
अन्ना हजारे ने लिखा- आपने स्वराज नाम की इस किताब में कितनी आदर्श बातें लिखी थी. इसलिए तभी से आप से बड़ी उम्मीद थी. लेकिन राजनीति में जा कर सीएम बनने के बाद आप आदर्श विचारधारा को भूल गए ऐसा लगता है. जिस प्रकार शराब का नशा होता है, उस प्रकार सत्ता का भी नशा होता है. आप भी ऐसी सत्ता के नशा में डूब गये हो, ऐसा लग रहा है
अन्ना ने कहा कि गली गली में शराब की दुकानें खुलवाई जा सकती है. इससे भ्रष्टाचार को बढ़ावा मिल सकता हैं. यह बात जनता के हित में नहीं है. ऐतिहासिक आंदोलन का नुकसान कर के जो पार्टी बनी. नई शराब नीति को देखकर अब पता चल रहा हैं कि, एक ऐतिहासिक आंदोलन का नुकसान कर के जो पार्टी बन गयी, वह भी बाकी पार्टियों के रास्ते पर ही चलने लगी. यह बहुत दुख की बात हैं.