केन्द्रीय उपभोक्ता मामले, खाद्य और सार्वजनिक वितरण, वस्त्र तथा वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री पीयूष गोयल ने चिंतन शिविर के दौरान खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण विभाग के अधिकारियों के साथ बातचीत करते हुए सुझाव दिया कि इस प्रक्रिया को एक सतत प्रक्रिया के रूप में चलाना चाहिए। इस तरह के अभ्यासों से पदानुक्रमों के बीच की अड़चनें दूर होती हैं तथा अभिनव विचारों का मुक्त प्रवाह संभव होता है। इन अभिनव विचारों को विभाग बड़े पैमाने पर जनता के लाभ के लिए आगे क्रियान्वित कर सकता है। इसके अलावा इस तरह के शिविर सभी के व्यक्तिगत विकास के लिए मंच भी प्रदान करते हैं।
उद्घाटन सत्र के दौरान उपभोक्ता मामले, खाद्य और सार्वजनिक वितरण तथा ग्रामीण विकास राज्य मंत्री साध्वी निरंजन ज्योति ने अपने विचारों को प्रस्तुत करने के लिए प्रतिभागियों की सराहना की और इस काम को आगे बढ़ाने में विभाग का मार्ग-दर्शन किया। उन्होंने अधिकारियों को शिविर के दौरान सामने आए विचारों पर अमल करने के लिए प्रेरित किया और सुझाव दिया कि विभाग के खाद्य सुरक्षा के दृष्टिकोण को सुनिश्चित करने के लिए उन्हें यथा-संभव व्यवहार में लाया जाये।
डीएफपीडी के सचिव संजीव चोपड़ा ने विभाग के लगभग 100 अधिकारियों/कर्मचारियों के साथ शिविर में भाग लिया। उपरोक्त चार विषयों को ध्यान में रखते हुए, अधिकारियों/कर्मचारियों के चार समूह बनाए गए थे। इसके अलावा, प्रख्यात विषय विशेषज्ञ आर एस सोढी, अशोक गुलाटी और एस शिवकुमार ने खाद्य और सार्वजनिक वितरण विभाग (डीएफपीडी) की परिकल्पना को आकार देने के तरीके पर अपने विचार साझा किए।
आरएस सोढी ने अमूल कंपनी के साथ अपने वर्षों के अनुभव को साझा किया और एक कुशल आपूर्ति श्रृंखला बनाने पर विचार व्यक्त किये। प्रोफेसर अशोक गुलाटी ने पोषण सुरक्षा और जलवायु अनुकूलन के लिए पीडीएस का लाभ उठाने पर विचार व्यक्त किया और श्री एस शिवकुमार ने कृषि व्यवसाय पर अपनी गहरी जानकारी के साथ पीडीएस को और अधिक ग्राहक-केंद्रीय बनाने पर मार्ग-दर्शन किया। प्रसिद्ध प्रेरक वक्ता शिव खेड़ा ने जीवन को बदलने वाले दिलचस्प भाषण के साथ शिविर के प्रतिभागियों का उत्साहवर्धन किया।