23 महीने बाद सीतापुर जेल से बाहर आएंगे आजम खान: समर्थकों में जश्न, प्रशासन अलर्ट
लंबे इंतजार के बाद रिहाई की घड़ी आई करीब

सीतापुर। समाजवादी पार्टी (SP) के वरिष्ठ नेता और उत्तर प्रदेश सरकार में पूर्व कैबिनेट मंत्री आज़म खान की लगभग 23 महीने बाद सीतापुर जेल से रिहाई तय हो गई है। मंगलवार सुबह 7 बजे उन्हें जेल से बाहर आने की अनुमति दी जाएगी। कोर्ट से जमानत आदेशों की औपचारिकताएं पूरी होने के बाद जेल प्रशासन ने रिहाई का नोटिस जारी कर दिया है।
आज़म खान पर जमीन हड़पने से लेकर बकरी चोरी तक, छोटे-बड़े 100 से अधिक आपराधिक मुकदमे दर्ज हैं। इन मुकदमों की वजह से वे लंबे समय तक जेल में बंद रहे। कई मामलों में पहले ही उन्हें जमानत मिल चुकी थी, लेकिन कानूनी प्रक्रिया की जटिलताओं और देरी के चलते उनकी रिहाई अटकी हुई थी। अब आखिरकार यह इंतजार खत्म होने जा रहा है।
समर्थकों में खुशी की लहर, स्वागत की तैयारियां तेज
आज़म खान की रिहाई की खबर से समाजवादी पार्टी कार्यकर्ताओं और समर्थकों में खुशी की लहर दौड़ गई है। रामपुर से लेकर सीतापुर तक समर्थक तरह-तरह की तैयारियां कर रहे हैं।
रामपुर में उनके पड़ोसी आमान ने कहा, “हमें बहुत अच्छा लग रहा है कि आज़म खान को रिहाई मिल गई है। हम उम्मीद करते हैं कि वे यहां आएंगे तो हमारे बारे में भी सोचेंगे।”
इसी तरह दूसरे पड़ोसी शराफत ने कहा, “हम लोग लंबे समय से इंतजार कर रहे थे। पूरा मोहल्ला जैसे सन्नाटे में था। अब उनके आने की खबर से सभी के चेहरे खिल गए हैं।”
सूत्रों के अनुसार, रामपुर में पार्टी कार्यकर्ता उनके स्वागत के लिए जुलूस और विशेष कार्यक्रम की तैयारियां कर रहे हैं। वहीं, उनके परिवारजन भी सीतापुर पहुंच गए हैं और रिहाई के समय जेल के बाहर मौजूद रहेंगे।
प्रशासन ने कसी कमर, सुरक्षा व्यवस्था सख्त
सीतापुर जेल प्रशासन और स्थानीय पुलिस ने रिहाई को लेकर कड़े सुरक्षा इंतजाम किए हैं। आशंका है कि सुबह बड़ी संख्या में कार्यकर्ता और समर्थक जेल के बाहर जुट सकते हैं। किसी तरह की अव्यवस्था या कानून-व्यवस्था की समस्या न हो, इसके लिए अतिरिक्त पुलिस बल तैनात किया जा रहा है।
स्थानीय प्रशासन ने आसपास के इलाकों में बैरिकेडिंग कर दी है। अधिकारियों का कहना है कि किसी भी भीड़ को नियंत्रित करने और स्थिति को शांत बनाए रखने के लिए हर स्तर पर तैयारी पूरी है।
सियासत पर बड़ा असर, सपा खेमे में नई ऊर्जा
आज़म खान की रिहाई केवल एक कानूनी घटना नहीं, बल्कि उत्तर प्रदेश की राजनीति में भी बड़ा मोड़ साबित हो सकती है।
- समाजवादी पार्टी में उनकी वापसी से मुस्लिम वोट बैंक पर असर पड़ सकता है।
- रामपुर और पश्चिमी यूपी में उनकी पकड़ मजबूत मानी जाती है।
- उनके बाहर आने से SP का मनोबल बढ़ेगा, खासकर उस समय जब पार्टी को 2027 के विधानसभा चुनावों की दिशा तय करनी है।
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि आज़म खान की छवि भले ही विवादों से घिरी रही हो, लेकिन मुस्लिम राजनीति में वे अब भी बड़ा चेहरा हैं। उनकी रिहाई से भाजपा और अन्य विपक्षी दलों के समीकरण पर भी असर पड़ सकता है।
कानूनी जटिलताओं से लेकर विवादित छवि तक
आज़म खान का राजनीतिक सफर हमेशा विवादों से घिरा रहा है।
- उन पर जमीन कब्जाने, दुर्व्यवहार, धोखाधड़ी से लेकर बकरी चोरी और किताबें चोरी करने तक विभिन्न आरोप लगे।
- विपक्ष लगातार यह कहता रहा है कि उनके खिलाफ मुकदमे राजनीतिक प्रतिशोध का नतीजा हैं।
- जबकि सरकार का पक्ष रहा है कि कानून अपना काम कर रहा है और किसी को विशेष छूट नहीं दी जा सकती।
23 महीने की कैद के दौरान कई बार आज़म खान ने स्वास्थ्य संबंधी शिकायतें भी कीं। इस बीच उन्होंने अस्पतालों में भर्ती होकर इलाज भी कराया। उनके समर्थकों का कहना है कि इन महीनों में उन्होंने मानसिक और शारीरिक रूप से कठिन दौर झेला है।
आगे की राह आसान नहीं
हालांकि जेल से बाहर आने के बाद भी आज़म खान का रास्ता आसान नहीं होगा।
- दर्जनों मुकदमे अभी भी अदालतों में लंबित हैं।
- अगर किसी केस में दोष सिद्ध होता है तो उन्हें फिर से जेल का सामना करना पड़ सकता है।
- इसके अलावा राजनीतिक गतिविधियों में सक्रिय होने के लिए उन्हें कानूनी और प्रशासनिक प्रतिबंधों से गुजरना होगा।
फिर भी, उनके बाहर आने से पार्टी को तत्काल राजनीतिक लाभ मिलना तय माना जा रहा है।
आज़म खान की रिहाई को लेकर समाजवादी पार्टी समर्थकों में जहां जश्न और उत्साह है, वहीं प्रशासन भी पूरी तरह चौकस है। यह रिहाई केवल एक व्यक्ति के जेल से बाहर आने भर की घटना नहीं, बल्कि उत्तर प्रदेश की राजनीतिक दिशा को प्रभावित करने वाली बड़ी खबर है।
अब देखना यह होगा कि आज़म खान जेल से बाहर आने के बाद अपनी राजनीति को किस तरह से आगे बढ़ाते हैं और क्या वे पहले जैसी पकड़ फिर से हासिल कर पाते हैं।