
चंडीगढ़: पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट ने विपक्ष के नेता प्रताप सिंह बाजवा को बड़ी राहत दी है। अदालत ने मोहाली साइबर क्राइम पुलिस स्टेशन में दर्ज मामले में उनकी गिरफ्तारी पर 22 अप्रैल तक रोक लगाने का आदेश दिया है।
यह मामला बाजवा के उस बयान को लेकर है जिसमें उन्होंने कहा था कि “पंजाब में 50 ग्रेनेड आए थे, जिनमें 18 फट चुके हैं और बाकी 32 अब भी बाकी हैं।” इस बयान के बाद 13 अप्रैल को उनके खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई थी।
राजनीतिक साजिश बताई याचिका में
बाजवा की ओर से हाई कोर्ट में दाखिल याचिका में कहा गया कि यह केस राजनीति से प्रेरित है और इसे दुर्भावना से दर्ज किया गया है। उनके वकील ने कोर्ट में दलील दी कि पुलिस ने बिना उचित जांच और प्रमाण के यह मामला दर्ज किया है, जबकि कानून के अनुसार वरिष्ठ अधिकारियों की निगरानी में जांच की जानी चाहिए।
पुलिस पूछताछ में शामिल हुए बाजवा
मोहाली साइबर थाने में बाजवा से 15 अप्रैल को कई घंटे पूछताछ की गई थी। इसके बाद मीडिया से बात करते हुए उन्होंने कहा कि, “हमारे नौजवान विदेश जा रहे हैं, कुछ नशे में डूबे हैं, यह पंजाब के लिए खतरे की घंटी है। हमें राज्य को संभालना होगा।” उन्होंने यह भी कहा कि पुलिस ने उन्हें दोबारा पूछताछ के लिए नहीं बुलाया, लेकिन अगर बुलाया गया तो वे फिर जाएंगे।
सरकार की प्रतिक्रिया और सीएम का सवाल
बाजवा के बयान के बाद पंजाब पुलिस की एआईजी काउंटर इंटेलिजेंस रवजोत ग्रेवाल 13 अप्रैल को उनके चंडीगढ़ स्थित घर पहुंचीं थीं और उनसे बयान में दी गई जानकारी का स्रोत पूछा था।
मुख्यमंत्री भगवंत मान ने इस पर सवाल उठाते हुए एक वीडियो बयान जारी किया। उन्होंने पूछा कि बाजवा के पास ग्रेनेड की जानकारी कहां से आई? क्या उनका पाकिस्तान से कोई लिंक है? अगर यह झूठ है, तो क्या वे सिर्फ डर फैलाने के लिए ऐसा कर रहे हैं? मुख्यमंत्री ने यह भी पूछा कि जब इस तरह की जानकारी न तो राज्य की खुफिया एजेंसियों के पास है, न ही केंद्रीय एजेंसियों के, तो यह बात बाजवा को कैसे पता चली?