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इतने साल बाद किराएदार जता सकता है मकान पर मालिकाना हक….

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नई दिल्ली: बड़े से लेकर छोटे शहरों में एक्स्ट्रा इनकम के लिए लोग कई तरह से निवेश करते हैं. सेविंग स्कीम, म्यूचुअल फंड और प्रॉपर्टी पर पैसा लगाते हैं. जिसके चलते घर या फ्लैट को किराए पर देने का ट्रेंड तेजी से बढ़ता जा रहा है. यह पैसे कमाने का सबसे आसान तरीका भी है. लोग मकान खरीदकर उसे किराए पर लगा देते हैं. इससे अच्छी कमाई हो जाती है. कुछ मकान मालिक ऐसे भी हैं, जो कई सालों तक अपने मकान को किराएदार के भरोसे छोड़ भी देते है. उनका किराया हर महीने उनके खाते में भी पहुंच जाता है. लेकिन ऐसा करना आपको मुसीबत में डाल सकता है.

इसके चलते कई बार ऐसा भी होता है कि मकान मालिकों को अपनी संपत्ति से हाथ भी धोना पड़ जाता है. मकान मालिक की यह लापरवाही उसे भारी पड़ जाती है. यहीं मकान मालिक को सचेत रहने की जरूरत होती है. दरअसल, प्रॉपर्टी कानून में कुछ ऐसे कानून है, जिसकी वजह से किराएदार हक का दावा कर सकता है. आज हम आपको प्रॉपर्टी से जुड़े कुछ ऐसे कानून के बारे में बताने जा रहे हैं जो सभी मकान मालिक को पता होना जरूरी है.

प्रॉपर्टी के कानून में कुछ ऐसे नियम हैं जहां लगातार 12 साल तक किसी प्रॉपर्टी पर रहने के बाद किरायेदार उस पर हक का दावा कर सकता है. हालांकि, इसकी शर्तें काफी कठिन है, लेकिन आपकी संपत्ति विवाद के घेरे में आ सकती है. प्रतिकूल कब्जे का कानून देश की आजादी से पहले का है. लेकिन बता दें जमीन पर अवैध कब्जे का यह कानून है. सबसे जरुरी बात यह है कि यह कानून सरकारी संपत्ति पर लागू नहीं होता है. वहीं, कई बार इस कानून की वजह से मालिक को अपनी संपत्ति से हाथ धोना पड़ता है.

किराए के मकान में रहने वाले लोग इस कानून का फायदा उठाने की कोशिश करते है. इस कानून के तहत यह साबित करना होता है कि लंबे समय से संपत्ति पर कब्जा था. साथ ही किसी प्रकार का रोकटोक भी नहीं किया गया हो. प्रॉपर्टी पर कब्जा करने वाले को टैक्स, रसीद, बिजली, पानी का बिल, गवाहों के एफिडेविट आदि की भी जानकारी देनी होती है.

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