नयी दिल्ली (भाषा): राजधानी दिल्ली में लगातार बिगड़ती वायु गुणवत्ता को लेकर नागरिकों का धैर्य टूटता दिख रहा है। रविवार को इंडिया गेट पर स्वच्छ हवा की मांग को लेकर जुटे नागरिकों को पुलिस द्वारा हिरासत में लिए जाने के बाद राजनीतिक माहौल गरमा गया है।
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता राहुल गांधी ने इस कार्रवाई को “लोकतांत्रिक अधिकारों पर हमला” करार देते हुए केंद्र सरकार की कड़ी आलोचना की।
‘अपराधियों जैसा बर्ताव क्यों?’ — राहुल गांधी का सवाल
राहुल गांधी ने एक्स (पूर्व ट्विटर) पर एक पोस्ट करते हुए लिखा,
“स्वच्छ हवा की मांग कर रहे नागरिकों को गिरफ्तार किया जा रहा है। यह सरकार आखिर किससे डर रही है?
क्या सांस लेना अब अपराध हो गया है? नागरिकों पर हमला करने के बजाय वायु प्रदूषण से निपटने के लिए तत्काल और निर्णायक कदम उठाए जाने चाहिए।”
गांधी ने यह भी कहा कि सरकार ने लोगों को “अपराधी की तरह” पेश किया, जबकि वे सिर्फ अपने बच्चों और परिवार के लिए साफ हवा की मांग कर रहे थे।
उनके बयान के बाद सोशल मीडिया पर #RightToBreathe और #CleanAirNow जैसे हैशटैग तेजी से ट्रेंड करने लगे।
प्रदर्शन का मकसद — ‘सांस लेने का अधिकार’
रविवार सुबह दिल्ली के इंडिया गेट और राजपथ क्षेत्र में सैकड़ों नागरिकों ने “Let Delhi Breathe” (दिल्ली को सांस लेने दो) अभियान के तहत मौन प्रदर्शन किया।
प्रदर्शनकारियों में छात्र, पर्यावरण कार्यकर्ता, डॉक्टर, वरिष्ठ नागरिक और छोटे बच्चों के माता-पिता शामिल थे।
वे हाथों में बैनर लिए हुए थे जिन पर लिखा था —
“हम सिर्फ हवा मांग रहे हैं, कोई सत्ता नहीं।”
“अगर आप सांस ले रहे हैं, तो आप भी प्रदर्शन में शामिल हैं।”
प्रदर्शनकारियों ने मास्क पहने हुए बच्चों की तस्वीरों के साथ प्रदर्शन किया और सरकार से दिल्ली-एनसीआर में प्रदूषण के खिलाफ आपातकालीन स्तर पर कार्यवाही की मांग की।
पुलिस ने कई प्रदर्शनकारियों को हिरासत में लिया
करीब एक घंटे बाद दिल्ली पुलिस ने प्रदर्शनकारियों को हटाने की कोशिश की।
पुलिस ने तर्क दिया कि बिना अनुमति प्रदर्शन करना कानून का उल्लंघन है और इससे सुरक्षा व्यवस्था प्रभावित हो सकती है।
कई प्रदर्शनकारियों को हिरासत में लेकर पास के थानों में ले जाया गया।
पुलिस के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया,
“यह प्रदर्शन बिना पूर्व अनुमति के किया गया था। सार्वजनिक व्यवस्था बनाए रखने के लिए कुछ लोगों को एहतियातन हिरासत में लिया गया। बाद में उन्हें छोड़ दिया गया।”
राजनीतिक दलों की तीखी प्रतिक्रिया
राहुल गांधी के अलावा कई विपक्षी नेताओं ने भी पुलिस कार्रवाई की निंदा की।
कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा ने कहा,
“जो लोग अपने बच्चों के भविष्य के लिए आवाज़ उठा रहे हैं, उन्हें गिरफ्तार करना सरकार की संवेदनहीनता को दर्शाता है। हवा पर ताले नहीं लगाए जा सकते।”
आप सांसद संजय सिंह ने भी कहा कि केंद्र और दिल्ली सरकार दोनों को मिलकर ठोस नीति बनानी चाहिए।
उन्होंने कहा,
“यह राजनीति का नहीं, अस्तित्व का सवाल है। हवा जहरीली हो चुकी है और केंद्र सिर्फ आंकड़ों की बात कर रहा है।”
