
नई दिल्ली | 24 दिसंबर, 2025
भारत की हवाई सुरक्षा (Air Defence) प्रणाली में आज एक और ऐतिहासिक अध्याय जुड़ गया है। रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (DRDO) ने मंगलवार को अगली पीढ़ी की आकाश मिसाइल (Akash-NG) प्रणाली के ‘उपयोगकर्ता मूल्यांकन परीक्षण’ (User Evaluation Trials) सफलतापूर्वक पूरे कर लिए हैं। इस सफलता के साथ ही अब इस घातक मिसाइल प्रणाली के भारतीय सशस्त्र बलों में शामिल होने का रास्ता पूरी तरह साफ हो गया है।
सटीक प्रहार और अचूक मारक क्षमता
DRDO के अधिकारियों के अनुसार, परीक्षणों के दौरान इस मिसाइल प्रणाली ने अपनी श्रेष्ठता साबित की। आकाश-एनजी ने कई तरह के चुनौतीपूर्ण हवाई खतरों के खिलाफ अपना दमखम दिखाया। परीक्षणों के दौरान इसने निम्नलिखित लक्ष्यों पर सटीक निशाना लगाया:
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उच्च गति वाले लक्ष्य: बेहद तेज रफ्तार से आने वाले दुश्मन के विमान या ड्रोन।
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कम ऊंचाई वाले खतरे: रडार की नजर से बचकर आने वाले नीचे उड़ने वाले लक्ष्य।
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लंबी दूरी और अधिक ऊंचाई: दूर से ही दुश्मन को तबाह करने की क्षमता।
DRDO ने एक आधिकारिक बयान में कहा, “प्रणाली ने विभिन्न परिचालन परिदृश्यों के तहत उच्च सटीकता और विश्वसनीयता का प्रदर्शन किया है।”
आकाश-एनजी (Next Generation): क्या इसे खास बनाता है?
आकाश-एनजी अपने पुराने संस्करण की तुलना में कहीं अधिक उन्नत और घातक है। इसकी कुछ प्रमुख विशेषताएं इसे विश्व स्तरीय बनाती हैं:
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क्विक रिएक्शन टाइम: यह मिसाइल बहुत ही कम समय में सक्रिय होकर दुश्मन के हमले का जवाब दे सकती है।
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360-डिग्री सुरक्षा: यह प्रणाली चारों दिशाओं से आने वाले हवाई हमलों को नाकाम करने में सक्षम है।
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स्वदेशी सक्रिय सीकर: इसमें लगा आधुनिक सीकर दुश्मन के विमान को खुद ट्रैक करने और टकराने में मदद करता है।
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बेहतर मोबिलिटी: इस सिस्टम को ट्रकों के माध्यम से आसानी से एक स्थान से दूसरे स्थान पर ले जाया जा सकता है, जो युद्ध जैसी स्थिति में बेहद महत्वपूर्ण है।
सशस्त्र बलों के लिए गेम-चेंजर
भारतीय सेना और वायुसेना के बेड़े में इस मिसाइल के शामिल होने से भारत की रक्षा दीवार और भी अभेद्य हो जाएगी। चीन और पाकिस्तान के साथ लगने वाली सीमाओं पर तैनात करने के लिए इसे एक आदर्श हथियार माना जा रहा है।
अधिकारियों का मानना है कि ‘आकाश-एनजी’ न केवल सीमाओं की सुरक्षा करेगी, बल्कि दुश्मन के लड़ाकू विमानों, क्रूज मिसाइलों और ड्रोन के बढ़ते खतरों से हमारे सैन्य अड्डों और महत्वपूर्ण औद्योगिक क्षेत्रों को भी बचाएगी।
‘आत्मनिर्भर भारत’ की दिशा में बड़ा कदम
यह सफलता रक्षा क्षेत्र में भारत की आत्मनिर्भरता को दर्शाती है। आकाश-एनजी का विकास पूरी तरह से स्वदेशी तकनीक से किया गया है। रक्षा मंत्रालय के सूत्रों का कहना है कि इस सफल परीक्षण के बाद अब इसके बड़े पैमाने पर उत्पादन (Mass Production) की प्रक्रिया शुरू होगी, जिससे न केवल सेना की जरूरतें पूरी होंगी बल्कि भविष्य में इसे मित्र देशों को निर्यात भी किया जा सकेगा।
निष्कर्ष
आकाश-एनजी का सफल परीक्षण भारत के रक्षा वैज्ञानिकों की कड़ी मेहनत और तकनीकी महारत का परिणाम है। आसमान से आने वाले किसी भी खतरे को भांपने और उसे पलक झपकते ही नष्ट करने की इसकी क्षमता भारत को वैश्विक रक्षा बाजार में एक बड़ी ताकत के रूप में स्थापित करती है।



