दिल्लीफीचर्ड

दिल्ली में ‘फर्जी डिग्री’ रैकेट का भंडाफोड़: रोहिणी से संचालित ‘एमले ग्रुप’ के नेटवर्क पर क्राइम ब्रांच की बड़ी कार्रवाई

नई दिल्ली: देश की राजधानी दिल्ली में उच्च शिक्षा व्यवस्था को दागदार करने वाले एक बड़े फर्जी डिग्री रैकेट का खुलासा हुआ है। दिल्ली पुलिस की क्राइम ब्रांच ने रोहिणी इलाके में देर रात छापेमारी कर एक संगठित गिरोह का भंडाफोड़ करते हुए करीब आधा दर्जन आरोपियों को गिरफ्तार किया है। यह गिरोह देश के नामी कॉलेजों और विश्वविद्यालयों के नाम पर फर्जी डिग्रियां, मार्कशीट और शैक्षणिक प्रमाण पत्र तैयार कर उन्हें लाखों रुपये में बेच रहा था। पुलिस की इस कार्रवाई को हाल के वर्षों में शिक्षा से जुड़े फर्जीवाड़े के खिलाफ सबसे बड़ी कार्रवाइयों में से एक माना जा रहा है।

कंपनी की आड़ में चल रहा था शिक्षा का फर्जी कारोबार

पुलिस सूत्रों के अनुसार, गिरफ्तार आरोपी रोहिणी में ‘एमले ग्रुप’ नाम से एक कंपनी संचालित कर रहे थे। बाहर से यह कंपनी शिक्षा परामर्श या कंसल्टेंसी के रूप में काम करती दिखती थी, लेकिन असल में इसके भीतर फर्जी डिग्रियों का संगठित कारोबार चल रहा था। आरोपी खुद को एजुकेशन कंसल्टेंट बताकर उन युवाओं को निशाना बनाते थे, जो कम समय में डिग्री हासिल कर नौकरी या विदेश जाने का सपना देख रहे थे।

जांच में सामने आया है कि गिरोह लंबे समय से सक्रिय था और उसने सैकड़ों नहीं बल्कि हजारों लोगों को फर्जी डिग्रियां उपलब्ध कराई हो सकती हैं। पुलिस को संदेह है कि इस नेटवर्क के जरिए बड़ी संख्या में लोग सरकारी और निजी नौकरियों तक भी पहुंचे होंगे।

विदेशी पीएचडी तक का दावा

इस रैकेट की सबसे चौंकाने वाली बात यह है कि आरोपी केवल भारत के विश्वविद्यालयों तक सीमित नहीं थे। वे विदेशों से पीएचडी (डॉक्टरेट) डिग्री दिलाने का भी दावा करते थे। इसके लिए ग्राहकों से मोटी रकम वसूली जाती थी, जो कई मामलों में लाखों रुपये तक पहुंचती थी। पुलिस के हाथ लगे दस्तावेजों से संकेत मिलता है कि कुछ विदेशी संस्थानों के नाम और लोगो का भी फर्जी तरीके से इस्तेमाल किया गया।

कई राज्यों तक फैला था नेटवर्क

क्राइम ब्रांच के अधिकारियों ने बताया कि इस गिरोह का नेटवर्क देश के कई राज्यों तक फैला हुआ था। आरोपी अरुणाचल प्रदेश, मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़, गुजरात सहित अन्य राज्यों के प्रतिष्ठित विश्वविद्यालयों और शैक्षणिक संस्थानों की फर्जी डिग्रियां तैयार करते थे। ये डिग्रियां इतनी प्रोफेशनल ढंग से बनाई जाती थीं कि आम आदमी ही नहीं, बल्कि शुरुआती स्तर पर कई संस्थान भी धोखा खा सकते थे।

पुलिस को छापेमारी के दौरान बड़ी मात्रा में फर्जी डिग्रियां, मार्कशीट, मुहरें, लैपटॉप, कंप्यूटर सिस्टम, प्रिंटर, हार्ड डिस्क और दर्जनों मोबाइल फोन बरामद हुए हैं। इनमें से कई उपकरणों का इस्तेमाल हाई-क्वालिटी फर्जी दस्तावेज तैयार करने में किया जा रहा था।

