
सुप्रीम कोर्ट ने एक गैर सरकारी संगठन की ओर से बाल विवाह के मामले में दायर जनहित याचिका पर सुनवाई करके बुधवार अपना फैसला सुरक्षित रख लिया है. याचिका में देश में बाल विवाह के मामले बढ़ने और संबंधित कानून का ठीक क्रियान्वयन नहीं हो पाने का आरोप लगाया गया था. चीफ जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़, जस्टिस जे बी पारदीवाला और जस्टिस मनोज मिश्रा की पीठ ने याचिकाकर्ता सोसाइटी फॉर एनलाइटनमेंट एंड वॉलंटरी एक्शन के वकील और केंद्र की ओर से पेश अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल ऐश्वर्य भाटी की दलीलें सुनीं और इसके बाद फैसला सुरक्षित रखा है.
केन्द्र ने दावा किया कि देश में बाल विवाह के मामलों में काफी कमी आई है. इससे पहले कोर्ट ने महिला एवं बाल विकास मंत्रालय को बाल विवाह निषेध अधिनियम को क्रियान्वित करने के लिए उठाए गए कदमों का विवरण देते हुए स्थिति रिपोर्ट दाखिल करने का निर्देश दिया था. सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ की बेंच ने केंद्र से पूछा FIR दर्ज होना एक पहलू है, लेकिन सामाजिक स्तर पर क्या किया जा सकता है? दरअसल, ASG ऐश्वर्या भाटी ने जागरूकता पैदा करने के लिए सरकार द्वारा किए गए कुछ जागरूकता कार्यक्रमों का उल्लेख किया. जिसपर CJI ने कहा कि वास्तव में जमीनी स्तर पर ये चीजें नहीं बदलती हैं.