ-द-रिवर परियोजना के रूप में बनाया गया था, पूरी तरह से सिल्ट से भरा हुआ है क्योंकि इसमें अंडर स्लूस गेट नहीं हैं। इस सिल्ट को निचले इलाकों में छोड़ने से पाकिस्तान के नहर प्रणाली और बांधों को नुकसान हो सकता है। हालांकि, यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि सलाल बांध के आगे भारत का भी क्षेत्र आता है।
हाल ही में बगलिहार और सलाल बांधों के गेट बंद करने की खबरें आईं, जिसे पीक डिमांड के लिए पानी का स्तर बढ़ाने की नियमित प्रक्रिया बताया गया। चिनाब पर बन रही नई परियोजनाओं, पाकलदुल (1000 MW) और सावलकोट (1856 MW), में जल भंडारण क्षमता बढ़ाने की योजना है।
भारत की रणनीति
भारत ने फिलहाल पाकिस्तान के साथ छह नदियों के जल प्रवाह से संबंधित डेटा साझा करना बंद कर दिया है, जिससे पाकिस्तान को अपनी रणनीति बनाने में मुश्किल होगी। भारत सिंधु जल समझौते की समीक्षा के लिए पाकिस्तान को पहले ही दो बार नोटिस दे चुका है।
ब्रह्मपुत्र: चीन का संभावित ‘वॉटर बम’
इस बीच, चीन ब्रह्मपुत्र नदी पर दुनिया का सबसे बड़ा बांध बनाने की तैयारी कर रहा है, जिससे भारत में चिंता बढ़ गई है। ब्रह्मपुत्र में 60% पानी भारत से आता है, लेकिन बांध के कारण चीन पानी पर नियंत्रण कर सकता है, जिससे अचानक पानी छोड़ने पर भारत में बाढ़ आ सकती है। भारत अरुणाचल प्रदेश में अपर सियांग जिले में 11,000 MW का एक बड़ा बांध बनाकर चीन के इस संभावित खतरे से निपटने की तैयारी कर रहा है।