वहीं, भाजपा के प्रवक्ता शाहनवाज हुसैन ने विपक्ष के आरोपों को राजनीति से प्रेरित बताते हुए कहा कि सरकार “स्थिति पर गंभीरता से काम कर रही है।”
दिल्ली में हवा ‘बेहद खराब’ श्रेणी में
केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (CPCB) के अनुसार, रविवार को दिल्ली का एयर क्वालिटी इंडेक्स (AQI) 470 के पार पहुंच गया, जो ‘गंभीर’ श्रेणी में आता है।
आनंद विहार, द्वारका, बवाना, मुंडका और नोएडा जैसे क्षेत्रों में स्थिति सबसे ज्यादा खराब रही।
विशेषज्ञों का कहना है कि पराली जलाने, वाहनों के धुएं और औद्योगिक प्रदूषण के अलावा मौसम में ठहराव भी वायु गुणवत्ता को और बिगाड़ रहा है।
AIIMS के पल्मोनोलॉजी विभाग के एक वरिष्ठ चिकित्सक ने कहा,
“दिल्ली का हर नागरिक इस समय धुएं से जूझ रहा है। बच्चों और बुजुर्गों के लिए यह हवा जहर से कम नहीं।”
सरकार ने कहा — ‘मॉनिटरिंग जारी है’
इस बीच, केंद्र सरकार ने कहा है कि प्रदूषण की स्थिति पर लगातार नजर रखी जा रही है।
पर्यावरण मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि ग्रेडेड रिस्पॉन्स एक्शन प्लान (GRAP) के तहत कई कदम उठाए गए हैं, जिनमें निर्माण कार्यों पर रोक, डीजल वाहनों पर प्रतिबंध और स्कूलों में ऑनलाइन कक्षाओं की सिफारिश शामिल है।
हालांकि पर्यावरणविदों का कहना है कि यह कदम “प्रतिक्रियात्मक” हैं, न कि “निवारक”।
सेंटर फॉर साइंस एंड एनवायरनमेंट (CSE) की महानिदेशक सुनीता नारायण ने कहा,
“हर साल हम वही करते हैं जो पिछले साल किया था। अगर हमें दिल्ली की हवा सचमुच साफ करनी है, तो स्थायी समाधान — जैसे सार्वजनिक परिवहन सुधार और औद्योगिक उत्सर्जन नियंत्रण — पर ध्यान देना होगा।”
‘सांस लेना भी अब संघर्ष बन गया है’
प्रदर्शन में शामिल एक स्कूली छात्रा, 14 वर्षीय काव्या, ने कहा,
“हम बाहर खेल नहीं सकते, दौड़ नहीं सकते। मेरी मां कहती हैं, हवा जहर बन गई है। मैं बस यही चाहती हूं कि हमें साफ हवा मिले — क्या यह बहुत बड़ी मांग है?”
उसकी यह बात आज हर दिल्लीवासी की पीड़ा को बयां करती है।
जहां एक तरफ सर्द हवाओं ने दस्तक दी है, वहीं धुएं और धुंध का घेरा नागरिकों को यह सोचने पर मजबूर कर रहा है कि क्या स्वच्छ हवा अब ‘विशेषाधिकार’ बन गई है।
लोकतंत्र बनाम विकास मॉडल पर नई बहस
राहुल गांधी का यह बयान न केवल पर्यावरण नीति पर, बल्कि लोकतांत्रिक अधिकारों पर भी नई बहस छेड़ गया है।
विश्लेषकों का कहना है कि यदि नागरिकों को पर्यावरणीय अधिकारों के लिए भी सड़कों पर उतरना पड़े, तो यह नीति-निर्माताओं की असफलता को दर्शाता है।
राजनीतिक विश्लेषक प्रदीप झा का कहना है,
“स्वच्छ हवा कोई राजनीतिक मुद्दा नहीं, बल्कि जीवन का मूल अधिकार है। इस पर कार्रवाई न होना और विरोध करने वालों को हिरासत में लेना लोकतंत्र के लिए गंभीर संकेत है।”
आख़िर में सवाल वही — क्या हमें सांस लेने का हक़ है?
दिल्ली की धुंध में लिपटी यह घटना सिर्फ एक प्रदर्शन की नहीं, बल्कि उस बुनियादी सवाल की प्रतीक है जो हर नागरिक के दिल में उठता है —“क्या हमें सांस लेने का हक़ भी अब मांगना पड़ेगा?”
राहुल गांधी के शब्दों में — “विकास का असली पैमाना यह नहीं कि हमने कितनी इमारतें खड़ी कीं, बल्कि यह है कि हमारे बच्चे कैसी हवा में सांस ले रहे हैं।”



