
देहरादून, 8 जुलाई 2025: जिला प्रशासन देहरादून ने टिहरी बांध पुनर्वास से जुड़े एक पुराने भूमि विवाद मामले में त्वरित कार्रवाई करते हुए पीड़िता पुलमा देवी को न्याय दिलाया है। यह कार्रवाई मुख्यमंत्री श्री पुष्कर सिंह धामी की त्वरित न्याय कार्यशैली से प्रेरित प्रशासनिक सक्रियता का परिणाम मानी जा रही है।
प्रकरण में शास्त्रीनगर तपोवन निवासी पुलमा देवी ने वर्ष 2007 में ग्राम फुलसनी में आवासीय भूमि क्रय की थी। बावजूद इसके, वर्ष 2019 में उसी भूमि पर किसी अन्य व्यक्ति के नाम से पुनः भूमिधरी चढ़ा दी गई थी। इस अनियमितता के पीछे टिहरी बांध पुनर्वास विभाग की चूक उजागर हुई, जिसमें बिना समुचित जांच के एक ही व्यक्ति के नाम दो बार भूमिधरी दर्ज की गई।
यह मामला जिलाधिकारी सविन बंसल के जनता दर्शन में जून माह में सामने आया था, जिसके बाद डीएम ने गंभीरता से जांच कराई। प्रारंभिक जांच में पाया गया कि चन्दरू नामक व्यक्ति को वर्ष 2007 में आवंटित भूमि को विक्रय करने के बाद वर्ष 2019 में पुनः उसी भूखंड पर भूमिधरी दे दी गई थी। यह फर्जीवाड़ा टिहरी बांध पुनर्वास परियोजना के अधिकारियों की लापरवाही से संभव हुआ।
डीएम बंसल की सख्ती के बाद अवस्थापना (पुनर्वास) खंड, ऋषिकेश ने 7 जुलाई को तहसील विकासनगर को पत्र भेजकर वर्ष 2019 की भूमिधरी को निरस्त करने तथा पुलमा देवी के नाम स्वामित्व सुधार करने के निर्देश दिए। उसी दिन तहसील प्रशासन ने अभिलेखों में सुधार करते हुए पुलमा देवी के नाम पर भूमिधरी दर्ज कर दी।
जांच के दौरान डीएम ने अधीक्षण अभियंता (टिहरी बांध पुनर्वास) का वाहन तक जब्त कर लिया था और विभागीय अधिकारियों को कड़ी चेतावनी दी। साथ ही, इस गंभीर मामले की विस्तृत आपराधिक जांच एसडीएम मुख्यालय अपूर्वा को सौंपी गई है।
डीएम सविन बंसल ने स्पष्ट संदेश दिया है कि जब तक पीड़िता को पूर्ण न्याय नहीं मिल जाता, प्रशासन कार्रवाई से पीछे नहीं हटेगा। उन्होंने यह भी कहा कि पुनर्वास विभाग के अधिकारी यदि विस्थापितों की पीड़ा का फायदा उठाएंगे, तो उनके विरुद्ध कठोर कार्रवाई की जाएगी।