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आईसीएआर की रिपोर्ट में बड़ा खुलासा, पंजाब-हरियाणा में पराली जलाने की घटनाएं 50% तक घटीं

सैटेलाइट डाटा के आधार पर दर्ज हुआ सुधार, विशेषज्ञों ने दी जागरूकता और तकनीकी हस्तक्षेप को सफलता का श्रेय

नई दिल्ली, 4 नवंबर: भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (ICAR) की ताज़ा रिपोर्ट के अनुसार, पंजाब और हरियाणा में पराली जलाने की घटनाओं में इस वर्ष लगभग 50 प्रतिशत की कमी दर्ज की गई है। संस्था के वैज्ञानिकों ने सैटेलाइट से प्राप्त आंकड़ों के आधार पर यह निष्कर्ष निकाला है। रिपोर्ट में बताया गया है कि 15 सितंबर से 2 नवंबर 2025 के बीच पंजाब में पराली जलाने की घटनाओं में 42 प्रतिशत और हरियाणा में 53 प्रतिशत की कमी देखी गई है।

केंद्र और राज्यों की नीतियों का असर

आईसीएआर के वरिष्ठ कृषि वैज्ञानिक डॉ. एम. एल. जाट ने कहा कि पराली जलाने की घटनाओं में आई कमी का श्रेय केंद्र और राज्य सरकारों की समन्वित रणनीति, किसानों में जागरूकता अभियानों और नई कृषि तकनीकों के प्रसार को जाता है। उन्होंने बताया कि “इस बार सरकार ने बड़े पैमाने पर पराली प्रबंधन मशीनें और सब्सिडी मुहैया कराई। किसानों को पराली से जैविक खाद, चारा और ऊर्जा उत्पादन के लिए प्रेरित किया गया, जिससे इसका सकारात्मक असर दिखा।”

तकनीकी और जागरूकता अभियानों से मिली राहत

विशेषज्ञों के अनुसार, इस साल पंजाब और हरियाणा के कई जिलों में ‘हैप्पी सीडर’ और ‘सुपर स्ट्रॉ मैनेजमेंट सिस्टम’ (SMS) जैसी मशीनों के उपयोग में वृद्धि हुई है। इससे किसानों को खेत साफ करने के लिए पराली जलाने की ज़रूरत कम पड़ी।
कृषि विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि इस बार किसानों को 80% तक सब्सिडी पर मशीनें दी गईं और गांव स्तर पर निगरानी समितियाँ बनाई गईं। साथ ही, ‘ना जलाओ पराली, अपनाओ नई तकनीक’ अभियान के ज़रिए हज़ारों किसानों को प्रशिक्षण दिया गया।

दिल्ली-एनसीआर की हवा में दिखा असर

रिपोर्ट में कहा गया है कि पराली जलाने में आई इस कमी का असर दिल्ली-एनसीआर की वायु गुणवत्ता पर भी देखने को मिला है। हालांकि अब भी वायु प्रदूषण का स्तर ‘बेहद खराब’ श्रेणी में बना हुआ है, परंतु विशेषज्ञों का कहना है कि अगर यह सुधार न होता तो हालात और गंभीर हो सकते थे।
आईसीएआर की रिपोर्ट में यह भी उल्लेख है कि जिन जिलों में किसानों को पराली प्रबंधन उपकरणों की पर्याप्त उपलब्धता थी, वहां जलाने की घटनाएं 60% तक घट गईं।

आगे की रणनीति

आईसीएआर और दोनों राज्यों के कृषि विभागों ने तय किया है कि अगले वर्ष से पहले ही मशीनों के वितरण, किसान प्रशिक्षण और फसल अवशेष प्रबंधन केंद्रों की संख्या में इज़ाफ़ा किया जाएगा। साथ ही, किसानों को आर्थिक प्रोत्साहन (incentives) देने की योजना भी तैयार की जा रही है ताकि पराली जलाने की प्रवृत्ति को पूरी तरह समाप्त किया जा सके।

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