
मुंबई। भारत में हाई-स्पीड रेल का सपना अब हकीकत बनने के करीब है। केंद्रीय रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने शनिवार (20 सितंबर) को मुंबई में घोषणा की कि बुलेट ट्रेन का पहला सेक्शन सूरत से बिलिमोरा तक वर्ष 2027 में शुरू हो जाएगा। इसके बाद 2028 में यह सेवा ठाणे तक पहुंचेगी और 2029 तक पूरा मुंबई-अहमदाबाद हाई-स्पीड रेल कॉरिडोर चालू हो जाएगा।
रेल मंत्री ने कहा कि यह परियोजना केवल यात्री परिवहन का साधन नहीं बल्कि भारत के लिए आर्थिक विकास का बड़ा इंजन साबित होगी।
पहला चरण: 2027 में सूरत से बिलिमोरा तक
रेल मंत्री वैष्णव ने बताया कि सूरत से बिलिमोरा तक का खंड 2027 तक चालू हो जाएगा। इससे आम लोगों को बुलेट ट्रेन का पहला अनुभव मिलेगा।
- शुरुआत में पीक ऑवर में हर 30 मिनट पर ट्रेन सेवा उपलब्ध कराई जाएगी।
- परियोजना स्थिर होने के बाद यह सेवा हर 20 मिनट पर और पूर्ण कॉरिडोर पर पूरा संचालन शुरू होने के बाद हर 10 मिनट पर मिलेगी।
मंत्री ने भरोसा जताया कि इस ट्रेन का किराया मध्यम वर्ग की पहुंच में रखा जाएगा, ताकि बड़ी संख्या में लोग इसका लाभ उठा सकें।
2029 में पूरा होगा कॉरिडोर, मुंबई तक सफर आसान
योजना के अनुसार,
- 2028 में ठाणे तक बुलेट ट्रेन दौड़ेगी।
- 2029 तक मुंबई तक पूरे हाई-स्पीड रेल कॉरिडोर का काम पूरा हो जाएगा।
यह कॉरिडोर आनंद, अहमदाबाद, वडोदरा, सूरत, वापी और मुंबई को जोड़ेगा और एक बड़े आर्थिक गलियारे (Economic Corridor) का निर्माण करेगा।
कारोबार और उत्पादकता को मिलेगी गति
मंत्री अश्विनी वैष्णव ने कहा कि इस परियोजना से मिलने वाला आर्थिक लाभ शुरुआती निवेश से कहीं अधिक होगा।
- बुलेट ट्रेन से जुड़े शहरों में उद्योग, व्यापार और सेवाओं की गति बढ़ेगी।
- इससे एकीकृत बाजार तैयार होंगे और कारोबार का विस्तार होगा।
- ज्ञान और तकनीकी के आदान-प्रदान में भी तेजी आएगी।
- इससे प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से लाखों रोजगार के अवसर पैदा होंगे।
मुंबई-ठाणे टनल: बड़ी तकनीकी उपलब्धि
रेल मंत्री ने परियोजना के अंतर्गत मुंबई और ठाणे के बीच बन रही 21 किलोमीटर लंबी समुद्र के नीचे टनल का भी जायजा लिया।
- उन्होंने घनसोली और शिलफाटा के बीच 4.88 किलोमीटर लंबे टनल के ब्रेकथ्रू ब्लास्ट का शुभारंभ किया।
- यह टनल पूरे प्रोजेक्ट के लिए अहम उपलब्धि है।
- यह टनल न केवल ट्रेन संचालन के लिए बल्कि सुरक्षा और रेस्क्यू टनल के तौर पर भी काम करेगी।
भारत को मिलेगी नई पीढ़ी की बुलेट ट्रेन
भारत-जापान साझेदारी के तहत बुलेट ट्रेन परियोजना को अंजाम दिया जा रहा है।
- केंद्रीय मंत्री ने बताया कि जापान के उपमंत्री के नेतृत्व वाले प्रतिनिधिमंडल ने हाल ही में इस प्रोजेक्ट की समीक्षा की।
- दोनों पक्षों ने प्रगति पर संतोष जताया और भविष्य की रूपरेखा पर चर्चा की।
- बैठक में जापान की नई पीढ़ी की E10 शिंकान्सेन ट्रेन प्रणाली को भारत में लाने पर सहमति बनी।
- जापान की यह हाई-स्पीड रेल तकनीक अपने आधुनिक डिजाइन, उच्च सुरक्षा मानकों और ऊर्जा दक्षता के लिए जानी जाती है।
1964 से दुनिया बदल रही शिंकान्सेन
गौरतलब है कि जापान ने पहली बार 1964 में टोक्यो ओलंपिक के मौके पर शिंकान्सेन (Bullet Train) शुरू की थी।
- इसके बाद से यह तकनीक जापान की इंजीनियरिंग क्षमता और आर्थिक प्रगति का प्रतीक बन गई।
- अब यही प्रणाली भारत को नई दिशा देगी और एशिया के सबसे तेज़ आर्थिक गलियारों में से एक बनाने में अहम भूमिका निभाएगी।
भारत में बुलेट ट्रेन परियोजना केवल इंफ्रास्ट्रक्चर का मेगा प्रोजेक्ट नहीं बल्कि आने वाले दशकों में आर्थिक विकास का गेमचेंजर साबित होगी।
2027 में पहला चरण शुरू होते ही भारत एशिया के उन चुनिंदा देशों की कतार में शामिल हो जाएगा, जहां हाई-स्पीड रेल नेटवर्क है।
यह परियोजना न सिर्फ यात्रियों को तेज, सुरक्षित और आरामदायक यात्रा उपलब्ध कराएगी, बल्कि देश के व्यापार, उद्योग और रोजगार को भी नई दिशा देगी।



