
देहरादून, 9 अक्टूबर 2025 (सू. ब्यूरो): उत्तराखंड में अब विज्ञान और तकनीकी संस्थानों की सामूहिक शक्ति को राज्यहित में संगठित करने की दिशा में एक नई पहल शुरू हो रही है। मुख्य सचिव आनंद बर्द्धन ने कहा है कि राज्य में स्थित राष्ट्रीय महत्व के वैज्ञानिक संस्थानों के बीच बेहतर समन्वय, संवाद और सतत सहयोग के लिए एक सुव्यवस्थित और सुसंगठित प्लेटफॉर्म तैयार किया जाएगा।
मुख्य सचिव बुधवार को दून पुस्तकालय एवं शोध केंद्र में आयोजित एक कार्यक्रम में छठे देहरादून इंटरनेशनल साइंस एंड टेक्नोलॉजी फेस्टिवल (DISTF 2025) के पोस्टर और ब्रोशर का विमोचन कर रहे थे। यह उत्सव आगामी 12 से 14 नवंबर 2025 तक विज्ञान धाम, देहरादून में आयोजित होगा।
“विज्ञान और टेक्नोलॉजी बदलाव की धुरी हैं”
मुख्य सचिव बर्द्धन ने अपने संबोधन में कहा कि विज्ञान और प्रौद्योगिकी आज के समाज में बदलाव की सबसे बड़ी धुरी हैं। उन्होंने कहा —
“विज्ञान और टेक्नोलॉजी में हो रही प्रगति से दुनिया बहुत तेज़ी से बदल रही है। ऐसे में समाज के हर वर्ग, खासकर युवाओं को इस परिवर्तन का हिस्सा बनाना हमारी प्राथमिक जिम्मेदारी है। इस तरह के आयोजन युवाओं में वैज्ञानिक सोच को बढ़ावा देते हैं और उन्हें नवाचार की दिशा में प्रेरित करते हैं।”
उन्होंने कहा कि तकनीक की जननी मौलिक विज्ञान (Fundamental Science) है और इसलिए अनुसंधान एवं विकास (R&D) में निवेश को बढ़ावा देना आज की आवश्यकता है।
हिमालयी राज्य के लिए विज्ञान का विशेष महत्व
मुख्य सचिव ने कहा कि उत्तराखंड एक हिमालयी राज्य होने के कारण विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी का इससे सीधा संबंध है। राज्य की भौगोलिक, पारिस्थितिक और जलवायु संबंधी चुनौतियों से निपटने के लिए वैज्ञानिक दृष्टिकोण और तकनीकी समाधान अनिवार्य हैं।
उन्होंने कहा —
“देहरादून और उत्तराखंड में राष्ट्रीय स्तर के कई वैज्ञानिक एवं शैक्षणिक संस्थान मौजूद हैं — जैसे वाडिया इंस्टीट्यूट ऑफ हिमालयन जियोलॉजी, फॉरेस्ट रिसर्च इंस्टिट्यूट (FRI), वाइल्डलाइफ इंस्टिट्यूट ऑफ इंडिया (WII), IIT रुड़की, और पेट्रोलियम यूनिवर्सिटी। इन सभी संस्थानों के संसाधनों और विशेषज्ञता का उपयोग राज्य के विकास में और प्रभावी ढंग से किया जाएगा।”
समन्वय के लिए बनेगा “साइंस कोलैबोरेशन प्लेटफॉर्म”
मुख्य सचिव ने कहा कि इन संस्थानों के बीच नियमित संवाद और ज्ञान-साझेदारी सुनिश्चित करने के लिए एक “साइंस कोलैबोरेशन प्लेटफॉर्म” बनाया जाएगा। इस प्लेटफॉर्म के माध्यम से राज्य सरकार, वैज्ञानिक संस्थान, विश्वविद्यालय, और अनुसंधान केंद्र एक साझा ढांचे में कार्य कर सकेंगे।
उन्होंने कहा कि इस मंच के जरिए प्राकृतिक संसाधनों के सतत उपयोग, आपदा प्रबंधन, पर्यावरण संरक्षण, जलवायु परिवर्तन और सस्टेनेबल डेवलपमेंट जैसे मुद्दों पर राज्यस्तरीय परियोजनाएं तैयार की जाएंगी।
