
नई दिल्ली, 29 जुलाई 2025: ‘हम गोली का जवाब गोले से देंगे’ — प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मंगलवार को संसद में विपक्ष के उस सवाल पर पहली बार खुलकर बयान दिया जिसमें यह दावा किया जा रहा था कि अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भारत और पाकिस्तान के बीच संभावित युद्ध को रोका था।
यह सवाल विशेष रूप से ‘ऑपरेशन सिंदूर’ को लेकर विपक्ष द्वारा उठाया जा रहा था। पीएम मोदी ने स्पष्ट किया कि भारत ने किसी भी अंतरराष्ट्रीय दबाव में आकर निर्णय नहीं लिया, बल्कि यह संप्रभु राष्ट्र की सुरक्षा को लेकर सख्त और स्वाभाविक प्रतिक्रिया थी।
“कोई ऑपरेशन रोकने नहीं आया था” – पीएम मोदी
प्रधानमंत्री ने बताया कि 9 मई की रात अमेरिकी उपराष्ट्रपति उनसे संपर्क करने की लगातार कोशिश कर रहे थे, लेकिन वह उस समय भारतीय सेना के साथ गहन समीक्षा बैठक में व्यस्त थे।
“मैं उनकी कॉल नहीं ले सका। बाद में मैंने उन्हें कॉल बैक किया तो उन्होंने कहा कि पाकिस्तान एक बड़ा हमला करने वाला है। मैंने साफ कहा – अगर पाकिस्तान हमला करेगा, तो उसे बहुत महंगा पड़ेगा। हम गोली का जवाब गोले से देंगे।”
“ऑपरेशन सिंदूर अभी भी जारी है”
प्रधानमंत्री ने कहा कि 9 मई की रात और 10 मई की सुबह भारत ने पाकिस्तान की सैन्य क्षमताओं को तहस-नहस कर दिया।
“यही हमारा जवाब था। पाकिस्तान भी अब जानता है कि भारत का हर जवाब तगड़ा होता है और भविष्य में भी जरूरत पड़ी तो भारत कुछ भी कर सकता है।”
उन्होंने दोहराया कि ऑपरेशन सिंदूर अभी भी जारी है और भारत किसी भी दुस्साहस का मुंहतोड़ जवाब देने को तैयार है।
विपक्ष के आरोपों को बताया ‘भ्रामक’
विपक्ष के बार-बार यह सवाल उठाने पर कि क्या अमेरिका ने दोनों देशों के बीच मध्यस्थता कर संघर्ष विराम करवाया, प्रधानमंत्री ने इसे ‘तथ्यहीन और भ्रामक राजनीतिक कथा’ बताया। उन्होंने कहा, “दुनिया के किसी नेता ने भारत के सैन्य ऑपरेशन को रोकने के लिए नहीं कहा था।”
‘आज का भारत आत्मविश्वास से भरा हुआ है’
प्रधानमंत्री ने अपने संबोधन का समापन करते हुए कहा,
“आज का भारत आत्मविश्वास से भरा हुआ है। यह नया भारत है – जो खतरे को टालता नहीं, ललकारता है। हमारी सैन्य ताकत और राजनीतिक इच्छाशक्ति अब सवालों के घेरे में नहीं, बल्कि दुनिया में मिसाल बन रही है।”
विश्लेषण: क्या पीएम मोदी का यह बयान ‘रणनीतिक स्पष्टता’ का संकेत है?
प्रधानमंत्री के बयान को विशेषज्ञ भारत की रणनीतिक आत्मनिर्भरता और सैन्य-संप्रभुता के रूप में देख रहे हैं। यह स्पष्ट संदेश है कि भारत अपनी सुरक्षा नीतियों में न तो बाहरी हस्तक्षेप स्वीकार करता है और न ही दबाव में निर्णय लेता है।
इस बयान के साथ ही संसद में एक लंबे समय से उठ रहा सवाल शांत हुआ, लेकिन अंतरराष्ट्रीय स्तर पर इसका क्या प्रभाव होगा, यह आने वाले दिनों में स्पष्ट होगा।