
भोपाल, 20 अक्टूबर: भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की वरिष्ठ नेता, पूर्व केंद्रीय मंत्री और मध्यप्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री उमा भारती ने रविवार को 2029 के लोकसभा चुनाव को लेकर बड़ा बयान दिया है। उन्होंने स्पष्ट कहा कि अगर पार्टी उन्हें चुनाव लड़ने के लिए कहेगी, तो वह जरूर मैदान में उतरेंगी—लेकिन केवल उत्तर प्रदेश की झांसी लोकसभा सीट से।
सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘एक्स (पूर्व में ट्विटर)’ पर एक पोस्ट में उमा भारती ने लिखा,
“मैंने ललितपुर के आत्मीय मीडियाकर्मियों से कहा है कि यदि पार्टी कहेगी तो 2029 का चुनाव जरूर लड़ूंगी, लेकिन मैं सिर्फ झांसी लोकसभा सीट से ही चुनाव लड़ूंगी।”
उनकी इस घोषणा के साथ ही बुंदेलखंड की राजनीति में नई हलचल मच गई है, क्योंकि झांसी—ललितपुर क्षेत्र से उनका गहरा भावनात्मक और राजनीतिक जुड़ाव लंबे समय से रहा है।
झांसी से रही है उमा भारती की ऐतिहासिक राजनीतिक पारी
उमा भारती भारतीय राजनीति में एक प्रभावशाली और करिश्माई चेहरा रही हैं। 2014 के लोकसभा चुनाव में उन्होंने झांसी संसदीय क्षेत्र से भाजपा उम्मीदवार के रूप में जीत दर्ज की थी। उस चुनाव में उन्होंने कांग्रेस प्रत्याशी प्रदीप जैन ‘आदित्य’ को मात देकर शानदार विजय हासिल की थी।
उनका राजनीतिक जीवन झांसी और पूरे बुंदेलखंड क्षेत्र से गहराई से जुड़ा रहा है। धार्मिक, सामाजिक और राजनीतिक रूप से सक्रिय उमा भारती ने हमेशा बुंदेलखंड के विकास और पहचान के मुद्दों को मुखरता से उठाया है।
उन्होंने एक बार फिर यह दोहराया कि—
“बुंदेलखंड मेरा भावनात्मक घर है। वहां की जनता से मेरा आत्मिक रिश्ता है। अगर पार्टी कहेगी, तो मैं झांसी से चुनाव जरूर लड़ूंगी।”
2024 में नहीं लड़ीं, लेकिन ‘सक्रिय राजनीति’ से दूर नहीं
गौरतलब है कि उमा भारती ने 2019 और 2024 के लोकसभा चुनाव में हिस्सा नहीं लिया था। उन्होंने तब कहा था कि वे “सक्रिय राजनीति से कुछ समय के लिए दूर रहकर समाज सेवा पर ध्यान देना चाहती हैं।”
हालांकि, इसी साल अगस्त में उन्होंने यह संकेत दिया था कि वे पूरी तरह राजनीति से अलग नहीं हुई हैं। उन्होंने कहा था—
“मैं राजनीति से दूर नहीं हुई हूं। समय आने पर मैं फिर से सक्रिय भूमिका निभाऊंगी।”
उनके इस बयान को भाजपा में भविष्य की राजनीतिक पुनर्सक्रियता का संकेत माना गया था। अब झांसी सीट का नाम लेकर उन्होंने अपने इरादे को और स्पष्ट कर दिया है।
भाजपा में उमा भारती की स्थिति और संभावनाएं
उमा भारती भाजपा के उन वरिष्ठ नेताओं में शामिल हैं जिन्होंने पार्टी के संगठन को शुरुआती दौर में जमीनी स्तर पर खड़ा करने में अहम भूमिका निभाई। राम जन्मभूमि आंदोलन के दौरान वे भाजपा और विहिप के प्रमुख चेहरों में रहीं।
मध्यप्रदेश की राजनीति में उन्होंने 2003 में भाजपा को प्रचंड बहुमत दिलाकर मुख्यमंत्री पद संभाला, हालांकि कुछ समय बाद उन्हें इस्तीफा देना पड़ा। इसके बावजूद वे लगातार भाजपा के कोर नेतृत्व में बनी रहीं।
झांसी से जुड़ाव और बुंदेलखंड के प्रति उनकी संवेदनशीलता को देखते हुए राजनीतिक विश्लेषक मानते हैं कि अगर पार्टी ने उन्हें 2029 में झांसी से उम्मीदवार बनाया, तो वह क्षेत्र में भाजपा के लिए बड़ा भावनात्मक और रणनीतिक फायदा साबित हो सकता है।
बुंदेलखंड—उमा भारती की राजनीति की आत्मा
उमा भारती का नाम बुंदेलखंड की पहचान के साथ गहराई से जुड़ा है। उन्होंने हमेशा कहा है कि बुंदेलखंड की गरीबी, जल संकट और पिछड़ेपन के मुद्दे उनके जीवन का मिशन हैं।
उनकी पहल पर “बुंदेलखंड विकास योजना” को केंद्र सरकार ने विशेष प्राथमिकता दी थी।
राजनीतिक पर्यवेक्षक मानते हैं कि उनकी वापसी की घोषणा महज व्यक्तिगत इच्छा नहीं बल्कि बुंदेलखंड के मुद्दों को फिर से राष्ट्रीय फलक पर लाने की रणनीति हो सकती है।
भाजपा के लिए झांसी सीट का महत्व
झांसी सीट भाजपा के लिए हमेशा महत्वपूर्ण रही है। 2014 में उमा भारती की जीत ने क्षेत्र में भाजपा को मजबूत आधार दिया था, लेकिन आगामी चुनावों में सीट पर कड़ा मुकाबला देखने को मिला।
यदि उमा भारती फिर से मैदान में उतरती हैं, तो झांसी सीट पर भाजपा को एक बार फिर से मजबूत चेहरा और जमीनी समर्थन दोनों मिल सकते हैं।
राजनीतिक जानकारों का मानना है कि पार्टी नेतृत्व उमा भारती के अनुभव, जनस्वीकार्यता और बुंदेलखंड की जनता से जुड़ाव को भुनाने की कोशिश कर सकता है।
पार्टी में संदेश—‘सीनियर लीडर एक्टिव मोड में’
उमा भारती की इस ताजा घोषणा को पार्टी के भीतर एक बड़े संकेत के रूप में देखा जा रहा है।
2029 का लोकसभा चुनाव अभी दूर है, लेकिन भाजपा अपने पुराने और प्रभावशाली चेहरों को फिर से सक्रिय करने की रणनीति पर काम कर रही है।
इस संदर्भ में उमा भारती जैसी अनुभवी नेता की संभावित वापसी न सिर्फ बुंदेलखंड में, बल्कि मध्य भारत की राजनीति में भी असर डाल सकती है।
झांसी से उमा भारती की नई पारी की संभावना
उमा भारती का बयान उनके राजनीतिक भविष्य के संकेतों को एक बार फिर जीवंत कर गया है।
“सिर्फ झांसी से चुनाव लड़ने” की बात कहकर उन्होंने अपने भावनात्मक और राजनीतिक दोनों केंद्र को स्पष्ट कर दिया है।
भाजपा नेतृत्व की ओर से अभी इस पर कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं आई है, लेकिन राजनीतिक हलकों में यह चर्चा जोरों पर है कि 2029 की राह में झांसी से उमा भारती की संभावित वापसी भाजपा के लिए रणनीतिक रूप से बड़ा कदम साबित हो सकती है।