मुख्य सचिव ने यूकॉस्ट (UCOST) और विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग को इस दिशा में ठोस और कारगर पहल करने के निर्देश भी दिए।
“विज्ञान फेस्टिवल से जागेगा नवाचार का उत्साह”
देहरादून इंटरनेशनल साइंस एंड टेक्नोलॉजी फेस्टिवल (DISTF-2025) के आयोजन के बारे में बताते हुए मुख्य सचिव ने कहा कि यह केवल एक प्रदर्शनी या सम्मेलन नहीं, बल्कि एक “विज्ञान आंदोलन” है जो समाज को नई सोच से जोड़ने का प्रयास करेगा।
तीन दिवसीय इस फेस्टिवल में देश-विदेश के वैज्ञानिक, शोधकर्ता, छात्र और उद्योग जगत के प्रतिनिधि शामिल होंगे। फेस्टिवल का उद्देश्य वैज्ञानिक नवाचारों को जन-जन तक पहुँचाना, लोकल स्टार्टअप्स को प्लेटफॉर्म देना और विज्ञान को समाज के विकास से जोड़ना है।
फेस्टिवल के दौरान रोबोटिक्स, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, क्लाइमेट इनोवेशन, हिमालयन इकोसिस्टम, और अंतरिक्ष अनुसंधान जैसे विषयों पर सत्र आयोजित होंगे।
राज्य के वैज्ञानिकों का भी मिला सहयोग
कार्यक्रम में उपस्थित सचिव डॉ. आर. राजेश कुमार, वैज्ञानिक चंद्रेश यादव, डीपी उनियाल (संयुक्त निदेशक, यूकॉस्ट), हेस्को के संस्थापक पद्मभूषण डॉ. अनिल जोशी, और पेट्रोलियम विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. राम शर्मा ने भी अपने विचार रखे।
डॉ. जोशी ने कहा कि हिमालय के पर्यावरणीय संतुलन और जैव विविधता को बनाए रखने में स्थानीय विज्ञान की भूमिका अहम है। वहीं प्रो. राम शर्मा ने कहा कि विश्वविद्यालयों को अब पारंपरिक शिक्षा से आगे बढ़कर अनुसंधान आधारित शिक्षा प्रणाली की ओर बढ़ना होगा।
सचिव डॉ. राजेश कुमार ने कहा कि देहरादून साइंस फेस्टिवल को एक अंतरराष्ट्रीय ब्रांड इवेंट के रूप में स्थापित करने का लक्ष्य है, ताकि यह “उत्तराखंड की वैज्ञानिक पहचान” बन सके।
विज्ञान से समाज की साझेदारी
मुख्य सचिव बर्द्धन ने अपने वक्तव्य के अंत में कहा कि विज्ञान केवल प्रयोगशालाओं तक सीमित न रहे, बल्कि समाज के हर वर्ग तक पहुंचे। उन्होंने कहा —
“हमें ऐसा माहौल बनाना होगा जहां विज्ञान केवल वैज्ञानिकों की भाषा न रहे, बल्कि किसानों, उद्यमियों, छात्रों और आम नागरिकों के जीवन का हिस्सा बने। यह तभी संभव है जब वैज्ञानिक संस्थान और सरकार एक साझा मिशन पर काम करें।”
कार्यक्रम का संचालन कुंवर राज आस्थाना ने किया और अंत में धन्यवाद ज्ञापन यूकॉस्ट टीम की ओर से प्रस्तुत किया गया।
छठा देहरादून इंटरनेशनल साइंस एंड टेक्नोलॉजी फेस्टिवल केवल एक कार्यक्रम नहीं, बल्कि उत्तराखंड की वैज्ञानिक दृष्टि को नई दिशा देने की शुरुआत है। मुख्य सचिव आनंद बर्द्धन की यह पहल राज्य के उन तमाम संस्थानों को एक सूत्र में जोड़ सकती है जो अब तक स्वतंत्र रूप से कार्य कर रहे थे।
यह आयोजन आने वाले वर्षों में उत्तराखंड को न केवल विज्ञान-प्रेरित शासन मॉडल की दिशा में ले जा सकता है, बल्कि देश के अन्य पर्वतीय राज्यों के लिए भी एक मिसाल बन सकता है।