
देहरादून : राष्ट्र की एकता, अखंडता और शांति के संदेश को लेकर शनिवार को राजभवन, देहरादून में सर्वधर्म गोष्ठी का आयोजन किया गया। इस महत्वपूर्ण आयोजन में राज्यपाल लेफ्टिनेंट जनरल गुरमीत सिंह (से नि), मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी, विभिन्न धर्मों के प्रतिनिधि और समाजसेवी शामिल हुए। गोष्ठी का उद्देश्य देश के वर्तमान परिदृश्य में सामूहिक एकजुटता और राष्ट्रीय प्रतिबद्धता को पुनः स्थापित करना था।
“धर्म की सीमाओं से परे एकता की मिसाल” – राज्यपाल गुरमीत सिंह
राज्यपाल ने कहा, “आज हम धर्म, जाति और पंथ की सीमाओं से परे एक साथ खड़े हैं। हमारी सेना की ताकत सिर्फ हथियार नहीं, बल्कि उसका परिवार, उसका देश और उसका मनोबल होता है।” उन्होंने बताया कि ऑपरेशन सिंदूर जैसे सैन्य अभियानों के दौरान कर्नल सोफिया कुरैशी और विंग कमांडर व्योमिका सिंह जैसी बेटियां देश को निरंतर जानकारी दे रही हैं, जो भारत की सशक्त मातृशक्ति का प्रतीक हैं।
राज्यपाल ने सभी धर्मों की शिक्षाओं का हवाला देते हुए कहा, “हिन्दू धर्म ‘सर्वे भवन्तु सुखिनः’ कहता है, सिख धर्म ‘एकम’ की बात करता है, बुद्ध धर्म ‘अपने दीपक स्वयं बनो’ की प्रेरणा देता है, जैन धर्म ‘अहिंसा परमो धर्मः’ को मूल मानता है। इस्लाम विभाजन के विरुद्ध और ईसाई धर्म शांति का संदेश देता है। ये सभी धर्म अंततः एकता और करुणा का ही संदेश देते हैं।”
“जब देश पर संकट आता है, हम एक हो जाते हैं” – मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि जब भी देश को संकटों ने घेरा, भारतवासियों ने धर्म, जाति, भाषा और क्षेत्र की सीमाओं को पार कर राष्ट्रीय एकता का परिचय दिया। उन्होंने वेदों का उल्लेख करते हुए कहा:
“संगच्छध्वं संवदध्वं सं वो मनांसि जानताम् — हम सभी साथ चलें, एक मन से विचार करें और एक लक्ष्य की ओर बढ़ें।”
उन्होंने श्रीराम, श्रीकृष्ण, गुरु गोविंद सिंह, ईसा मसीह और पैगम्बर मोहम्मद साहब के जीवन से प्रेरणा लेते हुए कहा कि सभी महापुरुषों ने अधर्म के विरुद्ध खड़े होने और धर्म, सत्य एवं न्याय के पक्ष में संघर्ष करने की शिक्षा दी है।
मुख्यमंत्री ने उत्तराखंड को “वीरों की भूमि” बताते हुए कहा कि हमारे सैनिकों ने सदैव राष्ट्र के लिए बलिदान दिया है और अब समय है कि हम उनके साथ मजबूती से खड़े हों।
सभी धर्मों के प्रतिनिधियों की रही उपस्थिति और सहभागिता
गोष्ठी में परमार्थ निकेतन के स्वामी चिदानंद मुनि ने कहा, “पूजा की पद्धति चाहे अलग हो, पर हमारी भक्ति राष्ट्रभक्ति होनी चाहिए।” वहीं वक्फ बोर्ड अध्यक्ष शादाब शम्स ने कहा, “भारत से सुंदर देश कोई नहीं। हम सब भारत माता की संतान हैं।”
इस अवसर पर बौद्ध धर्मगुरु श्री सोनम चोग्याल, ब्रदर जोसेफ एम. जोसेफ, और सरदार गुरबक्श सिंह राजन ने भी अपने विचार रखते हुए भारत की एकता और संप्रभुता को बनाए रखने का संकल्प दोहराया।
गोष्ठी में सचिव राज्यपाल रविनाथ रामन, महानिदेशक सूचना बंशीधर तिवारी, समाजसेवी और विभिन्न धर्मों के अनुयायी बड़ी संख्या में उपस्थित रहे।