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बांग्लादेश में हिंदुओं पर ‘प्रलय’: UN महासचिव की सख्त चेतावनी- ‘पानी सिर से ऊपर गया’, हिंसा पर अमेरिका भी आगबबूला

नई दिल्ली/न्यूयॉर्क | 23 दिसंबर, 2025 पड़ोसी देश बांग्लादेश में अल्पसंख्यक हिंदुओं के खिलाफ जारी बर्बरता ने अब वैश्विक मंच पर हड़कंप मचा दिया है। संयुक्त राष्ट्र (UN) के महासचिव एंटोनियो गुटेरेस ने बांग्लादेश के मौजूदा हालातों पर गंभीर चिंता व्यक्त करते हुए स्पष्ट संदेश दिया है कि अल्पसंख्यकों के खिलाफ बढ़ती हिंसा अब बर्दाश्त के बाहर हो रही है।

‘अल्पसंख्यकों को मिलना चाहिए सुरक्षा का अहसास’: संयुक्त राष्ट्र

न्यूयॉर्क में एक प्रेस ब्रीफिंग के दौरान संयुक्त राष्ट्र के प्रवक्ता स्टेफन दुजारिक ने बांग्लादेश की अंतरिम सरकार को दो टूक शब्दों में आईना दिखाया। हाल ही में हिंदुओं की ‘मॉब लिंचिंग’ और मंदिरों पर हुए हमलों पर पूछे गए सवाल के जवाब में उन्होंने कहा:

“चाहे बांग्लादेश हो या दुनिया का कोई भी देश, जो लोग बहुसंख्यक नहीं हैं, उन्हें सुरक्षा का पूर्ण अहसास होना चाहिए। हर नागरिक को अपने ही देश में सुरक्षित महसूस करने का मौलिक अधिकार है।”

राजनीति से दूर, फिर भी धर्म के नाम पर ‘टारगेट किलिंग’

जमीनी रिपोर्ट्स के मुताबिक, पिछले दो हफ्तों में बांग्लादेश में हिंसा का एक नया और खौफनाक दौर शुरू हुआ है। सबसे चिंताजनक बात यह है कि भीड़ अब उन लोगों को भी निशाना बना रही है जिनका राजनीति से कोई लेना-देना नहीं है। केवल हिंदू पहचान के आधार पर लोगों को घरों से खींचकर पीटा जा रहा है। हाल ही में ‘इंकलाब मंच’ के नेता शरीफ उस्मान हादी की मौत के बाद उन्मादी भीड़ ने हिंदू समुदायों पर हमले और तेज कर दिए हैं।

अमेरिका में गूंजा ‘दीपू चंद्र दास’ की हत्या का मामला

बांग्लादेशी हिंदुओं पर हो रहे जुल्म की गूंज अमेरिकी संसद (House of Representatives) तक पहुंच गई है। भारतीय मूल के अमेरिकी सांसद राजा कृष्णमूर्ति और सुहास सुब्रमण्यम ने हिंदू युवक दीपू चंद्र दास की भीड़ द्वारा की गई नृशंस हत्या की कड़ी निंदा की है। अमेरिकी सांसदों ने जो बाइडन प्रशासन से इस मुद्दे पर हस्तक्षेप करने और मंदिरों की सुरक्षा सुनिश्चित करने की मांग की है।

फरवरी चुनाव और ‘बदले’ की राजनीति पर UN की चेतावनी

बांग्लादेश में फरवरी 2026 में होने वाले चुनावों को लेकर भी संशय के बादल मंडरा रहे हैं। संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार उच्चायुक्त वोल्कर टर्क ने चेतावनी दी है कि:

  • “बदला और प्रतिशोध” की भावना समाज को विनाश की ओर ले जाएगी।

  • चुनावों के लिए शांतिपूर्ण और समावेशी माहौल होना अनिवार्य है।

  • अंतरिम सरकार को कट्टरपंथी ताकतों पर लगाम लगानी होगी।

क्या मोहम्मद यूनुस संभाल पाएंगे कमान?

अगस्त 2024 में शेख हसीना सरकार के पतन के बाद से शुरू हुई अस्थिरता अब तक नहीं थमी है। हालांकि संयुक्त राष्ट्र ने नोबेल पुरस्कार विजेता मोहम्मद यूनुस के नेतृत्व वाली सरकार पर भरोसा जताया है, लेकिन जमीनी हकीकत कुछ और ही बयां कर रही है। टारगेट किलिंग और मंदिरों के विध्वंस ने यूनुस सरकार की प्रशासनिक क्षमता और मंशा पर बड़े सवाल खड़े कर दिए हैं।

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