
नई दिल्ली। देश की राजधानी दिल्ली एक बार फिर गंभीर वायु प्रदूषण के संकट की गिरफ्त में है। हालात इतने बिगड़ चुके हैं कि राजधानी के कई इलाकों में औसत वायु गुणवत्ता सूचकांक (AQI) 500 के बेहद करीब पहुंच गया है, जो प्रदूषण की ‘अत्यंत गंभीर’ श्रेणी में आता है। जहरीली हवा के चलते न सिर्फ आम जनजीवन प्रभावित हुआ है, बल्कि स्वास्थ्य को लेकर भी गहरी चिंता पैदा हो गई है। हालात की गंभीरता को देखते हुए सरकार ने ग्रेडेड रिस्पॉन्स एक्शन प्लान (GRAP) का सबसे सख्त चरण GRAP-4 लागू कर दिया है।
रविवार सुबह दिल्ली का औसत AQI 462 दर्ज किया गया, जो यह संकेत देता है कि राजधानी की हवा सांस लेने लायक नहीं रह गई है। दिल्ली से सटे नोएडा, गुरुग्राम, ग्रेटर नोएडा और बहादुरगढ़ में भी प्रदूषण का स्तर खतरनाक बना हुआ है, जिससे पूरे राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (NCR) में स्वास्थ्य आपात स्थिति जैसे हालात बनते दिख रहे हैं।
दिल्ली के कई इलाकों में AQI 500 के करीब
आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, रविवार सुबह 6 बजे तक दिल्ली के किसी भी वायु गुणवत्ता निगरानी केंद्र पर AQI 400 से नीचे नहीं पाया गया। राजधानी के कई प्रमुख रिहायशी और औद्योगिक इलाकों में हालात बेहद खराब दर्ज किए गए।
- रोहिणी में AQI 499
- बवाना में 498
- डीटीयू में 497
- जहांगीरपुरी में 495
- विवेक विहार में 495
- आनंद विहार में 491
- अशोक विहार और वजीरपुर में 493
- नरेला में 493
- पटपड़गंज में 488
इन आंकड़ों ने साफ कर दिया है कि राजधानी का शायद ही कोई इलाका ऐसा बचा हो, जहां हवा सुरक्षित श्रेणी में हो।
स्वास्थ्य पर गंभीर खतरा, डॉक्टरों की चेतावनी
चिकित्सकों और स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने इस प्रदूषण को लेकर कड़ी चेतावनी जारी की है। डॉक्टरों का कहना है कि इस तरह की जहरीली हवा में बाहर निकलने से आंखों में जलन, सांस लेने में तकलीफ, सिरदर्द, गले में खराश, खांसी और सीने में जकड़न जैसी समस्याएं तेजी से बढ़ रही हैं।
विशेषज्ञों के मुताबिक, लंबे समय तक ऐसे माहौल में रहने से फेफड़ों की कार्यक्षमता पर स्थायी असर, अस्थमा, ब्रोंकाइटिस, हृदय रोग और यहां तक कि न्यूरोलॉजिकल समस्याओं का खतरा भी बढ़ जाता है। बच्चे, बुजुर्ग, गर्भवती महिलाएं और पहले से श्वसन रोगों से पीड़ित लोग सबसे ज्यादा जोखिम में हैं। डॉक्टरों ने लोगों को अनावश्यक रूप से घर से बाहर न निकलने और मास्क का उपयोग करने की सलाह दी है।
GRAP-4 लागू: जानिए क्या-क्या बंद
प्रदूषण की गंभीर स्थिति को देखते हुए सरकार ने GRAP के चौथे चरण को लागू कर दिया है, जिसमें कई सख्त प्रतिबंध शामिल हैं—
- दिल्ली के सरकारी और निजी कार्यालयों को 50 प्रतिशत कर्मचारियों के साथ काम करने के निर्देश
- कर्मचारियों को वर्क फ्रॉम होम का विकल्प देने की सलाह
