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मिडिल ईस्ट में तनाव से क्रूड ऑयल महंगा, एशियाई बाजारों में गिरावट—क्या होगा भारतीय शेयर बाजार पर असर?

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मिडिल ईस्ट में बढ़ते भू-राजनीतिक तनाव के चलते अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल (क्रूड ऑयल) की कीमतों में तेज़ उछाल दर्ज किया गया है।अमेरिका और इज़राइल द्वारा ईरान के न्यूक्लियर ठिकानों पर किए गए हमले के बाद वैश्विक बाजारों में चिंता का माहौल बन गया है।

तेल की कीमतों में तेज़ी
• ब्रेंट क्रूड करीब 2.7%बढ़कर 79.12 डॉलर प्रति बैरल तक पहुंच गया।
• WTI क्रूड (अमेरिकी क्रूड) 2.8% की बढ़त के साथ 75.98 डॉलर प्रति बैरल पर पहुंच गया।
• ये दरें जनवरी के बाद की सबसे ऊंची कीमतें हैं।

इस तेजी की प्रमुख वजह यह है कि ईरान दुनिया का 9वां सबसे बड़ा तेल उत्पादक देश है। ईरान प्रतिदिन लगभग 33 लाख बैरल कच्चा तेल बनाता है, जिसमें से लगभग 50% तेल का निर्यात किया जाता है। मौजूदा हालात में, तेल की वैश्विक आपूर्ति पर बड़ा खतरा मंडरा रहा है।

स्ट्रेट ऑफ हॉर्मुज पर चिंता
विशेषज्ञों का मानना है कि अगर ईरान इस हमले के जवाब में स्ट्रेट ऑफ हॉर्मुज को बंद करने की कोशिश करता है, तो यह एक वैश्विक ऊर्जा संकट को जन्म दे सकता है। बता दें कि यह समुद्री मार्ग दुनिया के लगभग 20% कच्चे तेल और 25% लिक्विड गैस सप्लाई के लिए अहम है।

एशियाई बाजारों में गिरावट
इस तनाव का असर एशियाई शेयर बाजारों पर भी देखा गया है। जापान, हांगकांग और चीन के बाजारों में नकारात्मक रुझान देखने को मिला, निवेशकों में अनिश्चितता का माहौल बना हुआ है।

भारतीय बाजार पर संभावित असर
• भारत जैसे तेल आयातक देशों पर सीधा असर पड़ सकता है।
• कच्चे तेल की कीमतें बढ़ने से महंगाई में उछाल और रुपये पर दबाव बढ़ सकता है।
• निवेशक सावधानी भरा रुख अपना सकते हैं जिससे शेयर बाजार में हल्की गिरावट की आशंका बनी हुई है, खासकर तेल, एविएशन और पेंट कंपनियों के शेयरों पर।

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