
देहरादून, 13 दिसंबर 2025। उत्तराखंड की राजधानी देहरादून में राष्ट्रीय राजमार्गों और सार्वजनिक स्थलों पर फैली गंभीर गंदगी को लेकर जिला प्रशासन ने अब सख्त रुख अपना लिया है। हरिद्वार बाईपास रोड से लेकर लच्छीवाला, भानियावाला टोल, एयरपोर्ट रोड, लालतप्पड़, रायवाला अंडरपास और नेशनल हाईवे सर्विस रोड के दोनों ओर लंबे समय से जमा कूड़े-कचरे को लेकर जिलाधिकारी सविन बंसल ने कड़ा संज्ञान लेते हुए संबंधित विभागों और अधिकारियों के खिलाफ न्यायिक प्रक्रिया शुरू कर दी है।
जिलाधिकारी के निर्देश पर उपजिलाधिकारी सदर एवं ऋषिकेश द्वारा कराए गए स्थलीय निरीक्षण में यह सामने आया कि इन प्रमुख मार्गों के किनारे भारी मात्रा में प्लास्टिक, पॉलिथीन, खाद्य पदार्थों के खाली पैकेट, बोतलें और अन्य ठोस अपशिष्ट अनियमित रूप से जमा हैं। इससे न केवल क्षेत्र की स्वच्छता और सौंदर्य प्रभावित हो रहा है, बल्कि पर्यावरण, भूमिगत जल और सार्वजनिक स्वास्थ्य पर भी गंभीर खतरा उत्पन्न हो गया है।
बीएनएसएस की धारा 152 के तहत आपराधिक नोटिस
निरीक्षण रिपोर्ट के आधार पर जिलाधिकारी ने भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (बीएनएसएस) की धारा 152 (पूर्व में सीआरपीसी की धारा 133) के अंतर्गत संबंधित अधिकारियों को आपराधिक नोटिस जारी किए हैं। यह धारा लोक मार्गों पर अवैध बाधा, सार्वजनिक उपद्रव और न्यूसेन्स को हटाने के लिए मजिस्ट्रेट को तत्काल कार्रवाई के अधिकार देती है।
इसके तहत परियोजना निदेशक, एनएचएआई, प्रभागीय वनाधिकारी, देहरादून, तथा अधिशासी अभियंता, एनएच खण्ड डोईवाला को निर्देशित किया गया है कि वे नोटिस प्राप्ति के सात दिनों के भीतर संबंधित क्षेत्रों से समस्त गंदगी को पूरी तरह हटाएं और स्थायी स्वच्छता व्यवस्था सुनिश्चित करें। साथ ही, इन अधिकारियों को 19 दिसंबर 2025 को एसडीएम न्यायालय में उपस्थित होकर अपना पक्ष रखने के आदेश दिए गए हैं।
रायवाला और प्रतीतनगर क्षेत्र पर भी कार्रवाई
इसी तरह पुराने रेलवे रोड रायवाला अंडरपास, ग्राम प्रतीतनगर, रायवाला रेलवे स्टेशन और नेशनल हाईवे सर्विस रोड के किनारे फैले कूड़े-कचरे के मामलों में भी जिला प्रशासन ने सख्ती दिखाई है। इन स्थलों पर प्रोजेक्ट डायरेक्टर एनएचएआई, सहायक वन संरक्षक, अधिशासी अभियंता लोनिवि ऋषिकेश, अपर मुख्य अधिकारी जिला पंचायत और रेलवे अधीक्षक, रायवाला स्टेशन को बीएनएसएस की धारा 152 के तहत नोटिस जारी किए गए हैं।
तहसील ऋषिकेश की टीम द्वारा किए गए निरीक्षण में पाया गया कि इन क्षेत्रों में लंबे समय से कूड़ा नहीं उठाया गया है, जिससे दुर्गंध, मच्छरों और अन्य संक्रामक रोगों का खतरा बढ़ गया है। स्थानीय लोगों ने प्रशासन को बताया कि गंदगी के कारण राहगीरों को भारी असुविधा का सामना करना पड़ रहा है और आसपास के क्षेत्रों में स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं बढ़ रही हैं।
पर्यावरण और जन-सुरक्षा पर गंभीर असर
प्रशासनिक रिपोर्ट के अनुसार, राजमार्गों के किनारे कूड़े के ढेरों के कारण पर्यावरणीय असंतुलन उत्पन्न हो रहा है। प्लास्टिक और ठोस अपशिष्ट के कारण भूमिगत जल के प्रदूषित होने की आशंका जताई गई है। इसके अलावा, इन क्षेत्रों के आसपास वन क्षेत्र होने के कारण हाथियों और बंदरों जैसे वन्यजीवों की आवाजाही भी बढ़ी है, जिससे सड़क दुर्घटनाओं और जन-हानि का खतरा बना हुआ है।
जिलाधिकारी सविन बंसल ने स्पष्ट किया कि यह स्थिति केवल प्रशासनिक लापरवाही नहीं, बल्कि लोक स्वास्थ्य और जन-सुरक्षा से जुड़ा गंभीर विषय है। उन्होंने कहा कि सार्वजनिक मार्गों पर गंदगी किसी भी सूरत में स्वीकार्य नहीं है और इसके लिए जिम्मेदार विभागों की जवाबदेही तय की जाएगी।
अनुपालन नहीं हुआ तो कठोर कार्रवाई
जिला प्रशासन ने संबंधित विभागों को निर्देश दिए हैं कि वे 19 दिसंबर 2025 तक सभी चिन्हित स्थलों से कूड़े-कचरे का पूर्ण निस्तारण सुनिश्चित करें और सफाई कार्य की फोटोग्राफ सहित अनुपालन आख्या न्यायालय में प्रस्तुत करें। निर्धारित समय सीमा में आदेशों का पालन न होने की स्थिति में संबंधित पक्षों को 20 दिसंबर 2025 को न्यायालय में उपस्थित होकर अपना स्पष्टीकरण देना होगा।
प्रशासन ने यह भी चेतावनी दी है कि यदि आदेशों की अवहेलना की गई तो भारतीय न्याय संहिता, 2023 की प्रासंगिक धाराओं के तहत आपराधिक कार्रवाई की जाएगी, जिसमें छह माह तक के कारावास का प्रावधान है।
स्वच्छता को लेकर ‘जीरो टॉलरेंस’ नीति
जिला प्रशासन ने साफ किया है कि देहरादून जैसे प्रमुख पर्यटन और राजधानी क्षेत्र में स्वच्छता को लेकर अब ‘जीरो टॉलरेंस’ नीति अपनाई जाएगी। राजमार्गों, सर्विस रोड, रेलवे परिसरों और सार्वजनिक स्थलों पर नियमित निरीक्षण जारी रहेगा और भविष्य में किसी भी प्रकार की लापरवाही पाए जाने पर तत्काल कानूनी कार्रवाई की जाएगी।
प्रशासन का मानना है कि इस सख्त कदम से न केवल स्वच्छता व्यवस्था में सुधार होगा, बल्कि संबंधित विभागों की जवाबदेही भी तय होगी। साथ ही, आमजन को स्वच्छ और सुरक्षित वातावरण उपलब्ध कराने की दिशा में यह एक महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है।



