
नई दिल्ली: दिल्ली की रेखा गुप्ता सरकार ने मंगलवार को एक महत्वपूर्ण कदम उठाते हुए दिल्ली स्कूल फीस एक्ट 2025 को मंजूरी प्रदान कर दी है। सरकार के इस फैसले से राष्ट्रीय राजधानी के हजारों अभिभावकों को बड़ी राहत मिलने की उम्मीद है, क्योंकि अब दिल्ली के निजी स्कूलों द्वारा की जाने वाली मनमानी फीस वृद्धि पर लगाम लग सकेगी।
गौरतलब है कि दिल्ली के निजी स्कूलों में लगातार हो रही फीस बढ़ोतरी को लेकर अभिभावक लंबे समय से परेशान थे। इस बीच, लोकल सर्कल्स की एक रिपोर्ट में चौंकाने वाला खुलासा हुआ था, जिसके अनुसार 42 फीसदी अभिभावकों ने माना था कि पिछले तीन वर्षों में उनके बच्चों की स्कूल फीस में 50 से 80 फीसदी तक की भारी वृद्धि हुई है। इस मुद्दे को लेकर दिल्ली शिक्षा निदेशालय कार्यालय के बाहर अभिभावकों ने कई बार विरोध प्रदर्शन भी किया था। अभिभावकों का आरोप था कि राष्ट्रीय राजधानी में निजी गैर-सहायता प्राप्त स्कूल ‘अनियमित और अत्यधिक’ फीस वृद्धि कर रहे हैं।
दिल्ली विधानसभा में विपक्ष की नेता आतिशी ने भी इस मुद्दे पर सरकार को घेरते हुए मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता को सभी निजी स्कूलों में फीस वृद्धि को तत्काल रोकने की चुनौती दी थी।
दिल्ली के शिक्षा मंत्री आशीष सूद ने इस संबंध में कहा कि पिछले कुछ समय से अभिभावकों की ओर से फीस की समस्या को लेकर शिकायतें आ रही थीं, और अब इस समस्या के समाधान की शुरुआत हो चुकी है। उन्होंने बताया कि ‘दिल्ली स्कूल एजुकेशन ट्रांसपेरेंसी एंड रेगुलेशन 2025’ बिल को पारित कर दिया गया है, जिसके तहत अब फीस में बढ़ोतरी की प्रक्रिया पूरी तरह से पारदर्शी होगी। उन्होंने कहा कि इस बिल को लाकर अभिभावकों को राहत पहुंचाने का काम किया गया है।
कैसे काम करेगा यह एक्ट?
- नए नियम के तहत, अब दिल्ली के निजी स्कूल अगले तीन साल तक अपनी फीस में वृद्धि नहीं कर पाएंगे।
- शिक्षा मंत्री आशीष सूद ने बताया कि फीस का निर्धारण एक तीन-स्तरीय समिति करेगी।
- पहले स्तर पर स्कूल फीस रेगुलेशन कमेटी बनेगी, जिसके चेयरमैन मैनेजमेंट होंगे।
- इस समिति में तीन शिक्षक और पांच अभिभावक शामिल होंगे।
- ये पांच अभिभावक ड्रा के माध्यम से चुने जाएंगे और ये सदस्य अगले तीन वर्षों के लिए स्कूल की फीस का निर्धारण करेंगे।
- स्कूल 18 निर्धारित बिंदुओं के आधार पर यह निर्णय लेगा कि फीस बढ़नी चाहिए या नहीं।
शिक्षा के क्षेत्र में बाजारीकरण बर्दाश्त नहीं:
हाल ही में दिल्ली के शिक्षा मंत्री ने स्पष्ट रूप से कहा था कि शिक्षा के क्षेत्र में किसी भी प्रकार का बाजारीकरण बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। उन्होंने जोर देकर कहा कि नई सरकार दिल्ली के बच्चों के हितों को सुरक्षित रखने के लिए हर संभव प्रयास करेगी। आशीष सूद ने कहा कि स्कूल विद्या के मंदिर होते हैं और पिछली सरकार निजी स्कूलों के माध्यम से भ्रष्टाचार में लिप्त थी। उन्होंने पूर्व शिक्षा मंत्री मनीष सिसोदिया को चुनौती देते हुए कहा कि यदि उनके पास भ्रष्टाचार से संबंधित कोई भी सबूत हैं तो वे सार्वजनिक रूप से सामने आएं और सरकार पर झूठे आरोप न लगाएं।