- स्कूलों में कक्षा 9 तक और कक्षा 11 तक पढ़ाई को हाइब्रिड मोड में संचालित करने का आदेश
- सभी प्रकार के निर्माण कार्यों पर पूर्ण प्रतिबंध
- स्थानीय उद्योगों को प्रदूषण-रहित तकनीक अपनाने या उत्पादन सीमित करने के निर्देश
- पुरानी पेट्रोल (BS-III) और डीजल (BS-IV) गाड़ियों के संचालन पर रोक
प्रशासन का कहना है कि इन कदमों का सख्ती से पालन कराया जाएगा और उल्लंघन करने वालों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई होगी।
शनिवार को भी बेहद खराब थे हालात
इससे पहले शनिवार को भी दिल्ली की हवा बेहद खराब स्थिति में रही। राजधानी पर जहरीले धुएं और कोहरे की मोटी परत छाई रही, जिससे दृश्यता भी काफी कम हो गई। शनिवार को औसत AQI 431 दर्ज किया गया, जो इस साल अब तक का सबसे खराब स्तर था। यह आंकड़ा 11 नवंबर को दर्ज 428 के पिछले रिकॉर्ड को भी पार कर गया था।
केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (CPCB) के मुताबिक, शनिवार को 21 में से सभी 21 निगरानी स्टेशनों पर वायु गुणवत्ता ‘गंभीर’ श्रेणी में दर्ज की गई। वायु गुणवत्ता की प्रारंभिक चेतावनी प्रणाली ने पहले ही संकेत दे दिए थे कि रविवार को भी हालात और बिगड़ सकते हैं, जो सही साबित हुआ।
NCR के अन्य शहरों में भी संकट
दिल्ली के साथ-साथ एनसीआर के अन्य शहरों में भी प्रदूषण ने लोगों की मुश्किलें बढ़ा दी हैं। शनिवार को नोएडा का AQI 455 और ग्रेटर नोएडा का 442 दर्ज किया गया, जो दिल्ली के बराबर या उससे भी अधिक रहा। गुरुग्राम और बहादुरगढ़ में भी हवा ‘बहुत खराब’ से ‘गंभीर’ श्रेणी में रही।
क्यों हर साल सर्दियों में बिगड़ती है दिल्ली की हवा
विशेषज्ञों के अनुसार, सर्दियों के मौसम में हवा की गति कम, तापमान में गिरावट और इन्वर्जन लेयर बनने से प्रदूषक जमीन के पास फंस जाते हैं। इसके साथ ही वाहनों का बढ़ता उत्सर्जन, निर्माण कार्य, औद्योगिक गतिविधियां और पराली जलाने जैसी समस्याएं स्थिति को और भयावह बना देती हैं।
पर्यावरण विशेषज्ञों का मानना है कि जब तक क्षेत्रीय स्तर पर समन्वित और दीर्घकालिक समाधान लागू नहीं किए जाते, तब तक हर सर्दी में दिल्ली को इसी संकट का सामना करना पड़ेगा।
आगे की राह
प्रशासन का कहना है कि स्थिति पर लगातार नजर रखी जा रही है और जरूरत पड़ने पर और कड़े कदम उठाए जाएंगे। विशेषज्ञों के अनुसार, तात्कालिक प्रतिबंधों के साथ-साथ सार्वजनिक परिवहन को बढ़ावा, स्वच्छ ऊर्जा, हरित क्षेत्र का विस्तार और प्रदूषण फैलाने वाले स्रोतों पर सख्त नियंत्रण ही इस समस्या का स्थायी समाधान हो सकता है।
फिलहाल, दिल्ली और NCR के निवासियों के लिए सबसे जरूरी है सतर्कता। जब तक हवा की गुणवत्ता में सुधार नहीं होता, तब तक घरों में रहना, स्वास्थ्य संबंधी सावधानियां बरतना और प्रशासन के निर्देशों का पालन करना ही सुरक्षित विकल्प है।