बैंकिंग लेनदेन से खुल रहे हैं राज

जांच के दौरान पुलिस को कई बैंक खातों से जुड़े दस्तावेज भी मिले हैं। इन खातों में लाखों रुपये के लेनदेन के सबूत सामने आए हैं, जिससे यह साफ होता है कि यह गिरोह बड़े पैमाने पर आर्थिक लाभ कमा रहा था। पुलिस अब इन बैंकिंग ट्रांजैक्शनों की फॉरेंसिक जांच कर रही है, ताकि यह पता लगाया जा सके कि पैसे किन-किन लोगों और खातों तक पहुंचे।

अधिकारियों का कहना है कि इस आर्थिक जांच से न सिर्फ गिरोह के अन्य सदस्यों का पता चल सकता है, बल्कि यह भी उजागर हो सकता है कि किन संस्थानों या व्यक्तियों ने जानबूझकर फर्जी डिग्रियों का इस्तेमाल किया।

पहले से पुलिस के रडार पर था गिरोह

गौरतलब है कि जून महीने में इसी रोहिणी इलाके से एक आरोपी को गिरफ्तार किया गया था, जिसके पास से देशभर के नामी कॉलेजों और विश्वविद्यालयों की फर्जी डिग्रियां बरामद हुई थीं। उस कार्रवाई के बाद से ही दिल्ली पुलिस इस पूरे नेटवर्क पर नजर बनाए हुए थी। गुप्त सूचनाओं और तकनीकी निगरानी के आधार पर पुलिस ने बीती रात छापेमारी की, जिसमें इस बड़े रैकेट का पर्दाफाश हो गया।

युवाओं से ठगी, शिक्षा व्यवस्था की साख पर सवाल

विशेषज्ञों का मानना है कि इस तरह के फर्जी डिग्री रैकेट न केवल युवाओं को ठगते हैं, बल्कि देश की शिक्षा व्यवस्था की साख को भी गंभीर नुकसान पहुंचाते हैं। फर्जी डिग्रियों के जरिए अयोग्य लोग नौकरियों में पहुंच जाते हैं, जिससे योग्य उम्मीदवारों के अधिकार प्रभावित होते हैं और संस्थानों की कार्यक्षमता पर भी असर पड़ता है।

पुलिस अधिकारियों ने बताया कि कई मामलों में ऐसे लोग सामने आए हैं, जिन्होंने फर्जी डिग्री के सहारे सरकारी या संवेदनशील पदों तक पहुंच बनाई। यह स्थिति न केवल प्रशासनिक व्यवस्था के लिए, बल्कि राष्ट्रीय हित के लिए भी गंभीर खतरा मानी जाती है।

पूछताछ जारी, और गिरफ्तारियां संभव

फिलहाल गिरफ्तार सभी आरोपियों से क्राइम ब्रांच की टीमें गहन पूछताछ कर रही हैं। पुलिस को उम्मीद है कि पूछताछ के दौरान इस गिरोह से जुड़े कई अन्य नाम सामने आएंगे। अधिकारियों का कहना है कि आने वाले दिनों में इस मामले में और गिरफ्तारियां हो सकती हैं, खासकर उन लोगों की, जो इस नेटवर्क के जरिए फर्जी डिग्रियों का इस्तेमाल कर चुके हैं।

पुलिस की अपील और आगे की कार्रवाई

दिल्ली पुलिस ने छात्रों, अभिभावकों और नौकरी की तलाश कर रहे युवाओं से अपील की है कि वे किसी भी तरह की शॉर्टकट डिग्री या संदिग्ध एजेंसियों के झांसे में न आएं। किसी भी विश्वविद्यालय या डिग्री की वैधता की पूरी जांच करने के बाद ही उस पर भरोसा करें।

पुलिस का कहना है कि इस मामले में सख्त धाराओं के तहत केस दर्ज किया गया है और जांच पूरी होने के बाद आरोपियों के खिलाफ कठोर कानूनी कार्रवाई की जाएगी। यह कार्रवाई न सिर्फ दोषियों को सजा दिलाने के लिए, बल्कि भविष्य में ऐसे फर्जीवाड़ों पर लगाम लगाने के लिए भी अहम मानी जा रही है।

दिल्ली में सामने आया यह मामला एक बार फिर यह साबित करता है कि शिक्षा के नाम पर चल रहे फर्जी कारोबार पर सख्त निगरानी और कड़े कानूनों की कितनी जरूरत है। क्राइम ब्रांच की इस कार्रवाई को शिक्षा व्यवस्था की शुचिता बनाए रखने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम के रूप में देखा जा रहा है।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button