
नई दिल्ली। भारत और अमेरिका के बीच लंबे समय से अटके द्विपक्षीय व्यापार समझौते (Bilateral Trade Agreement) को लेकर एक बार फिर नई उम्मीदें जगी हैं। सरकारी सूत्रों के हवाले से मिली जानकारी के अनुसार, केंद्रीय वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री पीयूष गोयल आने वाले दिनों में अमेरिका की यात्रा पर जा सकते हैं। उनकी यह यात्रा राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप प्रशासन के साथ बातचीत को नए आयाम देने के लिहाज से अहम मानी जा रही है।
सूत्रों ने बताया कि गोयल की यात्रा का औपचारिक कार्यक्रम जल्द जारी किया जाएगा। अमेरिका दौरे से पहले दोनों देशों के शीर्ष व्यापार वार्ताकारों के बीच हुई अहम बैठक में द्विपक्षीय समझौते की दिशा में ठोस कदम उठाए गए हैं।
वार्ता को तेज करने का फैसला
मंगलवार को भारत और अमेरिका के उच्च स्तरीय वार्ताकारों के बीच हुई बैठक में यह निर्णय लिया गया कि एक पारस्परिक रूप से लाभकारी समझौते को जल्द से जल्द अंतिम रूप देने के प्रयासों को गति दी जाएगी।
इस बैठक में अमेरिकी पक्ष का नेतृत्व ब्रेंडन लिंच, यूनाइटेड स्टेट्स ट्रेड रिप्रजेंटेटिव (USTR) के वरिष्ठ अधिकारी, कर रहे थे। वहीं भारतीय प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व वाणिज्य विभाग के विशेष सचिव राजेश अग्रवाल ने किया। चर्चाओं के दौरान रेसिप्रोकल टैरिफ (Reciprocal Tariffs) पर उत्पन्न तनाव को कम करने की दिशा में सकारात्मक संकेत मिले।
नवारो का बयान और संकेत
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के शीर्ष व्यापार सलाहकार पीटर नवारो ने हाल ही में कहा था कि “भारत अब बातचीत की मेज पर आ रहा है।” उनकी यह टिप्पणी ऐसे समय में आई थी जब अमेरिकी वार्ताकार दल ने भारत का दौरा किया था और भारतीय अधिकारियों से विस्तृत चर्चा की थी।
विशेषज्ञों का कहना है कि नवारो के इस बयान से यह संकेत मिलता है कि दोनों देशों के बीच मतभेद कम हो रहे हैं और आने वाले महीनों में एक सीमित व्यापार समझौता (Mini Trade Deal) सामने आ सकता है।
अटके हुए मुद्दे
भारत और अमेरिका के बीच व्यापार समझौते पर अब तक पांच दौर की वार्ता हो चुकी है। छठा दौर 25 से 29 अगस्त के बीच होना था, लेकिन अमेरिकी प्रशासन द्वारा भारतीय उत्पादों पर 50 प्रतिशत टैरिफ लगाने के कारण इसे टाल दिया गया।
अमेरिका लगातार भारत से कृषि उत्पादों और मेडिकल डिवाइसेज़ पर बाज़ार खोलने की मांग कर रहा है, जबकि भारत चाहता है कि अमेरिका स्टील, एल्युमिनियम और फार्मा निर्यात पर लगाए गए ऊँचे शुल्कों को कम करे।
क्यों अहम है यह समझौता?
भारत और अमेरिका का द्विपक्षीय व्यापार साल 2024 में लगभग 160 अरब डॉलर का आँकड़ा छू चुका है। दोनों देशों का लक्ष्य है कि इसे अगले कुछ वर्षों में 500 अरब डॉलर तक पहुँचाया जाए।
- अमेरिका, भारत का सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार है।
- भारतीय आईटी सेवाएँ, फार्मा और ऑटो पार्ट्स की अमेरिका में बड़ी मांग है।
- वहीं अमेरिका से भारत कच्चा तेल, गैस, डिफेंस इक्विपमेंट और कृषि उत्पादों का बड़ा आयातक है।
इस पृष्ठभूमि में कोई भी सकारात्मक व्यापार समझौता न केवल व्यापार घाटा कम करेगा, बल्कि दोनों देशों के आर्थिक रिश्तों को और मजबूती देगा।
विशेषज्ञों की राय
आर्थिक मामलों के जानकारों का मानना है कि भारत और अमेरिका के बीच छोटे-छोटे समझौतों से शुरुआत करके धीरे-धीरे व्यापक व्यापार समझौते (FTA) की दिशा में बढ़ना ज्यादा व्यावहारिक होगा।
इंडस्ट्री चैंबर्स का कहना है कि यदि टैरिफ विवाद सुलझ जाता है तो भारतीय निर्यातकों को अमेरिकी बाज़ार में बड़ी राहत मिलेगी। खासतौर पर टेक्सटाइल, लेदर और जेम्स-एंड-ज्वेलरी जैसे क्षेत्रों को सीधा लाभ होगा।
आगे का रास्ता
सूत्रों के अनुसार, पीयूष गोयल की यात्रा के दौरान कृषि, डिजिटल ट्रेड, मेडिकल डिवाइसेज़ और फार्मा सेक्टर पर गहन चर्चा हो सकती है। अमेरिका यह भी चाहता है कि भारत अपने ई-कॉमर्स नियमों को अधिक लचीला बनाए।
हालाँकि, दोनों देशों के बीच बौद्धिक संपदा अधिकार (IPR) और डाटा लोकलाइजेशन जैसे मुद्दों पर मतभेद अभी भी बरकरार हैं।
भारत और अमेरिका के बीच व्यापारिक रिश्ते हमेशा से रणनीतिक महत्व रखते आए हैं। हालिया वार्ता और पीयूष गोयल की प्रस्तावित अमेरिका यात्रा ने एक बार फिर संकेत दिया है कि दोनों देश समझौते की दिशा में आगे बढ़ने को तैयार हैं।
यदि आगामी बैठकें सफल रहती हैं, तो निकट भविष्य में दोनों देशों के बीच एक ठोस और व्यावहारिक व्यापार समझौता देखने को मिल सकता है, जो न केवल आर्थिक मोर्चे पर बल्कि राजनीतिक और रणनीतिक साझेदारी को भी नया आयाम देगा।
 
				


