
नई आबकारी नीति पर नियंत्रक और महालेखा परीक्षक (CAG) की रिपोर्ट दिल्ली विधानसभा में मंगलवार को पेश कर दी गई. दिल्ली की मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता ने यह रिपोर्ट सदन में पेश की. यह ऑडिट 2017-18 से 2020-21 तक का है. इस रिपोर्ट से सामने आया है कि दिल्ली की शराब पॉलिसी बदले जाने से किस तरह से 2,002 करोड़ रुपए का नुकसान हुआ..
शराब पॉलिसी पर CAG की रिपोर्ट में क्या है?
- नई आबकारी नीति से दिल्ली सरकार को क़रीब 2000 हज़ार करोड़ का घाटा लगा है
- नई शराब नीति में पहले के एक व्यक्ति को एक लाइसेंस मिलता था
- नई नीति में एक शख़्स दो दर्जन से ज़्यादा लाइसेंस ले सकता था
- दिल्ली में पहले 60 फीसदी शराब की बिक्री 4 सरकारी कॉर्पोरेशन से होती थी
- नई शराब नीति में कोई भी निजी कंपनी रिटेल लाइसेंस ले सकती है
- शराब बिक्री का कमीशन 5 फ़ीसदी से बढ़ाकर 12 फ़ीसदी किया गया
- थोक का लाइसेंस शराब वितरक और शराब निर्माता कंपनियों को भी दे दिया गया जो कि उल्लंघन है
- लाइसेंस देने से पहले आर्थिक या आपराधिक कोई जांच नहीं की गई
- शराब लाइसेंस देने में राजनीतिक दख़ल और भाई भतीजावाद हुआ
- लिकर जोन के लिए 100 करोड़ के निवेश की ज़रूरत होती थी लेकिन नई पॉलिसी में इसे ख़त्म कर दिया गया
- कैबिनेट की मंजूरी लेने के लिए नियमों का उल्लंघन हुआ
- शराब की दुकान खोलने में नियमों को ताक पर रखकर अवैध शराब की दुकानें खोली गईं
- घरेलू और मिक्स लैंड यूज़ में भी शराब की दुकानें खोली गईं
- MCD और DDA की अप्रूवल नहीं ली गई
- शराब दुकानें गलत जगह पर खोली गईं
- शराब की क्वालिटी से समझौता किया गया
- क्वालिटी स्टैंडर्ड्स और BIS की रिपोर्ट नहीं होने पर भी शराब बेचने की परमिशन मिली
- शराब की टेस्टिंग की कुछ रिपोर्ट दी गईं, लेकिन जांच में पता चला कि ये लैब अनाधिकृत थी
- विदेशी शराब के मामले में 51 फ़ीसदी रिपोर्ट पुरानी या गायब थी
- शराब में हानिकारक तत्वों की रिपोर्ट को अनदेखा किया गया
- दिल्ली की शराब की तस्करी को रोकने के लिए कोई ठोस उपाय नहीं उठाए गए
- अवैध शराब बेचने को बढ़ावा मिला
आबकारी नीति की वजह से हुआ घाटा
CAG की रिपोर्ट में खुलासा हुआ है कि 2021-2022 की आबकारी नीति की वजह से 2,000 करोड़ रुपये से ज्यादा का घाटा हुआ