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राबर्ट वाड्रा से 16 घंटे से अधिक पूछताछ कर चुकी है ईडी, कांग्रेस ने बताया राजनीतिक प्रतिशोध

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नई दिल्ली। गुरुग्राम के भूमि सौदे मामले में कारोबारी राबर्ट वाड्रा से प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने लगातार तीसरे दिन गुरुवार को पूछताछ की। इस दौरान वाड्रा से छह घंटे से ज्यादा सवाल-जवाब हुआ। अब तक उन्हें कुल मिलाकर 16 घंटे से भी अधिक समय तक पूछताछ का सामना करना पड़ा है।

फिलहाल पूछताछ स्थगित, अगली तारीख तय नहीं

ईडी सूत्रों ने जानकारी दी है कि फिलहाल वाड्रा को दोबारा पूछताछ के लिए तलब नहीं किया गया है और यह भी तय नहीं है कि अगली बार उन्हें कब बुलाया जाएगा। गुरुवार सुबह करीब 11 बजे राबर्ट वाड्रा अपनी पत्नी और कांग्रेस सांसद प्रियंका गांधी वाड्रा के साथ ईडी के कार्यालय पहुंचे और शाम 6:15 बजे तक वहां मौजूद रहे।

पूछताछ के दौरान उनसे करीब 16 से 17 सवाल पूछे गए, जिनके उत्तर उनके बयान के रूप में पीएमएलए (धनशोधन निवारण अधिनियम) के तहत दर्ज किए गए।

राजनीतिक शिकार बनाए जाने का आरोप

पूछताछ से पहले राबर्ट वाड्रा ने मीडिया से कहा कि उन्हें पहले ही हरियाणा सरकार और तत्कालीन मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर द्वारा 2019 और 2020 में इस मामले में क्लीन चिट मिल चुकी है। उन्होंने सवाल उठाते हुए कहा, “अब इतने वर्षों बाद मुझे क्यों बुलाया जा रहा है? यह राजनीतिक बदले की भावना से की जा रही कार्रवाई है। यही कारण है कि लोगों का मानना है कि जांच एजेंसियों का दुरुपयोग हो रहा है।”

‘सभी सवाल पुराने, जन्मदिन परिवार के साथ मनाऊंगा’

एएनआई के अनुसार वाड्रा ने कहा, “पूछे गए सभी सवाल वही पुराने 2019 वाले थे। कुछ भी नया नहीं था। अगर शुक्रवार को सार्वजनिक अवकाश न होता, तो मुझे ईडी दफ्तर में ही अपना जन्मदिन मनाना पड़ता। अब चूंकि गुड फ्राइडे है, तो मैं अपने परिवार के साथ जन्मदिन मना सकूंगा। नहीं तो वे बुलाते ही रहते।”

बीस साल पुराने मामलों का अंत चाहते हैं वाड्रा

राबर्ट वाड्रा ने एजेंसी द्वारा बार-बार बुलाए जाने को लेकर कहा कि वह अब चाहते हैं कि इन करीब 20 साल पुराने मामलों को समाप्त किया जाए। उन्होंने दावा किया कि वे हमेशा जांच एजेंसियों के साथ सहयोग करते आए हैं और हजारों दस्तावेज भी सौंप चुके हैं।

गुरुग्राम लैंड डील से जुड़ा है मामला

ईडी द्वारा राबर्ट वाड्रा से की जा रही यह जांच हरियाणा के गुरुग्राम के मानेसर-शिकोहपुर (अब सेक्टर 83) इलाके की एक जमीन खरीद से संबंधित है। वर्ष 2008 में इस सौदे को स्काईलाइट हॉस्पिटैलिटी प्राइवेट लिमिटेड के जरिए अंजाम दिया गया था, जिसमें वाड्रा निदेशक रह चुके हैं।

कंपनी ने ओंकारेश्वर प्रॉपर्टीज से 3.5 एकड़ जमीन 7.5 करोड़ रुपये में खरीदी थी, जिसे बाद में सितंबर 2012 में डीएलएफ को 58 करोड़ रुपये में बेच दिया गया। इसके कुछ ही हफ्तों बाद, तत्कालीन आईएएस अधिकारी अशोक खेमका ने इस सौदे को नियमों के उल्लंघन का हवाला देते हुए रद्द कर दिया था।

ED पेश करेगी चार्जशीट

उक्त सौदे को लेकर उस समय भाजपा, जो विपक्ष में थी, ने इसे कांग्रेस की परिवारवाद और भ्रष्टाचार की राजनीति का प्रतीक बताया था। वर्ष 2018 में हरियाणा पुलिस ने इस मामले में प्राथमिकी (FIR) दर्ज की थी।

इसके बाद राबर्ट वाड्रा से ईडी ने मनी लॉन्ड्रिंग से जुड़े दो अन्य मामलों में भी पूछताछ की। सूत्रों के अनुसार, अब ईडी इन तीनों मामलों में जल्द ही आरोप पत्र (चार्जशीट) दाखिल करने की तैयारी में है।

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